EXCLUSIVE : ऑपरेशन के काबिल ही नहीं वाराणसी में ट्रामा सेंटर का Operation Theater
पूर्वांचल सहित बिहार-बंगाल के मरीजों को जीवनदान देने वाला ट्रामा सेंटर अब खुद बीमार है।
वाराणसी, जेएनएन। पूर्वांचल सहित बिहार-बंगाल के मरीजों को जीवनदान देने वाला ट्रामा सेंटर अब खुद बीमार है। यहां के ऑपरेशन थिएटर में मरीजों को निमोनिया व सेप्टीसीमिया जैसे गंभीर संक्रमण का सामना करना पड़ सकता है और उनकी जान भी जा सकती है। माइक्रो-बायोलाजिकल सर्विलांस की रिपोर्ट के मुताबिक कई ओटी ऑपरेशन के लायक ही नहीं हैं, वहीं पोस्ट ऑपरेटिव वार्ड की आबो-हवा भी खराब है। ऑपरेशन थिएटर के भीतर का ही नहीं, बल्कि आस-पास का वातावरण स्वच्छ होना चाहिए। इसके लिए माइक्रो-बायोलाजिकल सर्विलांस टीम नियमित अंतराल पर ओटी एवं इमरजेंसी पोस्ट ऑपरेटिव वार्ड से नमूने लेकर हवा में मौजूद डस्ट, वायरस व बैक्टीरिया की मौजूदगी का पता लगाती है।
पिछले माह ट्रामा सेंटर के सभी ओटी व पोस्ट ऑपरेटिव वार्ड की जांच कराई गई थी। इसमें ऑर्थोपेडिक ऑपरेशन थिएटर -8, 9, 10 एवं इमरजेंसी पोस्ट ऑपरेटिव वार्ड-1 व 2 की स्थिति 'नॉट एसेप्टेबल' यानी बदतर पाई गई। सूत्रों के अनुसार पिछले तीन माह से ऑर्थोपेडिक ओटी के हेपा फिल्टर खराब हैं। इसे बदलने के लिए कई बार ट्रामा सेंटर प्रभारी प्रो. एसके गुप्ता को सूचित भी किया गया, बावजूद इसके हालात जस के तस बने हुए हैं।
मरीजों में संक्रमण का खतरा : आइएमएस-बीएचयू स्थित माइक्रोबायोलॉजी विभाग के प्रो. गोपालनाथ के मुताबिक दूषित वातावरण में ऑपरेशन करने से सेप्टीसीमिया (रक्त संक्रमण) व निमोनिया (फेफड़े का संक्रमण) का खतरा रहता है। इसमें कई बार मरीजों की जान भी चली जाती है।
क्या है हेपा फिल्टर : हेपा एक तरह का मैकेनिकल एयर फिल्टर है, जो दूषित तत्वों को खींच लेता है। ये फिल्टर, डस्ट के साथ-साथ बैक्टीरिया और वायरस को भी पकड़ लेता है, जिससे ओटी का वातारण पूरी तरह स्वच्छ रहता है।
-कल्चर रिपोर्ट में जो भी कमियां मिलीं थीं, उन्हें दूर कर लिया गया है। जहां तक बात हेपा फिल्टर की है, उसे खरीदने की प्रक्रिया चल रही है। - प्रो. घनश्याम यादव, डिप्टी एमएस-ट्रामा सेंटर (आइएमएस-बीएचयू)
- ओटी में नियमित तौर पर बैक्टीरिया आदि के लिए कल्चर कराया जाता है। रिपोर्ट में जो भी कमियां सामने आई हैं, उस पर अस्पताल प्रबंधन से जुड़े लोग निर्णय लेंगे। - प्रो. एके राय, अर्थोपेडिक्स विभागाध्यक्ष (आइएमएस-बीएचयू)
वर्ष |
संख्या |
2016 | 8678 |
2017 | 10481 |
2018 | 11919 |
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वर्ष |
संख्या |
2016 | 3441 |
2017 | 7119 |
2018 | 8545 |
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