Move to Jagran APP

संकट मोचन संगीत समारोह में बिरजू महाराज का कथक और पं. जसराज के सुरों ने बांधा समां

अनूठे संयोग में प्रस्तुतियां दीं और श्रोताओं का मन मयूर इस कदर झूमा कि यह भाव बाहर भी नजर आया। इसकी अभिव्यक्ति हर हर महादेव उद्घोष के रूप में गूंजता रहा।

By Ashish MishraEdited By: Published: Fri, 06 Apr 2018 09:17 AM (IST)Updated: Fri, 06 Apr 2018 09:19 AM (IST)
संकट मोचन संगीत समारोह में बिरजू महाराज का कथक और पं. जसराज के सुरों ने बांधा समां
संकट मोचन संगीत समारोह में बिरजू महाराज का कथक और पं. जसराज के सुरों ने बांधा समां

वाराणसी (जेएनएन)। संकट मोचन संगीत समारोह का मंच गुरुवार की शाम दो सितारों के नाम रहा। पं. बिरजू महाराज ने कथक के भावों से तो पं. जसराज ने सुरों से नटवर नागर का रूप सजाया। अनूठे संयोग में प्रस्तुतियां दीं और श्रोताओं का मन मयूर इस कदर झूमा कि यह भाव बाहर भी नजर आया। इसकी अभिव्यक्ति हर हर महादेव उद्घोष के रूप में गूंजता रहा।

loksabha election banner

समारोह की दूसरी निशा में पहली प्रस्तुति के लिए मंच पर उतरे बिरजू महाराज ने कथक में गिनती की तिहाइयां और आमद से ही समा बांध दिया। स्वरचित 'श्याम की हर सांस में राधा बसी है... पर भाव नृत्य किया और बंदिश 'जाने दे मायका मोहे सजनवा... पर विद्युत गति से सजते भावों में हर को बांध लिया। मध्य लय तीन ताल में उपज, राग देस में भाव नृत्य व गत निकास और राग मिया मल्हार में झुमाया तो बारिश की बूंदों का अहसास देते हुए मयूर नृत्य पर थिरकने को विवश कर दिया। इससे पहले उन्होंने बोल पढ़ंत का मोर्चा संभाला और 'जाके हनुमत हृदय बसे हैं, ध्यान करो हनुमंत रूप को... फिजा में घुल गया। इस पर उनकी पोती रागिनी महाराज व पोते त्रिभुवन महाराज ने  कथक प्रस्तुत किया।

चार दिन पूर्व लिखित छोटी बंदिश तीन ताल 16 मात्रा में प्रस्तुत की। इसमें परंपरागत कथक आमद-उठान, परन पेश किया। तिहाइ में गेंद, मित्रों को ढूंढऩे आदि खेलों का बखूबी प्रदर्शन किया। राधा कृष्ण की छोटी सी गत प्रस्तुतिकरण में आलिंगन, छेड़छाड़ के साथ ही आधुनिकता का पुट घोलते हुए नेटवर्क कटने को तिहाई में दिखाया। तबले व घुंघरू की युगलबंदी से भी रिझाया।

पं. जसराज ने साधे अनूठे राग

ख्यात शास्त्रीय गायक पद्मविभूषण पं. जसराज ने इस बार लीक से हटते हुए प्रभु चरणों में रात के प्रथम प्रहर में हाजिरी लगाई। राग जयजयवंती में नटवर नागर की स्तुति की। 'मंगलम भगवान विष्णु मंगलम गरुड़ ध्वज: ... से आरंभ किया और 'मन मंदिर में विराजत अवध नरेश... से विभोर किया। 'जोगिया बोले... में हवेली संगीत को राग वसंत से सजाया। अपने प्रसिद्ध भजन गोविंद दामोदर माधवेति... से श्रद्धा -भक्ति की गंगा बहाई। वर्ष 1972 से प्रभु दरबार में हाजिरी लगाने आ रहे पं. जसराज हर बार भोर में प्रस्तुति देते रहे हैं लेकिन इस बार उन्होंने प्रभु को दूसरा राग सुनाने की इच्छा जताई थी।

इसके अलावा धारवाड़ के विजय पाटिल ने राग गावती विलंबित एक ताल में धन-धन भाग... और जोड़ में धिन धिन ता... सुनाया। तीन ताल में अंत न लागे... व पार न पायो... सुनाकर तालियां बटोरीं। द्रुत एक ताल में ढूंढ़ लाओ मालनिया से... मंत्र मुग्ध किया। विवेक सोनार ने बांसुरी पर राग चंद्र कौंस में आलाप जोड़ झाला बजाया। मध्य ताल नौ मात्रा में गत, द्रुत तीन ताल में भी गत और सवाल-जवाब के साथ ही पहाड़ी धुन को भी स्वर दिया। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.