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नकद रुपये लाओ और आक्सीजन सिलेंडर ले जाओ, चंदौली में प्लांट संचालकों की मनमानी से बढ़ गई परेशानी

चंदौली में पांच आक्सीजन प्लांट हैं। एक पीडीडीयू नगर और चार रामनगर स्थित औद्योगिक क्षेत्र में हैं। कोरोना से पूर्व सन्नाटे से साये में रहने वाले इन प्लांटों के बाहर अब लंबी लाइन लगी है। सरकारी और निजी अस्पतालों के कर्मी वाहन से सिलेंडर लेकर रिफिलिंग कराने पहुंच रहे हैं।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Fri, 23 Apr 2021 05:31 PM (IST)Updated: Fri, 23 Apr 2021 05:31 PM (IST)
नकद रुपये लाओ और आक्सीजन सिलेंडर ले जाओ, चंदौली में प्लांट संचालकों की मनमानी से बढ़ गई परेशानी
प्राण वायु न मिलने से कोरोना के गंभीर मरीजों की सांसें थम जा रही हैं।

चंदौली, जेएनएन। कोरोना काल में आक्सीजन की खपत क्या बढ़ी, प्लांट संचालक मनमानी हो गए। सरकारी अस्पतालों को आक्सीजन सिलेंडर देने के लिए नकद रुपये की डिमाांड कर रहे हैं। वहीं रुपये न देने पर सिलेंडर की रिफिलिंग में जानबूझकर देरी कर रहे। वहीं आक्सीजन सिलेंडर के वाहनों को भी रोक दिया जा रहा। इससे मुश्किलें बढ़ गई हैं। प्राण वायु न मिलने से कोरोना के गंभीर मरीजों की सांसें थम जा रही हैं।

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जिले में पांच आक्सीजन प्लांट हैं। एक पीडीडीयू नगर और चार रामनगर स्थित औद्योगिक क्षेत्र में हैं। कोरोना से पूर्व सन्नाटे से साये में रहने वाले इन प्लांटों के बाहर अब लोगों की लंबी लाइन लगी है। सरकारी और निजी अस्पतालों के कर्मी वाहन से सिलेंडर लेकर रिफिलिंग कराने पहुंच रहे हैं। उन्हें आक्सीजन के लिए आठ से 10 घंटे तक इंतजार करना पड़ रहा है। प्लांट संचालकों की मनमानी सरकारी अस्पतालों पर भारी पड़ने लगी है। दरअसल, निजी अस्पतालों की ओर से आक्सीजन सिलेंडर की मुंहमांगी कीमत दी जा रही है। रुपये का भुगतान तत्काल कर दिया जा रहा। ऐसे में प्लांट संचालक सरकारी अस्पतालों को आक्सीजन देने में आनाकानी करने लगे हैं। इस रैवेये से जिला अस्पताल में बनाए गए एल-टू वार्ड में अब आक्सीजन की किल्लत होने लगी है। आक्सीजन सिलेंडर की कमी के चलते यहां रोजाना मात्र 15-16 मरीज ही भर्ती किए जा रहे हैं।

यदि आक्सीजन की पर्याप्त उपलब्धता रहे तो अधिक मरीजों को भर्ती किया जा सकता है। जिला अस्पताल का पीडीडीयू नगर स्थित आक्सीजन प्लांट से पुराना कांट्रैक्ट है। आपातकालीन सेवा समेत आपरेशन आदि के लिए प्लांट से अस्पताल में आक्सीजन सिलेंडर की आपूर्ति होती रही है। इसी अनुबंध के आधार पर जिला अस्पताल प्रशासन वर्तमान में भी आक्सीजन सिलेंडर की डिमांड कर रहा है, लेकिन प्लांट संचालक अब नकद रुपये की डिमांड कर रहे हैं। रुपये न मिलने पर सिलेंडर की रिफिलिंग में विलंब किया जाता है। वहीं सिलेंडर वाहन को भी रोकने का मामला भी सामने आया है। इससे अस्पताल प्रशासन की चिंता बढ़ गई हैं। जिला प्रशासन की ओर से यदि आक्सीजन प्लांट संचालकों पर सख्ती करते हुए मनमानी नहीं रोकी गई तो सरकारी अस्पतालों में भर्ती होने वाले कोरोना के गंभीर मरीजों का जीवन संकट में पड़ जाएगा।

रोजाना 50 से 60 जंबो आक्सीजन सिलेंडर की खपत है

आक्सीजन प्लांट संचालक की ओर से सिलेंडर रिफिलिंग के लिए नकद रुपये की डिमांड की जा रही है। सरकारी प्रक्रिया के तहत यह संभव नहीं है। रुपये न मिलने पर अस्पताल के वाहन को रोकने और सिलेंडर रिफिलिंग में जानबूझकर विलंब की भी शिकायतें मिली हैं। अस्पताल के कर्मी सुबह प्लांट पर पहुंच रहे, लेकिन देर रात तक लौट रहे हैं। इससे दिक्कत हो रही है। यहां रोजाना 50 से 60 जंबो आक्सीजन सिलेंडर की खपत है।

- डाक्टर भूपेंद्र द्विवेदी, सीएमएस, जिला अस्पताल


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