देवाधिदेव महादेव के माथे पर तिलक के साथ शुरू बाबा के वैवाहिक विधान
माघ शुक्ल पंचमी यानी वसंत पंचमी पर आज वासंती उल्लास के बीच काशीपुराधिपति श्रीकाशी विश्वनाथ के विवाहोत्सव के निमित्त अनुष्ठान शुरू हो गए। इसका बाबा के तिलकोत्सव से श्रीगणेश है।
वाराणसी, जेएनएन। माघ शुक्ल पंचमी यानी वसंत पंचमी पर आज वासंती उल्लास के बीच काशीपुराधिपति श्रीकाशी विश्वनाथ के विवाहोत्सव के निमित्त अनुष्ठान शुरू हैं। इसका बाबा के तिलकोत्सव से श्रीगणेश है। महंत परिवार तीन शताब्दी पुरानी पंरपरा के तहत इसकी रस्म निभा रहे हैं। महंत आवास में दोपहर बाद पंचवदन रजत प्रतिमा को पंचामृत स्नान करा कर मंगल अनुष्ठान होना है।
वस्त्राभूषण से श्रृंगार और झांकी
सायं वस्त्राभूषण से श्रृंगार झांकी सजाई जाएगी और महंत आवास में मंगल गीत गूंजेंगे। बाबा को प्रिय विजया युक्त ठंडई के साथ पंचमेवा व फल-मिष्ठान का भोग समर्पित कर आरती उतारी जाएगी। मान्यता है कि वसंत पंचमी पर ही राजा दक्ष ने बाबा का तिलक चढ़ाया था। महाशिवरात्रि पर गौरा संग बाबा का विवाह और रंगभरी एकादशी को गौना की रस्म के साथ गौरा की विदाई कराई। इस परंपरा के अनुसार महाशिवरात्रि तक विशेष पूजन के अनुष्ठान चलेंगे। रंगभरी एकादशी पर गौना उत्सव में शिव परिवार के रजत पालकी पर दर्शन होंगे। इससे उल्लसित काशीवासी काशीपुराधिपति को अबीर-गुलाल अर्पित कर उनसे रंग- हुड़दंग की अनुमति लेंगे।
होलिकोत्सव की पड़ेगी नींव
वसंत पंचमी पर परंपरानुसार शुभ मुहूर्त में जगह-जगह होलिका गाड़ी जाएंगी। प्राय: सभी मोहल्लों में निर्धारित स्थलों पर गड्ढा खोदकर पान-सुपाड़ी व दक्षिणा रख होलिका के लिए शुभ रेड़ की डालियां गाड़ी जाएंगी। कई स्थानोंं पर परंपरानुसार होली व धमार गायन किया जाता है।