Cancer Awareness News: उपचार की नई तकनीकें कैंसर को दे रही हैं मात
वाराणसी के होमी भाभा कैंसर हास्पिटल के उप निदेशक एवं मेडिकल ओंकोलाजिस्ट डा. बी के मिश्रा ने बताया कि आखिर देश में कई संक्रामक बीमारियों के साथ ही टीबी और कैंसर जैसी जानलेवा बीमारियां उपयुक्त उपचार के अभाव में बड़ी चुनौती थीं।
वाराणसी, जेएनएन। आजादी के अमृत महोत्सव के वर्ष में यह जानना सुखद है कि चिकित्सा जगत ने इस बीमारी की रोकथाम की कई तकनीकें व दवाएं विकसित की हैं और इस दिशा में निरंतर शोधकार्य जारी हैं। कैंसर एक जटिल बीमारी है, लेकिन यदि समय पर इसके संक्रमण का पता चल जाए और उपचार के लिए वक्त मिले तो स्वस्थ होने की काफी संभावना बढ़ जाती है। समय के साथ चिकित्सा के विभिन्न क्षेत्रों में प्रगति हुई और इस बीमारी पर भी बहुत काम हुआ। 1975 में नेशनल कैंसर कंट्रोल प्रोग्राम संचालित हुआ जिसके तहत रीजनल कैंसर सेंटर्स बनाने की शुरुआत हुई। इसके बाद 1985 में कैंसर की रोकथाम व रोग को जल्दी पहचानने के लिए कई योजनाएं और जागरूकतापरक कार्यक्रम शुरू किए गए।
सबसे अच्छी बात यह है कि समय के साथ कैंसर की पहचान एवं इलाज में उल्लेखनीय प्रगति हुई है। इससे रोगियों के स्वस्थ होने की संभावनाएं काफी बढ़ गई हैं। उपचार की तकनीकों में इम्युनोहिस्टो केमिस्ट्री, लिक्विड बायोप्सी एवं नैक्सट जीन सिक्वेंसिंग से कैंसर की शीघ्र व सही पहचान हो जाती है, जिससे रोगी को समय पर सटीक उपचार मिल जाता है। पीईटी व बोन स्कैन जैसी जांचें कैंसर को पहचानने में बड़ी उपलब्धि हैं। इन जांचों से यह सुनिश्चित हो जाता है कि व्यक्ति कैंसर संक्रमित है या नहीं अथवा रोग की स्थिति क्या है। इसके साथ ही रेडियोथेरेपी, कीमोथेरेपी, टार्गेटेड थेरेपी, इम्युनोथेरेपी का प्रयोग भी बहुत कारगर साबित हो रहा है। इम्युनोथेरपी व टार्गेटेड थेरेपी ने उन रोगियों के जीवन में उम्मीद की किरण जगाई है जो आर्थिक रूप से कमजोर हैं। इसके साथ ही सरकार की आयुष्मान भारत स्वास्थ योजना कैंसर रोगियों के लिए बहुत सहायक सिद्ध हो रही है।
अब आर्टीफिशियल इंटेलीजेंस से यह जानना आसान हो गया है कि भविष्य में संक्रमण किस तरह का परिवर्तन करेगा। इससे चिकित्सक पहले से ही आवश्यक दवाएं शुरू कर देते हैं और इन दवाओं का कोई दुष्प्रभाव भी नहीं होता है।