'नमामि गंगे' से गोमती को पुनर्जीवित करने की योजना पर ब्रेक, एनजीटी ने संशोधन को कहा
प्रदूषित हो रही गोमती नदी को पुनर्जीवित करने के लिए नमामि गंगे मिशन से जोड़ तो दिया गया लेकिन अभी तक इस दिशा में कोई कार्य शुरू नहीं किया जा सका है।
जौनपुर, जेएनएन। प्रदूषित हो रही गोमती नदी को पुनर्जीवित करने के लिए 'नमामि गंगे' मिशन से जोड़ तो दिया गया, लेकिन अभी तक इस दिशा में कोई कार्य शुरू नहीं किया जा सका है। गोमती में समाहित हो रहे नालों के पानी से प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ रहा है। प्रदूषित पानी को गोमती में जाने से रोकने के लिए मेगा प्रोजेक्ट तैयार गया है। इसके तहत गोमती के आस-पास तीन इंटरवेल बनाए जाने थे। एकीकृत गंगा संरक्षण मिशन के तहत इस पूरी परियोजना पर 200 करोड़ रुपये खर्च करने का प्रस्ताव तैयार किया था, जिसमे राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) ने आंशिक बदलाव करने का निर्देश दिया है। ऐसे में गोमती सफाई की इस परियोजना के लटकने के आसार हैं।
जौनपुर शहर में 14 बड़े नाले हैं। नालों का प्रदूषित पानी सीधे गोमती में समाहित होने की वजह से प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ रहा है। ऐसे में अस्तित्व से जूझ रही गोमती को पुनर्जीवित करने को मेगा प्रोजेक्ट तैयार किया गया है। नालों का पानी गोमती में जाने की बजाय इंटेकवेल में जाएगा, जहां से इसे पचहटिया में बनाए जाने वाले सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) में डाल कर इसे गोमती में जाने योग्य बनाया जाएगा। दूषित पानी गोमती में जाने की वजह से गोमती का प्रदूषण कई गुना बढ़ गया है।
इन स्थानों पर बनाए जाने हैं इंटेकवेल : बलुआघाट में आठ मीटर चौड़ा, हनुमानघाट में आठ मीटर चौड़ा व शेखपुर में छह मीटर चौड़ा। बलुआघाट व हनुमान घाट पर पाइप को उस पार करने के लिए पुल भी बनाया जाएगा।
बोले अधिकारी : गंगा की तर्ज पर गोमती की सफाई को लेकर मेगा प्रोजेक्ट का प्रस्ताव तैयार कर मुख्यालय भेजा जा चुका है। एनजीटी से मिले निर्देश के बाद प्रोजेक्ट में कुछ बदलाव किया गया है। सभी औपचारिकताएं तकरीबन पूरी की जा चुकी हैं। इस महत्वपूर्ण परियोजना के निर्माण के लिए जल्द ही टेंडर जारी किया जाएगा।
- सुनील कुमार, अधिशासी अभियंता, निर्माण खंड, जल निगम।