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बलिया बलिदान दिवस : खुला जेल का फाटक, वंदेमातरम के बीच आजाद हुई बागी धरती

बलिया में सुबह 9 बजे देश भक्ति नारों के बीच जेल का फाटक खुला और सेनानी समेत प्रमुख लोग प्रतीकात्मक रूप से बाहर आए।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Wed, 19 Aug 2020 06:31 PM (IST)Updated: Wed, 19 Aug 2020 08:09 PM (IST)
बलिया बलिदान दिवस : खुला जेल का फाटक, वंदेमातरम के बीच आजाद हुई बागी धरती
बलिया बलिदान दिवस : खुला जेल का फाटक, वंदेमातरम के बीच आजाद हुई बागी धरती

बलिया, जेएनएन। कोरोना महामारी के बीच बलिया बलिदान दिवस बुधवार को परंपरा के अनुसार मनाया गया। सुबह 9 बजे देश भक्ति नारों के बीच जेल का फाटक खुला और सेनानी समेत प्रमुख लोग प्रतीकात्मक रूप से बाहर आए। इसके बाद स्वतंत्रता सेनानी पं. राम विचार पांडेय, जिलाधिकारी श्रीहरिप्रताप शाही,  पुलिस अधीक्षक देवेंद्र नाथ, सिटी मजिस्ट्रेट नागेंद्र सिंह, द्विजेन्द्र मिश्र, विनय पाण्डेय संयोजक बलिया बलिदान दिवस, लक्ष्मण गुप्ता, कौशल गुप्ता आदि के नेतृत्व में भारत माता के नारों के बीच सेनानियों की प्रतिमाओं पर माल्र्यापण करते हुए आगे बढ़े। सेनानियों व  प्रमुख लोगों का यह जत्था सेनानी राजकुमार बाघ की प्रतिमा तक पहुंचे।                                                                                                                               

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कोविड -19 वैश्विक महामारी की सुरक्षा नियमों का परिपालन करते हुए सभी उपस्थित लोग दो मीटर की दूरी बनाकर माक्स लगाए नारा बुलंद किया। विभिन्न लोगों ने अलग अलग टोली बनाकर नगर में स्थित शहीद व सेनानी वीरबर बाबू कुंवर सिंह, रामदहिन ओझा, मुरली बाबू, भीमराव अम्बेडकर, शेरे बलिया चित्तू पाण्डेय, पं. तारकेश्वर पाण्डेय, मंगल पाण्डेय, लालबहादुर शास्त्री, चंद्रशेखर आजाद, उमाशंकर सोनार के बाद शहीद पार्क चौक स्थित महात्मा गांधी व शहीद सेनानियों के शिलापट्ट  पर माल्यार्पण एवं पुष्पांजलि अर्पित की। क्रांति मैदान (बापू भवन ) टाउन हाल क्रांतिभूमि में 19अगस्त, 1942 को आजादी की घोषणा की गईं थी उस चबूतरे/मंच को भी माल्यार्पण व पुष्पांजलि अर्पित किया गया।

सेनानी पं. रामविचार पाण्डेय, ने 1942 में हुए जन्मदिन आंदोलन में हुए घटनाओं पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए कहा कि हम तो उन दिनों की  कल्पना करते कांप उठते है। सोचने कि बात यह है कि जिन्होंने इस आंदोलन को अंजाम दिया। उनपर क्या गुजरी होंगी। बलिया बलिदान दिवस के संस्थापक सदस्य लक्ष्मण गुप्ता ने कहा कि आज वर्तमान समय में देश के युवाओं को चाहिए कि वह अपने गौरवशाली अतीत को भली-भांति जाने, क्योंकि जिस देश का समाज अपने इतिहास को नहीं जनता उस देश कि आजादी अधिक दिन नहीं टिक सकती है। संयोजक विनय पाण्डेय ने कहा कि  28 वर्षो से मनाए जा रहे बलिया बलिदान  दिवस के आयोजन में कोरोना वायरस की वजह से ये पहला वर्ष है जब इतनी सादगी के साथ ये महापर्व को मनाया जा रहा है। इस मौके पर  मुन्ना उपाध्याय, ओमप्रकाश पाण्डेय, रामजी गुप्ता, अनिल राय, सागर, अखिलेश सिन्हा, अखिलेश पाण्डेय, चूड़ामणि साहब, दीना भाई, राजमंगल यादव, शशिकांत चतुर्वेदी, राजकुमार पाण्डेय, रमाशंकर तिवारी, अजय यादव, अबुल फैज, जन्मेजय, नकुल कुमार, संतोष गुप्ता, अभिषेक पाण्डेय, जैनेन्द्र पाण्डेय राजनाथ पाण्डेय, संतोष शुक्ल  आदि मौजूद थे।

सेनानियों के आदर्शों पर चलने का लिया संकल्प

बलिया बलिदान दिवस पर बुधवार को क्रांतिकारी स्मारक समिति रसड़ा के तत्वाधान में सामाजिक दूरी का अनुपालन करते हुए समिति के कार्यालय शहीद भगत ङ्क्षसह मार्ग पर एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया। इसमें सेनानियों के दिखाए मार्ग पर चलने का संकल्प लिया गया। लोगों ने भगत ङ्क्षसह, चंद्रशेखर आजाद तथा महात्मा गांधी की प्रतिमाओं पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित की। इस मौके पर सियाराम यादव, कृष्णानंद पांडेय, सुरेश राम, दुर्गेश त्रिपाठी, आनंद श्याम पांडेय, मृत्युंजय जायसवाल, श्रीप्रकाश गुप्त, दिलीप गुप्ता, अशोक गुप्ता, आलोक गुप्ता, डा. कपूरचन्द, रामविलास यादव, पुरूषोत्तम यादव आदि मौजूद थे।

आजादी के प्रथम नायक को दी गई श्रद्धांजलि

शहीदों की शहादत के बाद मिली आजादी पर कृतज्ञ राष्ट्र की ओर से मंगल पांडेय विचार मंच के कार्यकर्ताओं ने बलिया बलिदान दिवस के मौके पर बुधवार को शहीद मंगल पांडेय के पैतृक गांव नगवां स्थित स्मारक में उनकी प्रतिमा के समक्ष पुष्पांजलि अर्पित किया। अध्यक्ष कृष्णकांत पाठक ने कहा कि बलिया के महान सेनानियों के बदौलत ही भारत के इतिहास में आज का दिन स्वर्णिम अक्षरों से लिखा गया है। उन्होंने मंगल पांडे के अलावा बलिया के समस्त जाने अनजाने महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के प्रति अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की।

स्वामी अभिषेक ब्रह्मचारी ने गांधी प्रतिमा पर चढ़ाए श्रद्धा के फूल

चौक स्थित शहीद पार्क में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की मूर्ति पर बलिया बलिदान दिवस के अवसर पर स्वामी अभिषेक ब्रह्मचारी एवं युवा चेतना के राष्ट्रीय संयोजक रोहित कुमार ने माल्यार्पण किया। स्वामी अभिषेक ब्रह्मचारी ने कहा कि बलिया का स्वर्णिम इतिहास है देश जब-जब संकट में आया है तब-तब बलिया ने दिशा दिखाया है। बलिया बलिदान दिवस पर सभी स्वतंत्रता सेनानी एवं क्रांतिकारियों को नमन करते हैं।  देश की तरक्‍की हेतु युवाओं को गोलबंद होना होगा।

युवा चेतना के राष्ट्रीय संयोजक रोहित कुमार ङ्क्षसह ने कहा कि भारत सर्व धर्म संभाव का देश है परंतु मोदी-योगी सरकार धार्मिक उन्माद फैलाकर जनता को ठग रही है। युवा चेतना का लक्ष्य देश की अखंडता को बरकरार रखना है। बलिया देश में सबसे पहले आजाद हुआ था चित्तू पांडेय इसके नायक थे। इस मौके पर  कृष्ण कुमार ठाकुर, अजय राय मुन्ना,बैजू राय, अजय ओझा, राहुल राय, आलोक राय, आदित्य चौबे, संजय मिश्रा, शिवम राय, निखिल यादव, नीलकांत वर्मा, रामप्रकाश राय आदि मौजूद ।


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