Varanasi Airport पर पक्षियों और वन्य जीवों से विमान को खतरा, नागर विमानन महानिदेशालय ने किया अलर्ट
लॉकडाउन में विमानों का आवागमन कम होने से वाराणसी एयरपोर्ट और आस-पास के क्षेत्रों में पक्षियों समेत वन्य जीवों से खतरा बढ़ गया है।
वाराणसी, जेएनएन। लॉकडाउन में विमानों का आवागमन कम होने से एयरपोर्ट और आस-पास के क्षेत्रों में पक्षियों समेत वन्य जीवों से खतरा बढ़ गया है। ऐसे में एयरपोर्ट पर अधिकारियों-कर्मचारियों और सुरक्षा एजेंसियों को अलर्ट रहने को कहा गया है। इस आशय का आदेश नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) ने जारी कर पक्षियों व वन्य जीवों की निगरानी करने को कहा है। अधिकारी अपने स्तर से इसकी खुद मानीटरिंग भी करें।
लॉकडाउन के दौरान काफी दिनों तक विमान सवाएं बंद थी। शुरू हुई तो विमानों की संख्या कम है। इसके चलते सुरक्षा कर्मी और पक्षियों को भगाने वाली एजेंसी के भी शिथिल होने से इंकार नहीं किया जा सकता है। वहीं, यात्रियों का भी आवागमन काफी कम हो गया है जिससे एयरपोर्ट के आपरेशनल क्षेत्र में पक्षियों और वन्य जीवों की गतिविधियां बढ़ गई होगी। विमान सेवा प्रारंभ करने से पूर्व जब एयरपोर्ट के अधिकारियों ने रन-वे और आपरेशनल क्षेत्र का भ्रमण किया तो सियार, साही और लोमड़ी जैसे जंगली जानवर गांवों की तरफ निकल गए। जानवरों के चलते गांव के लोग भी सहम गए थे। हालांकि बाद में विमानों का संचालन होने के बाद सब कुछ सामान्य हो गया। अधिकारियों ने बताया कि डीजीसीए द्वारा जारी आदेश को ध्यान में रखते हुए पहले निगरानी बढ़ा दी गई है।
पक्षियों और जानवरों को भगाने में खर्च होते हैं लाखों
विमानों के लैंडिंग और टेक आफ के दौरान पक्षियों समेत वन्य जीवों से सर्वाधिक खतरा होता है। तेजी से चल रहे विमानों का इंजन हवा के वेग में इन पक्षियों को अंदर खींच लेता है जिससे ये पक्षी इंजन को जाम कर देते हैं। विमान के इंजन में पक्षी फंसने के चलते घर्षण होने पर आग लगने की संभावना अधिक होती है। इन सबसे विमानों को बचाने के लिए वाराणसी एयरपोर्ट पर हर साल 21 लाख से अधिक रूपये खर्च किए जाते हैं। एयरपोर्ट के आपरेशनल क्षेत्र में 12 युवकों की शिफ्ट में तैनाती की जाती है। इनके द्वारा पटाखा, जोन गन समेत अन्य उपकरणों की मदद से पक्षियों और जानवरों को भगाया जाता है।