वाराणसी में आयोजित भोजपुरिया बयार में बड़ी घोषणा, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ में खुलेगा भोजपुरी संस्थान
फिजी में रामायण के प्रसार के लिए वहां लगभग 2000 से ज्यादा रामायण मंडलियांं हैं। उन्होंने कहा कि भाषा एक ऐसा माध्यम है जो एक दूसरे से जोड़ता है। जब दूसरे देश में कोई अपना भाषा बोलता है तो अपनापन बढ़ जाता है।
वाराणसी, जेएनएन। बड़ा लालपुर स्थित जीवनदीप महाविद्यालय में विश्व भोजपुरी सम्मेलन के भोजपुरिया बयार का उद्घाटन मुख्य अथिति नीलेश रोहिल कुमार (राजदूत फिजी) ने किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रो. टीएन सिंह ने किया। मुख्य अतिथि ने कहा कि भोजपुरी दुनिया के हर कोने में बोली जाती है। फिजी की संस्कृति पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि भारत से 60 हजार 553 लोग फिजी में रहते है।
भारत के लोग यहां से ज्यादा सामान तो नहीं ले के गए लेकिन जो समान ले के गए उसमें सबसे महत्वपूर्ण रामायण है। उन्होंने बताया कि भारत की संस्कृति और फिजी के सांस्कृतिक वातावरण में बहुत सी समानता है। वहां आज भी रामायण का प्रचार प्रसार किया जाता है। फिजी की कुल आबादी लगभग 9 लाख है। सबसे खास बात यह है कि रामायण के प्रसार के लिए वहां लगभग 2000 से ज्यादा रामायण मंडलियांं हैं। उन्होंने कहा कि भाषा एक ऐसा माध्यम है जो एक दूसरे से जोड़ता है। जब दूसरे देश में कोई अपना भाषा बोलता है तो अपनापन बढ़ जाता है। उनके स्वागत में कॉलेज की छात्राओं ने गणपति वंदना और सरस्वती वंदना की प्रस्तुति से उनका स्वागत किया।
काशी विद्यापीठ में खुलेगा भोजपुरी संस्थान
भोजपुरिया बयार में अध्यक्षता करते हुए महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के कुलपति प्रो. टीएन सिंह ने कहा कि विश्व में भोजपुरी के रस को देखते हुए उन्होंने कहा कि आने वाले समय में काशी विद्यापीठ में भी भोजपुरी अध्ययन केंद्र खोलने पर विचार किया जाएगा। इसके लिए शासन को प्रस्ताव बनाकर भेजा जाएगा।