ऑस्ट्रेलियाई पक्षी पहली बार काशी में, फरवरी तक आएंगे करीब सात हजार प्रवासी पक्षी
वाराणसी में गंगा के तट पर हजारों की संख्या में विदेशी पक्षी गंगा के तट पर नजर आ रहे हैं जिसमें आस्ट्रेलियाई रफ बर्ड शामिल है।
वाराणसी, जेएनएन। दो महीने बाद बनारस में पहली बार प्रवासी भारतीय सम्मेलन होने जा रहा है लेकिन उससे पहले हजारों की संख्या में प्रवासी पक्षी काशी आ रहे हैं। इन विदेशी पक्षियों के कारण गंगा की सैर करने वाले पर्यटकों में खुशी का माहौल है। रफ बर्ड सहित अन्य विदेशी पंछियों के कलरव की वजह से घाटों का सौंदर्य और खूबसूरत हो जाता है। फरवरी के आखिरी सप्ताह तक ये पक्षी बनारस में रहेंगे। खास बात यह कि इन्हें देखने के लिए घाटों पर लोगों की भीड़ लगी रहती है।
वन क्षेत्राधिकारी एनपी सिंह ने सोमवार को बताया कि पहली बार दो दिन पहले लगभग एक दर्जन ऑस्ट्रेलियाई पक्षी रफ बर्ड गंगा क्षेत्र में दिखे है। उम्मीद है कि कुछ दिनों बाद इनकी संख्या में और बढ़ोत्तरी होगी। इससे हम अनुमान लगा रहे है कि बनारस का वातावरण पक्षियों के लिए अनुकूल होते जा रहा है। इनके अलावा रॉक्स सीजन और पेटेंट स्टार्क पक्षी भी खूब आते हैं।
पूर्वी साइबेरिया और कजाकिस्तान से सबसे अधिक पक्षी साइबेरियन क्रेन, ग्रे हेरोन और ब्लैक बिंग्ट आते हैं। ये सैकड़ों की झुंड में आते हैं। देशी पक्षियों में हरिल की संख्या भी अच्छी-खासी होती है। वन अधिकारी का कहना है साइबेरिया में यूरेशिया में ठंड के कारण इन पक्षियों के आहार खत्म हो जाते हैं। इस कारण ये पक्षी एक महीने तक की उड़ान पूरी कर बनारस और कैथी क्षेत्र में आते हैं। ये पक्षी 15 से 20 डिग्री तापमान के बीच रहना अधिक पसंद करते हैं। यह मौसम इनके प्रजनन काल के लिए सबसे सर्वोत्तम होता है।