Varanasi में किताबों की दुकानों का खुला लॉक, छात्रों व अभिभावकों की पूरे दिन रही भीड़
सोमवार को किताब-कापी व स्टेशनरी की दुकान खुलते ही बच्चों संग अभिभावकों की भीड़ देखी गई।
वाराणसी, जेएनएन। किताब-कापी की बिक्री सप्ताहभर पहले ऑनलाइन हुई थी। इसके बावजूद किताबें बच्चों से दूर थीं। फोन करने पर भी अधिकृत ज्यादातर दुकानदार ऑनलाइन किताबों की आपूर्ति नहीं कर रहे थे। इसके चलते पठन-पाठन प्रभावित हो रहा था। वहीं, सोमवार को किताब-कापी व स्टेशनरी की दुकान खुलते ही बच्चों संग अभिभावकों की भीड़ देखी गई। करीब 45 दिनों के बाद किताबों के दुकानों का लॉक खुला और दुकानों पर रौनक लौट आई।
शैक्षिक संस्थानों में ऑनलाइन पढ़ाई के चलते नए सत्र पर कोरोना महामारी का ज्यादा असर नहीं दिखाई पड़ा। लॉकडाउन के चलते शैक्षिक संस्थानों को नए सत्र का आगाज इस बार ऑनलाइन करना पड़ा। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा परिषद (सीबीएसई) से संचालित ज्यादातर विद्यालयों में पहली अप्रैल से ही ऑनलाइन क्लासेस चल रही हैं। वहीं, यूपी बोर्ड में ऑनलाइन पढ़ाई 20 अप्रैल से शुरू हुई है। ऑनलाइन पढ़ाई में किताब-कापी का अभाव बच्चों व अभिभावकों को भी खटक रहा था। किताबें भी ऑनलाइन होने के बावजूद पढऩे की दिक्कत आ रही थी। यही कारण है कि दुकान खुलते ही बच्चों व अभिभावकों की प्राथमिकताओं में किताब-कापी भी शामिल रही। खास बात यह है कोरोना महामारी को देखते हुए शासन ने शुल्क वृद्धि पर रोक लगा दी है।
वहीं, कापी-किताब के दामों में इस वर्ष पांच से दस फीसद बढ़ गए हैं। अभिभावकों का कहना है कि 25 रुपये वाली कापी अब 30 रुपये में मिल रही है। इसी प्रकार किताब के दाम भी बढ़ गए हैं। हालांकि निजी प्रकाशकों के किताब के दाम बढ़े हैं। एनसीईआरटी की किताबों के दाम यथावत हैं।