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वाराणसी में कैशलेश बीमाधारकों के लिए निजी अस्पतालों में आरक्षित हैं बेड, न हो परेशान

कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर में निजी अस्पतालों में पैसे देने के बाद भी आम आदमी को बेड नहीं मिलने का प्रमुख कारण यह है कि बीमा कम्पनियों ने निजी अस्पतालों में अपने बीमाधारकों के लिए बेड आरक्षित करा लिया है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Sat, 01 May 2021 06:30 AM (IST)Updated: Sat, 01 May 2021 06:30 AM (IST)
वाराणसी में कैशलेश बीमाधारकों के लिए निजी अस्पतालों में आरक्षित हैं बेड, न हो परेशान
बीमा कम्पनियों ने निजी अस्पतालों में अपने बीमाधारकों के लिए बेड आरक्षित करा लिया है।

वाराणसी, जेएनएन। कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर में निजी अस्पतालों में पैसे देने के बाद भी आम आदमी को बेड नहीं मिलने का प्रमुख कारण यह है कि बीमा कम्पनियों ने निजी अस्पतालों में अपने बीमाधारकों के लिए बेड आरक्षित करा लिया है। जिले में बीमा कम्पनियों ने 15 निजी अस्पतालों में अपने ग्राहकों के लिए बेड आरक्षित कराया है। जिससे कि स्वास्थ्य बीमाधारकों को कोई परेशानी ना हो।

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प्रतिदिन मेडिक्लेम के 50 मरीज हो रहे भर्ती

निजी अस्पतालों में प्रतिदिन विभिन्न कम्पनियों के लगभग 50 मरीज कैशलेश मेडिक्लेम के भर्ती हो रहे हैं। इन मरीजों को अस्पतालों में अग्रिम भुगतान भी नहीं करना पड़ रहा है। स्टार हेल्थ बीमा कम्पनी के आशुतोष सिंह ने बताया कि कोविड 19 महामारी को लेकर कम्पनी बहुत सक्रिय है। यही मौका है जिसमें हम ग्राहकों का विश्वास जीत सकते हैं। आधी रात को भी यदि कम्पनी की ओर से ई-मेल या फोन आता है तो हम अपने सूचीबद्ध अस्पताल में मरीज को भर्ती करवा रहे हैं। साथ ही अस्पताल के खाते में इलाज के लिए अग्रिम राशि भी जमा कर रहे हैं।

ग्राहक इमरजेंसी में करें कम्पनी के टोलफ्री नंबर या अपने एजेंट को कॉल

कोविड 19 महामारी के लक्षण दिखाई देने पर मरीज के परिवारीजन बीमा कम्पनी के टोल फ्री नंबर या अपने एजेंट को कॉल कर सकते हैं। इमरजेंसी के समय कम्पनी के प्रतिनिधि 5 मिनट के अंदर उनसे संपर्क करके उन्हें नजदीकी अस्पताल में भर्ती करवा देंगे। जिससे उनकी जान बच सकती है।

इस माह बीमा कम्पनियों ने 10 अस्पतालों से किया टाइअप

कोविड 19 महामारी के बढ़ते मामलों को देखते हुए अपने ग्राहकों का भरपूर ख्याल रखने के लिए बीमा कम्पनियों ने 10 निजी अस्पतालों से अप्रैल माह में टाइअप किया है। संक्रमण काल के शुरुआत में केवल 5 अस्पताल ही बीमा कम्पनियों से सूचीबद्ध थे। बढ़ते मरीजों को देखते हुए बीमा कम्पनियों के अधिकारियों ने 10 अप्रैल को अस्पताल प्रबंधन के साथ वर्चुअल बैठक किया। जिसमें 10 और अस्पतालों के साथ बीमा कम्पनियों ने हाथ मिलाया।

बढ़ गया बीमा कम्पनियों पर दावों का भार

कोरोना महामारी के दूसरे लहर ने बीमा कम्पनियों पर दावों का भार बढ़ा दिया है। भारतीय जीवन बीमा निगम और अन्य निजी कम्पनियों के आंकड़ों को मिला दें तो जिले में अप्रैल माह में लगभग 8 हजार लोगों ने दावा प्रस्तुत किया है। बीमा कम्पनियों के सूत्रों की मानें इसमें स्वास्थ्य और मृत्यु दोनों तरह के दावे शामिल हैं। ऐसा पहली बार देखने को मिल रहा है जब बीमा कम्पनियों पर इतना ज्यादा राजस्व का भार पड़ा है। हालांकि अभी तो लोग दावे की कागजी प्रकिया पूरी कर रहे हैं। बीमा कम्पनियों के अधिकारियों की मानें तो अभी ज्यादातर दावे कागजी प्रक्रिया पूर्ण नहीं होने के कारण रुके हुए हैं। कम्पनी की ओर से ग्राहकों को फोन करके आवश्यक दस्तावेज मांगे जा रहे हैं। जिन लोगों द्वारा सभी कागजी प्रक्रिया पूर्ण कर दी गई है उनका दावा कार्पोरेट कार्यालय को भेज दिया गया है और जो बचे हैं उनको भेजने की प्रक्रिया चल रही है।

इन दस्तावेजों के कारण हो रही है समस्या

- मृत्यु प्रमाण पत्र

- बीमा प्रपत्र और खाता में दर्ज नाम में अंतर

- बीमा प्रपत्र और आधार में दर्ज नाम में अंतर

- मर्ज हुए बैंक द्वारा नया पासबुक जारी न होना

- मर्ज हुए बैंक द्वारा नया चेकबुक जारी न होना

- ब्लॉक द्वारा जारी मृत्यु प्रमाण पत्र पर एडीओ पंचायत का हस्ताक्षर न होना

आंकड़े

एलआईसी मृत्यु दावा 800

पीजीजीबी योजना 400

निजी बीमा कम्पनियों में मृत्यु दावा 1800

11 निजी बीमा कम्पनियों में स्वास्थ्य दावा 5000


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