काशी विश्वनाथ मंदिर में गौना के बाद रोके गए भोले बाबा, जिलाधिकारी के हस्तक्षेप पर मिली मुक्ति
रंगभरी एकादशी पर महंत परिवार द्वारा पालकी यात्रा के साथ बाबा दरबार ले जाए गए विग्रहों को काशी विश्वनाथ मंदिर प्रशासन द्वारा रोक लिए जाने पर गुरुवार की रात भर पंचायत चली।
वाराणसी, जेएनएन। रंगभरी एकादशी पर महंत परिवार द्वारा पालकी यात्रा के साथ बाबा दरबार ले जाए गए विग्रहों को काशी विश्वनाथ मंदिर प्रशासन द्वारा रोक लिए जाने पर गुरुवार की रात भर पंचायत चली। अंतत: मामला जिलाधिकारी के यहां पहुंचा तो डीएम के हस्तक्षेप पर विग्रह आैर पालकी महंत परिवार को लौटाई गयी।रंगभरी एकादशी पर मान विधान के तहत महंत आवास से बाबा की गौना बरात निकाली गयी थी। मंदिर गर्भगृह में विग्रहों की झांकी सजाकर रात तक दर्शन पूजन का क्रम चला। परंपरानुसार शयन आरती के बाद प्रतिमाएं अौर पालकी शिवाला महंत परिवार वापस लेकर अपने आवास आता रहा है। इससे इतर मंदिर कर्मियों ने अफसरों के आदेश का हवाला देते हुए प्रतिमाएं मंदिर से बाहर ले जाने से रोक दिया तो हड़कंप मच गया।
ऐसे में महंत परिवार पूरी रात विग्रहों के साथ दंडपाणि परिसर में ही बैठा रहा। मंदिर में रोक छेक से आजिज महंत डा. कुलपति तिवारी ने सुबह आमरण अनशन की घोषणा कर दी। इससे अफसरों के भी हाथ- पांव फूलने लगे। हालांकि मंदिर प्रशासन ने किसी तरह की रोक छेक से इन्कार कर दिया। काशी विश्वनाथ मंदिर के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ जब रात में चल विग्रह रोके गये। लगभग 14 घंटे तक चल विग्रह मंदिर में अतिरिक्त समय तक रोके रखे जाने को लेकर मंदिर परिसर और धर्माचार्यों के बीच रोष बना हुआ है।