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PM के नाम पर ट्रस्ट बनाने वाले आरोपितों की जमानत अर्जी निरस्त, वाराणसी में लोगों से किया ठगी

प्रधानमंत्री के नाम पर ट्रस्ट बनाकर ठगी करने के मामले में सोमवार को अपर जिला जज (द्वितीय) संजीव सिन्हा की अदालत ने आरोपितों की जमानत अर्जी खारिज कर दी। अभियोजन के अनुसार फर्जी दस्तावेज तैयार कर प्रधानमंत्री के नाम से जन कल्याणकारी नाम से एक ट्रस्ट का गठन किया था।

By saurabh chakravartiEdited By: Published: Tue, 10 Nov 2020 09:30 AM (IST)Updated: Tue, 10 Nov 2020 09:49 AM (IST)
PM के नाम पर ट्रस्ट बनाने वाले आरोपितों की जमानत अर्जी निरस्त, वाराणसी में लोगों से किया ठगी
प्रधानमंत्री के नाम पर ट्रस्ट बनाकर ठगी करने के मामले में आरोपितों की जमानत अर्जी खारिज कर दी।

वाराणसी, जेएनएन। प्रधानमंत्री के नाम पर ट्रस्ट बनाकर ठगी करने के मामले में सोमवार को अपर जिला जज (द्वितीय) संजीव सिन्हा की अदालत ने आरोपितों की जमानत अर्जी खारिज कर दी। कैंट पुलिस ने इस मामले में तीन आरोपितों कबीर नगर, दुर्गाकुंड निवासी अजय पांडेय, रवींद्रपुरी कालोनी (भेलूपुर) निवासी रवींद्र नाथ पांडेय तथा पुलिस लाइन चौराहा, अर्दली बाजार निवासी शहबाज खान को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। तीनों आरोपितों की ओर से अदालत में जमानत अर्जी दी गई थी। आरोपितों की जमानत का विरोध एडीजीसी कैलाश नाथ ने की।

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अभियोजन के अनुसार अजय कुमार पांडेय ने फर्जी दस्तावेज तैयार कर प्रधानमंत्री के नाम से जन कल्याणकारी नाम से एक ट्रस्ट का गठन किया था। उसने उक्त ट्रस्ट का उपनिबंधक सदर (द्वितीय) कार्यालय में 14 जुलाई 2020 को छलपूर्वक पंजीकृत भी करा लिया। इस सृजित ट्रस्ट का पता क्षेत्रीय पीएमओ कार्यालय रवींद्रपुरी कालोनी बताया गया। इस ट्रस्ट के लेटरपैड पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का फोटो लगाकर आरोपितों द्वारा जिलाधिकारी को संबोधित करते हुए उंदी-अठगांवा में आदर्श नरेंद्र दामोदर दास मोदी अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय के नाम से 25 बीघा भूमि देने की मांग की गई। आरोपितों ने विश्वविद्यालय के परिसर में मौलाना अब्दुल कलाम आजाद इंजीनियरिंग कालेज तथा चिकित्सालय छात्रावास के निर्माण हेतु एक हजार करोड़ रुपये विशेष अनुदान देने के लिए प्रधानमंत्री को भी पत्र भेजा था। ट्रस्ट में मुख्य ट्रस्टी अजय पांडेय के अलावा रविन्द्रनाथ पांडेय,शहबाज खान समेत सात अन्य ट्रस्टी बनाये गए थे। अदालत ने अभियोजन तथा बचाव पक्ष की दलीलों को सुनने तथा पत्रावलियों के अवलोकन के पश्चात अपराध की गंभीरता को देखते हुए तीनों आरोपितों की जमानत अर्जी को खारिज कर दिया।


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