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बीएचयू को नहीं मिला इंजीनियर तो दो छात्रों छात्रों ने छह घंटे में कर दिए 12 वेंटिलेटर दुरुस्त

बीएचयू के ट्रॉमा सेंटर में खराब वेंटिलेटर को ठीक करने के लिए कई दिनों से कोई इंजीनियर नहीं मिल रहे थे तो आइआइटियंस और युवा उद्यमी नित्यानंद और दिव्यांशु ने छह घंटे में 12 खराब वेंटिलेटर को दुरुस्त कर दिया।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Sat, 08 May 2021 09:10 PM (IST)Updated: Sat, 08 May 2021 09:10 PM (IST)
बीएचयू को नहीं मिला इंजीनियर तो दो छात्रों छात्रों ने छह घंटे में कर दिए 12 वेंटिलेटर दुरुस्त
आइआइटियंस और युवा उद्यमी नित्यानंद और दिव्यांशु ने छह घंटे में 12 खराब वेंटिलेटर को दुरुस्त कर दिया।

वाराणसी,जेएनएन। बीएचयू के ट्रॉमा सेंटर में खराब वेंटिलेटर को ठीक करने के लिए कई दिनों से कोई इंजीनियर नहीं मिल रहे थे, तो आइआइटियंस और युवा उद्यमी नित्यानंद और दिव्यांशु ने छह घंटे में 12 खराब वेंटिलेटर को दुरुस्त कर दिया।

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दैनिक जागरण में छह मई को 'बीएचयू के ट्रॉमा सेंटर में 14 वेंटिलेटर भी बीमार' हेडलाइन से छपी खबर के बाद नित्यानंद ने जिलाधिकारी कौशलराज शर्मा को फोन कर उसे ठीक करने की बात कही। जिलाधिकारी ने ट्रॉमा सेंटर सहित लहरतारा स्थित कैंसर अस्पताल के भी खराब पड़े वेंटिलेटर ठीक करने की जिम्मेदारी उन्हें दे दी। इसके बाद नित्यानंद अपने मित्र दिव्यांशु के साथ वेंटिलेटर को ठीक करने निकल पड़े। शुक्रवार को कैंसर अस्पताल लहरतारा में उन्हाेंने छह में से दो, तो वहीं ट्रॉमा सेंटर में 14 खराब वेंटिलेटर में 12 को चालू कर दिया। उन्होंने तीन से चार बार सभी वेंटिलेटर को खोलकर दोबारा से असेंबल किया।

इस बीच केबल व अन्य कई संसाधनों की जरूरत भी पड़ी तो वह भी नित्यानंद अपने घर से लेकर गए थे। काफी मशक्कत के बाद सारे वेंटिलेटर दोनों छात्रों ने चलाकर दिखा दिया। यह देख वहां मौजूद डाक्टरों और कर्मचारियों ने उनकी भूरि-भूरि प्रशंसा भी की। नित्यानंद ने कहा कि हम यदि सक्षम हैं तो इस आपदा में आगे बढ़कर काम करने में संकोच नहीं करना चाहिए। इस प्रकार की छोटी-छोटी मदद कर समय होती रहनी चाहिए। वेंटिलेटर ठीक हो जाने की बात को लेकर ट्रॉमा सेंटर के इंचार्ज डाॅ. सौरभ सिंह को फोन लगाया मगर उन्होंने फोन नहीं उठाया।

बुनकरों के बीच चला रहे स्टार्टअप

आइआइटी-धनबाद से बीटेक करने के बाद नित्यानंद बनारस में बुनकरों के बीच रहकर स्टार्टअप चला रहे हैं। उन्होंने बनारस में पहली बार डिजिटल पंचकार्ड मशीन बनाकर एक बुनकर के घर में लगाई, जिससे तेजी से बनारसी साड़ी और सूट पर डिजाइन उकेरी जाती है। वहीं दिव्यांशु ने अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई गाजियाबाद के राजकुमार गोयल इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलाजी से की है।


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