बदला फार्मेट : प्रमाणपत्रों के सत्यापन के लिए अब अंग्रेजी में मांगा माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षकों का विवरण
शासन के निर्देश पर माध्यमिक विद्यालयों के 1400 शिक्षकों के अंकपत्रों व प्रमाणपत्रों का सत्यापन फिर से कराया जा रहा है। इसके लिए डीआइओएस कार्यालय ने जनपद के सभी राजकीय व अशासकीय माध्यमिक विद्यालयों से निर्धारित अंग्रेजी प्रोफार्मा में शिक्षकों का विवरण तलब किया है।
वाराणसी, जेएनएन। शासन के निर्देश पर माध्यमिक विद्यालयों के 1400 शिक्षकों के अंकपत्रों व प्रमाणपत्रों का सत्यापन फिर से कराया जा रहा है। इसके लिए डीआइओएस कार्यालय ने जनपद के सभी राजकीय व अशासकीय माध्यमिक विद्यालयों से निर्धारित अंग्रेजी प्रोफार्मा में शिक्षकों का विवरण तलब किया है ताकि शिक्षकों के प्रमाणपत्रों को यूपी बोर्ड सत्यापन के लिए भेजा जा सके। वहीं जिन विद्यालयों ने शिक्षकों का शैक्षिक विवरण निर्धारित प्रोफार्मा भी दे दिया है। डीआइओएस कार्यालय उन शिक्षकों का प्रमाणपत्र सत्यापन के लिए बोर्ड को भी भेज दिया है।
जनपद में 31 राजकीय व 106 आशासकीय माध्यमिक विद्यालयों में करीब 1400 शिक्षक तैनात हैं। इसमें 31 राजकीय विद्यालयों के करीब चार सौ शिक्षक भी शामिल हैं। शासन के निर्देश पर माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षकों प्रमाणपत्रों की जांच जनपद स्तर पर उप समिति गठित की गई है। समिति ने शिक्षकों से निर्धारित प्रारूप पर स्वहस्तक्षारित अभिलेख का विवरण मांगा था। इसके तहत शिक्षकों ने नाम, पता, स्कूल का नाम, चयन प्रक्रिया, शैक्षिक अभिलेख, पैन नंबर सहित अन्य दस्तावेजों का विवरण देना था। है। डीआइओएस डा. वीपी ङ्क्षसह ने ने बताया कि प्रपत्र के आधार पर राजकीय व माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षकों की सूची तैयार कराई गई है। वहीं अंकपत्रों के सत्यापन के लिए बोर्ड भेजा गया था। अब बोर्ड ने अंग्रेजी फार्मोट में शिक्षकों का विवरण मांगा है। इसके पीछे टेबुलेशन रजिस्टर अंग्रेजी में होना बताया गया है। ऐसे ूमें अब अंग्रेजी फार्मेट में शिक्षकों का विवरण मांगा गया है। उन्होंने बताया कि स्नातक, स्नातकोत्तर की डिग्रियों का सत्यापन संबंधित विश्वविद्यालय से कराया जा रहा है।
संस्कृत विवि पर सत्यापन का फिर बढ़ा बोझ
सूबे केे विभिन्न जनपदों के माध्यमिक विद्यालयों से सत्यापन के लिए शिक्षकों के अंकपत्र व प्रमाणपत्र संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में आने का क्रम जारी हो गया है। करीब 20 जनपदों से सत्यापन के लिए अध्यापकों का विवरण आ चुका है। ऐसे में विश्वविद्यालय पर सत्यापन का फिर से बोझ बढ़ गया है। वहीं परिषदीय विद्यालयों के शिक्षकों के अंकपत्रों व प्रमाणपत्रों का सत्यापन विश्वविद्यालय में अब भी लंबित है। हालांकि अब महज दस जिले ही और रह गए हैं। इसके लिए एसआइटी लगातार विश्वविद्यालय पर दबाव बनाए हुए हैं।