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शिवप्रसाद गुप्त पहला सरकारी अस्पताल जहां चिकित्सकों के चैंबर्स में लगेंगे सीसीटीवी कैमरे

वाराणसी क ा शिव प्रसाद गुप्त मंडलीय चिकित्सालय वप्रदेश का पहला ऐसा राजकीय चिकित्सालय होगा जहां चिकित्सकों के चैंबर्स में सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे।

By Edited By: Published: Sat, 17 Nov 2018 10:00 AM (IST)Updated: Sat, 17 Nov 2018 10:00 AM (IST)
शिवप्रसाद गुप्त पहला सरकारी अस्पताल जहां चिकित्सकों के चैंबर्स में लगेंगे सीसीटीवी कैमरे
शिवप्रसाद गुप्त पहला सरकारी अस्पताल जहां चिकित्सकों के चैंबर्स में लगेंगे सीसीटीवी कैमरे

वाराणसी [कृष्‍ण बहादुर रावत] । शिव प्रसाद गुप्त मंडलीय चिकित्सालय वाराणसी प्रदेश का पहला ऐसा राजकीय चिकित्सालय बनने जा रहा है कि जहां पर सीसीटीवी कैमरे लगाए जा रहे हैं ताकि कामचोर डाक्टरों की पहचान हो सके। डाक्टर के चैंबर में कब और कितने बाहरी लोग आते हैं, उनकी जानकारी भी मिल जाएगी। अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डा. बीएन श्रीवास्तव ने बताया कि रोगी कल्याण समिति के धन से 18 सीसीटीवी कैमरे लगाए जा रहे हैं। इनके जद में ओपीडी में बैठने वाले सभी डाक्टर रहेंगे।

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जिलाधिकारी और मेरे मोबाइल में हर चैंबर्स की लोकेशन अपडेट होती रहेगी। ड्यूटी के समय अगर डाक्टर अपनी कुर्सी से गायब रहेंगे तो उसकी जानकारी दोनों लोगों को मिल जाएगी। चिकित्सकों को सुबह आठ बजे से दिन में दो बजे तक अपने चैंबर में बैठना ही होगा। डा. श्रीवास्तव ने बताया कि हमारी पूरी कोशिश है कि चिकित्सालय आने वाले हर रोगी को उपचार मिले। अस्पताल में बाहरी लोग मरीजों को बरगला न सके और उनसे धोखाधड़ी न कर सके। इसकी जानकारी भी सीसीटीवी कैमरे द्वारा मिल जाएगी। कई लोगों ने शिकायत की थी कि चिकित्सक अधिकतर समय मोबाइल पर व्यस्त रहते हैं। अब यह भी नहीं हो पाएगा।

एनएबीएच ने दिया प्रमाणपत्र : नेशनल एक्ड्रीयेशन बोर्ड ऑफ हॉस्पिटल (एनएबीएच) ने अस्पताल में मरीजों को दी जा रही सेवाओं को देखते हुए एनएबीएच प्रमाणपत्र दिया है। पूर्वाचल में यह पहला सरकारी अस्पताल मिला है जिसे एनएबीएच ने यह प्रमाणपत्र दिया है।

169 दवाएं उपलब्ध : फिलहाल मंडलीय अस्पताल में रोगियों के लिए विभिन्न प्रकार की 169 दवाएं उपलब्ध हैं। 147 दवाओं के आर्डर प्रतीक्षारत हैं।

महत्वपूर्ण पद हैं खाली : शिवप्रसाद गुप्ता मंडलीय अस्पताल में इस समय रेडियोलाजिस्ट, प्लास्टिक सर्जन और न्यूरो सर्जन के पद रिक्त हैं। इन पदों के खाली होने से अस्पताल में काम प्रभावित होता है और मरीजों को कोई सुविधा नहीं मिल पाती है।


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