बैंकों में जमा राशि रिटर्न में नहीं बताई तो मानी जाएगी बेनामी संपत्ति
नए कानून के तहत बेनामी संपत्ति रखने वालों को सात साल तक की कैद हो सकती है। साथ ही संपत्ति के 10 फीसद तक का जुर्माना भी लग सकता है।
वाराणसी (जेेएनएन)। नोटबंदी के बाद बैंकों में जमा राशि या निवेश का अपने इनकम टैक्स रिटर्न में उल्लेख नहीं करने वालों की अब खैर नहीं। ऐसी जमा राशि संपत्ति बेनामी मानी जाएगी। आयकर विभाग ने ऐसे मामलों की पड़ताल अब बेनामी संपत्ति के आधार पर शुरू कर दी है। वाराणसी व आसपास जिलों के ऐसे सवा सौ से ज्यादा लोगों की कुंडली तैयार की जा रही है।
गलत जानकारी पर सजा का प्रावधान
आयकर विभाग की जांच में अगर यह बेनामी संपत्ति साबित हुई तो कार्रवाई बेनामी कानून के तहत ही की जाएगी। नए कानून के तहत बेनामी संपत्ति रखने वालों को सात साल तक की कैद हो सकती है। साथ ही संपत्ति के 10 फीसद तक का जुर्माना भी लग सकता है। इतना ही नहीं संपत्ति भी जब्त हो सकती है। इसके अलावा यदि कोई व्यक्ति गलत जानकारी देता है तो उसके खिलाफ भी कार्रवाई, जेल हो सकती है। विभागीय अधिकारियों के अनुसार अब तक ऐसे मामलों को कर चोरी के दायरे में लाकर जांच की जाती थी। मगर अब बेनामी कानून के तहत जांच शुरू हो चुकी है। ऐसे लोगों पर दोहरी चोट पहुंचेगी।
ऐसे हुआ राजफाश
विभागीय सूत्रों के अनुसार आयकर जांच में यह बात सामने आई है कि नोटबंदी के दौरान कई लोगों ने अपने साथ दूसरों के खातों में भारी मात्रा में नकदी जमा कराई थी। कुछ समय बाद इसे निकाल लिया। इसी तरह से निवेश भी भारी मात्रा में किया गया मगर इन लोगों ने इसका उल्लेख आयकर रिटर्न में नहीं किया। जिन लोगों ने आयकर विवरणी में जमा राशि दर्शाई है लेकिन संतोषजनक जवाब नहीं दिया उन पर भी कार्रवाई तय है।