बैंक ऋण घोटाले में सीबीआई ने तीन को दबोचा, आरोपितों में एक पूर्व क्षेत्र पंचायत सदस्य
कूट रचित दस्तावेजों के जरिए बैंकों से कर्ज़ लेकर करोड़ों रुपए के घोटाले करने वाले आरोपित अरुण कुमार सिंह को दोपहर बाद सीबीआई ने गिरफ्तार कर लिया।
मऊ, जेएनएन। कूट रचित दस्तावेजों के जरिए बैंकों से कर्ज़ लेकर करोड़ों रुपए के घोटाले करने वाले आरोपित अरुण कुमार सिंह को दोपहर बाद सीबीआई ने गिरफ्तार कर लिया। उनके अलावा एक क्षेत्र पंचायत सदस्य व एक अन्य को भी सीबीआइ ने उठाया है।
अरुण कुमार सिंह स्थानीय विकास खंड के ग्राम पंचायत नगवां के निवासी हैं और वे एक प्राथमिक विद्यालय में सहायक अध्यापक हैं। उनकी पत्नी पहले से ही जेल में हैं। अध्यापक जीवन में प्रवेश करने के समय सादगी पूर्ण जीवन जी रहे अरुण को एक दशक पूर्व करोड़पति बनने का शौक पैदा हो गया। इस बीच उन्होंने पत्नी के नाम से ट्रैक्टर की एजेंसी खोली। इसी बीच पत्नी प्रमिला सिंह ग्राम प्रधान भी हो गईं। महंगे शौक ने उनकी दिशा बदल दी। बैंकों से सांठगांठ करके कूट रचित दस्तावेजों के जरिए तकरीबन 40-50 अदद ट्रैक्टर की फर्जी कागजी खरीद-बिक्री की। इस तरह से करोड़ों रुपए की हेराफेरी करते हुए अपराधियों की जमात में शामिल हो गए। जब बैंकों को लोन की रिकवरी पूरी नहीं हुई तो जांच पड़ताल शुरू हो गई।
इसमें लोन लेने वाले से लेकर के दिलाने वाले तथा बैंक के अधिकारी भी लपेटे में आ गए। प्रकरण की सीबीआइ जांच शुरू हो गई। करोड़ों रुपए की हेराफेरी में अरुण सिंह की पत्नी प्रमिला सिंह जेल चली गईं। सीबीआई अरुण सिंह को गिरफ्तार करने के लिए नगवा ग्राम पंचायत में पांच दिनों से डेरा डाले हुए थी। जब इनका कुछ पता नहीं चला तो उनके घर पर दबिश देकर सीबीआइ ने इनके भाइयों की निगरानी में सामानों की फेहरिस्त बनानी शुरू कर दी। तभी जेल से उनकी पत्नी ने इसकी सूचना दी कि अगर हाजिर नहीं होते हैं तो सीबीआई के लोग कुर्की की कार्रवाई शुरू कर देंगे। लिहाजा दोपहर बाद लगभग 3:00 बजे अरुण सीबीआई अफसरों के सामने हाजिर हो गए। इसके पूर्व इसी प्रकरण में सीबीआई अफसरों ने पूर्व बीडीसी विजय प्रकाश भारती निवासी मड़ैली बढ़नपुरा तथा गाढ़ा ग्राम पंचायत निवासी रामकरन राम को भी गिरफ्तार किया। तीनों को गिरफ्तार करके सीबीआइ अफसर जनपद न्यायालय ले गए, वहां से ट्रांजिट रिमांड लेकर आजमगढ़ होते हुए लखनऊ चले गए।