एक और हादसे को दावत दे रहा अंग्रेजों के जमाने का पुल
वाराणसी में चाहे जितने भी हादसे हो जाएं लेकिन प्रशासन चेतावनी पर नहीं जागता।
वाराणसी : चाहे जितने भी हादसे हो जाएं लेकिन प्रशासन चेतावनी पर नहीं जागता। हा जब हादसा हो जाता है, तब एक दूसरे विभाग पर दोषारोपण करते हुए मामले पर सफाई दी जाती है। लेकिन इस दौरान हुई मौतों का जिम्मेदार भले जो कोई हो लेकिन मृतक का परिवार तो टूट ही जाता है।
इसी क्रम में कई बार जागरण द्वारा बताने के बाद भी विभाग उदासीन बना रहता है। उन्ही में से एक चोलापुर स्थित नाद नदी का पुल है, जिसका ईट पुल के बीचो-बीच नीचे से धीरे-धीरे टूटकर गिरता जा रहा है। कारण अंग्रेजों के जमाने का बना यह पुल ईट और सुर्खी चूना से जोड़ा गया है। जानकर बताते है कि इस जुड़ाई का यही नुकसान माना जाता है की एक ईंट जहा दरकी तो क्त्रमश: ईंट गिरते ही जाते हैं। एक दिन ऐसा आता है की पूरी तरह से गिर जाता है। इस समय पुल के नीचे से पाच फीट लंबा और तीन फीट चौड़ा ईंट गिर चुका है। अगर पब्लिक पुल के नीचे जाकर पुल की हालत देख ले तो कोई उस पुल से गुजरने की हिम्मत नहीं कर सकता।
इस फूल पर हजारों की संख्या में बसें, ओवरलोड ट्रकें सहित तमाम गाड़िया आती जाती रहती हैं। साथ ही यह पुल वाराणसी जिले को आजमगढ़ और गोरखपुर से जोड़ने का एक मात्र पुल है। क्षेत्र के अनिल सिंह, आनंद चौरसिया, दयाशकर सिंह, परदेसी राजभर, अनिल सेठ, भरत जायसवाल ने बताया की कई बार अधिकारियों से बताया गया। इसके बावजूद किसी पर कोई असर नहीं पड़ा है। जिस दिन हादसा हो जाएगा, यह लोग एक दूसरे विभाग पर दोषारोपण करने लगेंगे। लेकिन जिनके घर की जिंदगीया जाएंगी वह कभी लौट कर नहीं आएंगी। इस संबंध में तकनीकी प्रबंधक एनएचआइ 233 इंद्रेश कुमार ने बताया की मामले की जानकारी नहीं थी। उसको आज ही हम दिखवा कर जल्द से जल्द उसकी मरम्मत कराने का काम करेंगे। ताकि ईंट गिरना बन्द हो जाए।