आरोपी को ही अपनी करतूत की जांच का जिम्मा सौंप दिया है, फिर प्राथमिक शिक्षा का क्यों न हो बंटाधार
किसी से पूछा जाय कि दोषी ही अपनी जांच कर सकता है तो शायद सारे लोग यही कहेंगे कि नहीं इसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती।
गाजीपुर [अविनाश सिंह]। किसी से पूछा जाय कि दोषी ही अपनी जांच कर सकता है, तो शायद सारे लोग यही कहेंगे कि नहीं, इसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती। सिवाय बेसिक शिक्षा विभाग के। जिस खंडशिक्षा अधिकारी सुदामा ने जिलाधिकारी के जांच के आदेश का पलीता लगा दिया, विद्यालय को कोचिंग दिखा दिया उसे अब अपने खिलाफ इस आरोप की भी जांच करनी है। ऐसा कारनामा कोई और नहीं बल्कि खुद बेसिक शिक्षा अधिकारी श्रवण कुमार ने किया है। मामला मनिहारी ब्लाक के गौसपुर बुजुर्गा में संचालित हो रहे दक्षक पब्लिक स्कूल को कोङ्क्षचग दिखाने का है।
मनिहारी ब्लाक के गौसपुर बुजुर्गा में बिना मान्यता के दक्षक पब्लिक स्कूल संचालिच हो रहा था। छात्रों से भारी भरकम फीस भी लिया जा रहा था। दैनिक जागरण ने मामले का खुलासा किया तो जिलाधिकारी ने जांच बैठा दी। जांचकर्ता बीइओ सुदामा ने सभी हदें पार करते हुए स्कूल को कोचिंग संस्थान दिखाते हुए ट्रस्ट के कार्यों की सराहना तक कर डाली। अपनी करतूतों के बावजूद आला अधिकारियों के चहेते सुदामा को शायद तब यह भान भी नहीं रहा होगा कि वह खबर को गलत बता रिपोर्ट लगाकर दैनिक जागरण की विश्वसनीयता पर अंगुली उठाने की हिमाकत कर रहे हैं।
ऐसे में इस खबर को भी दैनिक जागरण ने प्रमुखता से प्रकाशित किया। इसके बाद तो महकमे में खलबली मच गई लेकिन बीएसए साहब ने तो सारी हदें ही पार कर दीं। उन्होंने बिना सोचे-समझे सुदामा को ही फिर से जांच का निर्देश दे दिया। इसके पीछे उनकी क्या मंशा है, यह तो वही जानते होंगे लेकिन इससे यह तो साफ हो गया है कि अगर ऐसे अधिकारी विभाग में हैं तो जिले की शिक्षा व्यवस्था को रसातल में जाने से कोई रोक नहीं सकता है।
बोले अधिकारी : जागरण की खबर के बाद विद्यालय को बंद करा दिया गया है। जांच में क्यों लापरवाही की उसकी जांच फिर से सुदामा को दिया गया है। हालांकि इस बार हिदायत दी गई है कि स्कूल चालू न हो नहीं तो आगे की कार्रवाई होगी। -श्रवण कुमार, बेसिक शिक्षाधिकारी।