मोबाइल टावर बिना पावर : मऊ जिले में बीएसएनएल को लगभग 16 करोड़ राजस्व का घाटा
एक पखवारे से बिजली बिल जमा होने के अभाव विद्युत विभाग द्वारा काटे गए 100 मोबाइल बीटीएस टावरों के चलते एक लाख उपभोक्ता प्राइवेट टेलीकाम कंपनियों पर सवार हो गए।
मऊ, जेएनएन। केंद्र सरकार के दूरसंचार उपक्रम भारतीय दूरसंचार निगम यानि बीएसएनएल पर दोहरे आर्थिक संकट की मार टूट पड़ी है। एक पखवारे से बिजली बिल जमा होने के अभाव विद्युत विभाग द्वारा काटे गए 100 मोबाइल बीटीएस टावरों के चलते एक लाख उपभोक्ता प्राइवेट टेलीकाम कंपनियों पर सवार हो गए। इससे अभी तक निगम को लगभग 15 करोड़ रुपये के राजस्व का घाटा हुआ है। तो वहीं प्राइवेट कंपनियां चांदी काट रही हैं। धड़ाधड़ उनके ग्राहक आए दिन बढ़ते ही जा रहे हैं।
उधर निगम आर्थिक मंदी के दौर से उबरता नहीं दिख रहा है। पिछले आठ माह से एक्सचेंज व बीटीएस को मिलने वाले डीजल मद की धनराशि पूरी तरह रोक दी गई। तभी से बीएसएनएल की संचार व्यवस्था लडख़ड़ा गई। अभी इसी से निगम उबरा ही नहीं था कि बिजली विभाग द्वारा लाखों रुपये का बकाया होने पर बिजली विभाग द्वारा 100 मोबाइल बीटीएस टावरों की विद्युत आपूर्ति काट दी गई। हालांकि विभाग यह कार्रवाई पहले ही कर देता परंतु बीच में लोकसभा चुनाव होने के चलते रोक दिया गया था।
इधर बीटीएस यानि बेस ट्रांससिवर स्टेशनों की बिजली काट दिए जाने से जनपद में लाखों की तादात में मोबाइल डिब्बे की शक्ल में तब्दील हो गए। शहर को छोड़ ग्रामीण क्षेत्रों में बीएसएनएल सिम लगी लगभग दो लाख मोबाइलें पूरी तरह से बंद हो गई। एक पखवारे से लगातार बीएसएनएल सेवा धराशायी होने के चलते उपभोक्ता तेजी से प्राइवेट कंपनियों में अपना नंबर पोर्ट करा रहे हैं। चंद दिनों में लगभग एक लाख उपभोक्ताओं ने बीएसएनएल का साथ छोड़कर प्राइवेट कंपनियों का सहारा ले लिया। एक पखवारे जनपद के अधिकतर हिस्सों में सेवा पूरी तरह ठप होने से अभी तक निगम को लगभग 15 करोड़ के राजस्व का नुकसान उठाना पड़ा है।
आठ माह पूर्व से शुरू हुए बुरे दिन
जनपद में कुल 166 बीटीएस के माध्यम से लगभग चार लाख उपभोक्ताओं को नेटवर्किंग प्रदान की जाती है। पहले से ही बीएसएनएल के नेटवर्क को लेकर उपभोक्ता परेशान रहते थे। कभी काल ड्राङ्क्षपग तो कभी नेटवर्क का न होना। पिछले आठ माह पूर्व से ही बीएसएनएल के बुरे दिन शुरू हो गए थे। पहले जहां बीटीएस को चलाने के लिए डीजल की धनराशि दी जाती थी इस पर निगम में पूरी तरह से रोक लगा दिया। इसी बीच बिजली विभाग के लाखों का बकाया का बिल पहुंच गया। इस बिल को जमा करने में सर्किल आफिस लखनऊ ने भी असमर्थता जाहिर कर दी है। इसके चलते शहर में कुछ हद तक हालात ठीक हैं परंतु मुहम्मदाबाद गोहना, करहां, चिरैयाकोट, रानीपुर, सरसेना, सेमरी जमालपुर, मझवारा, रतनपुरा, हलधरपुर, कोपागंज, मधुबन, घोसी सहित ग्रामीण इलाकों लगभग दो लाख उपभोक्ताओं की मोबाइल ठप हो गई है।
प्राइवेट टेलीकाम कंपनियां उठा रही मौके का फायदा
मोदी सरकार प्रथम में बगल के जनपद गाजीपुर के सांसद मनोज सिन्हा के दूरसंचार मंत्री बनने से जनपद के उपभोक्ताओं को बड़ी उम्मीदें थी। पांच वर्ष का कार्यकाल बीत जाने के बाद भी कोई सुधार नहीं हुआ, जबकि जनपद में दौरे पर आए मंत्री ने आश्वस्त भी किया था। इधर एक पखवारे से बिजली बिल जमा नहीं कर पाने के चलते उपजे हालात में प्राइवेट कंपनियां मौके का फायदा भुनाने में जुट गई है। जगह-जगह स्टाल लगाकर सिम बांटे जा रहे हैं। हालांकि दूर-दराज गांवों में इन प्राइवेट कंपनियों की नेटवर्किंग भी दुरुस्त नहीं है।
आमजन की कौन ले खैर
एक पखवारे से सरकारी उपक्रम की नेटवर्किंग धड़ाम होने के चलते जहां पूरे जनपद में हाहाकार मचा है तो प्रशासन बेफिक्र। क्योंकि प्रशासनिक दबाव में अफसर कालोनी भुजौटी, विकास भवन सहित नगर के मोबाइल बीटीएस चल रहे हैं। इसलिए प्रशासनिक अधिकारियों को कोई दिक्कत नहीं हो रही।