बीएचयू में नहीं लग सके सेंट्रलाइज सीसीटीवी कैमरे, प्रशासन नहीं ले रहा कोई सबक
डेढ़ साल गुजर जाने के बाद भी कैंपस में सेंट्रलाइज सीसीटीवी कैमरे नहीं लगाए जा सके जबकि इसके लिए मानव संसाधन मंत्रालय ने पिछले साल ही राशि मुहैया करा दी थी।
वाराणसी, जेएनएन। काशी हिंदू विश्वविद्यालय में बार-बार होने वाली घटनाओं के बावजूद प्रशासन सबक नहीं ले रहा है। करीब डेढ़ साल गुजर जाने के बाद भी अभी तक कैंपस में सेंट्रलाइज सीसीटीवी कैमरे नहीं लगाए जा सके जबकि इसके लिए मानव संसाधन मंत्रालय ने पिछले साल ही राशि मुहैया करा दी थी। ऐसे में अगर कोई घटना होती है तो बीएचयू प्रशासन के पास कोई ठोस सबूत नहीं रह पाता है।
बीएचयू में जब भी कोई घटनाएं होती हैं तो बवाली छात्र सबसे पहले सीसीटीवी कैमरे को तोड़ते हैं। ताकि उनके अपराध की रिकार्डिंग नहीं हो सके। साथ ही यहां पर लाइट भी उनके निशाने पर रहती है। पिछले साल सितंबर में छेड़खानी, आंदोलन, बवाल, आगजनी, बमबारी आदि घटनाएं हुई थीं तो उसी सयम हर हास्टल व प्रमुख चौराहों पर सीसीटीवी कैमरे लगाने के निर्देश दिए गए थे। बीएचयू में खरीद की प्रक्रिया बहुत ही संदिग्ध व टेढ़ी होने के कारण उस वक्त पुलिस प्रशासन ने अपनी तरफ से कैमरे लगा दिए थे। ताकि बीएचयू को इसकी खरीदारी का पर्याप्त समय मिल सके। कुछ माह बीत जाने के बाद पुलिस ने अपने कैमरे उतार लिए।
हालांकि उसी दौरान तत्कालीन कुलपति प्रो. जीसी त्रिपाठी की ओर से राशि की भी स्वीकृति कर दी गई। सूत्र बताते हैं कि आपसी खींचतान के चलते अभी तक सेंट्रलाइज सीसीटीवी कैमरे की व्यवस्था नहीं हो पाई है। हां, यह बात अगल है कि हास्टलों की ओर से स्थानीय स्तर पर कैमरे की व्यवस्था कर दी गई है, जो नाकाफी हैं। ऐसे में अगर बवाली कैमरे तोड़ देते हैं तो प्रशासन के हाथ खाली हो जाते हैं।