वोटरों से बैर, मृतकों का पूछा खैर, मृतकों की पर्ची लेकर बूथों पर बैठे रहे बीएलओ
मतदाता सूची में नाम जोडऩे वाले जिम्मेदारों ने ऐसी जिम्मेदारी निभाई की मतदाता मतदान करने से वंचित रह गए। जो जिंदा हैं उनका नाम मतदाता सूची में नहीं था।
वाराणसी, जेएनएन। मतदाता सूची में नाम जोड़ने वाले जिम्मेदारों ने ऐसी जिम्मेदारी निभाई की मतदाता मतदान करने से वंचित रह गए। जो जिंदा हैं उनका नाम मतदाता सूची में नहीं था, मृतकों का नाम मतदाता सूची में देख लोग अवाक थे। मृतकों नाम मतदाता सूची में होने और जिंदों का नहीं होने से नाराज लोगों ने मतदेय स्थल पर नाराजगी जाहिर करने के साथ मौके पर मौजूद बीएलओ को खरी-खोटी सुनाई। खुद की गलती होने के चलते उनके मुंह से आवाज नहीं निकल रहे थे। बस वे मतदाताओं को समझाते रहे।
लोकसभा चुनाव की तैयारी को लेकर जिला निर्वाचन कई माह से जुटा था। नए मतदाताओं का नाम प्रमुखता से जोडऩे के साथ मृतकों और दूसरे शहर में रहने वाले मतदाताओं नाम काटने के लिए फार्म भरवा रहे थे। इसके लिए कई बार विशेष अभियान तक चलाए गए। बूथ लेबल अफसर (बीएलओ) और सुपरवाइजरों ने मतदाताओं का आवेदन फार्म लेने की औपचारिकता जरूर निभाई लेकिन उसे समय से जमा नहीं किया, यदि जमा किया तो यह सुनिश्चित नहीं किया कि आवेदन फार्मों का क्या हुआ। अफसर वाहवाही लूटने के साथ फाइल तैयार करते रहे। हुआ वही जिस बात का डर था। बीएलओ व सुपरवाइजरों की लापरवाही के चलते कई मतदाता अपने मौलिक अधिकार से वंचित रह गए।
मतदाताओं ने सेक्टर मजिस्ट्रेट को घेरा
पिछले चुनावों में मतदाता सूची में नाम दर्ज होने के साथ मतदाताओं के पास वोटर आईडी भी है। उत्साह के साथ मतदाता अपने मताधिकार का इस्तेमाल करने बूथों पर पहुंचे तो मालूम चला कि उनका नाम ही सूची में नहीं है। नाराज मतदाताओं ने कई स्थानों पर मजिस्ट्रेटों को घेरा लेकिन वे किसी तरह उन्हें समझाकर शांत कराए।
वोटर आईडी लेकर पहुंचे और लौट गए
बीएचयू स्थित बाला जी कालोनी की रहने वाली आरती सिंह ने बताया कि पिछले लोकसभा और विधानसभा चुनाव में मेरा नाम था। मतदान भी किया लेकिन इस बार मेरा नाम मतदाता सूची में नहीं है। मेरे से कालोनी में कई लोगों का नाम नहीं है। यहीं की रहने वाली शिक्षिका भारती कुशवाहा कहती हैं कि एक बार मतदाता सूची में नाम दर्ज होने के बाद कैसे कट जाता है, इससे साफ जाहिर होता है कि जिम्मेदार घर बैठे काम करते हैं। सारनाथ के महाबोधि इंटर कालेज बूथ पर उस समय लोग हैरान हो गए जब गंज के रहने वाले रघुनाथ और घुरहूपुर के बागेश्वरी देवी का मतदाता सूची में नाम दर्ज था जबकि दोनों की मौत काफी पहले हो चुकी है। दोनों का फोटोयुक्त पर्ची लिए बूथ पर बीएलओ बैठे थे।
चंदुआ छित्तुपुर के रहने वाले संतोष कुमार, शीला गुप्ता, आदेश गुप्ता और आकाश गुप्ता का पिछले चुनाव में नाम होने के साथ पहचान पत्र था। वे सिंचाई विभाग कालोनी में बूथ पर मतदान करने गए तो उनका नाम मतदाता सूची में नहीं था। नाराजगी जाहिर करते हुए वे बैरंग लौट गए। सीरगोवर्धन की रहने वाली मिसेज इंडिया ईस्ट-2018 प्रज्ञा पांडेय के पास वोटर आईडी है लेकिन मतदाता सूची में नाम गायब हो गया है। जबकि पिछले साल मतदान किया था। इंपीरियल पब्लिक स्कूल मतदान केंद्र 60 लोगों का नाम मतदाता सूची से गायब था। इनके पास निर्वाचन आयोग का परिचय पत्र है।
शिवदासपुर के कल्लो देवी का रमना में, दिलीप कुमार, पूजा, माधुरी, संतोष दास, दुलारी का नाम दूसरे बूथों पर चला गया। भदैनी के संपूर्णानंद तिवारी का मतदाता सूची में इस बार नाम नहीं है। बेरूका के बूथ संख्या 197 पर मतदान करने पहुंची यामिना बेगम का परिचय पत्र है लेकिन मतदाता सूची में नाम नहीं है। जिले के कई बूथों पर निर्वाचन आयोग का परिचय पत्र होने के बाद भी मतदाता सूची में नाम नहीं था। कई स्थानों पर मतदाता सूची में महिला की जगह पुरुष और पुरुष की जगह महिला हो गया था। इसको लेकर बूथों पर विवाद होता रहा।
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