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Azamgarh Helicopter Crash : साढ़े पांच हजार फीट ऊंचाई पर था विमान, एटीसी से टूटा संपर्क

आजमगढ़ में हुए विमान हादसे की जांच शुरू हो गई है। जिस समय विमान का वाराणसी एटीसी से संपर्क टूटा उस समय विमान करीब साढ़े पांच हजार फीट ऊंचाई पर था। विमान सोकाटा टीबी-20 सोमवार को सुबह करीब साढ़े दस बजे इंदिरा गांधी राष्ट्रीय उड़ान अकादमी से उड़ान भरा था।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Mon, 21 Sep 2020 08:09 PM (IST)Updated: Mon, 21 Sep 2020 08:09 PM (IST)
Azamgarh Helicopter Crash : साढ़े पांच हजार फीट ऊंचाई पर था विमान, एटीसी से टूटा संपर्क
विमान करीब साढ़े पांच हजार फीट की ऊंचाई पर था उसी समय पायलट का एटीसी से संपर्क टूट गया।

वाराणसी, जेएनएन। आजमगढ़ में हुए विमान हादसे की जांच शुरू हो गई है। जिस समय विमान का वाराणसी एयर ट्रैफिक कंट्रोल (एटीसी) से संपर्क टूटा उस समय विमान करीब साढ़े पांच हजार फीट उंचाई पर उड़ रहा था। विमान से संपर्क टूटने के बाद एयरपोर्ट के अधिकारियों द्वारा तत्काल आजमगढ़ के अधिकारियों को सूचित किया गया।

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अधिकारियों ने बताया कि विमान सोकाटा टीबी-20 सोमवार को सुबह करीब साढ़े दस बजे इंदिरा गांधी राष्ट्रीय उड़ान अकादमी से उड़ान भरा था। वहां से उड़ान भरने के बाद विमान वाराणसी हवाई क्षेत्र में आया और वापसी में आजमगढ़ से होते हुए रायबरेली जाने वाला था। वाराणसी हवाई क्षेत्र से वापस जाते समय मौसम खराब होने के चलते ट्रेनी पायलट कोनार्क सरन से एटीसी के अधिकारियों का संपर्क बना हुआ था और अधिकारियों द्वारा भी विमान की निगरानी की जा रही थी। सुबह करीब 11.11 बजे विमान करीब साढ़े पांच हजार फीट की ऊंचाई पर उड़ रहा था उसी समय पायलट का एटीसी से संपर्क टूट गया और पायलट द्वारा कोई संदेश भी नहीं दिया गया।

क्यूम्यलोनिम्बस से विमान टकराने की संभावना

एयरपोर्ट के अधिकारियों का कहना है कि जिस समय विमान दुर्घटनाग्रस्त हुआ उस समय बारिश हो रही थी। संपर्क टूटने से पहले पायलट द्वारा एटीसी को कोई संदेश भी नहीं दिया गया। ऐसे में प्रथम दृष्यता ऐसा लग रहा है कि विमान क्यूम्यलोनिम्बस से टकराकर क्षतिग्रस्त हो गया, जिससे पायलट एटीसी को कोई भी संदेश नहीं दे सका। अधिकारियों ने यह भी बताया कि यदि कोई अन्य समस्या होती तो पायलट द्वारा विमान को खेत या सड़क पर उतारा जा सकता था। घटना के दौरान गांव वालों द्वारा तेज आवाज की ध्वनि सुना जाना और पायलट द्वारा विमान से कूद जाना, इन सब के चलते विमान के क्यूम्यलोनिम्बस से टकराने की प्रबल संभावना नजर आ रही है।

विमानों के लिए काल के समान होता है क्यूम्यलोनिम्बस

एविएशन के जानकारों का कहना है कि क्यूम्यलोनिम्बस (सीबी) एक प्रकार का बादल ही होता है जो आंधी, तूफान, मूसलाधार वर्षा, बवंडर, आकाशीय बिजली आदि को उत्पन्न करता है। जब गर्म और नम हवाएं ऊपर की ओर गती करती हैं तो इन्हीं हवाओं से क्यूम्यलोनिम्बस बनता है। सीबी को विमानों के लिए बहुत खतरनाक बताया जाता है और आमतौर पर पायलट सीबी के बीच विमान ले जाने से बचते हैं। पिछले माह केरल के कोझिकोड में हुए विमान हादसे में भी क्यूम्यलोनिम्बस की बात सामने आई थी। वहीं, 19 अप्रैल-2018 को अमृतसर से दिल्ली जा रहे एयर इंडिया के विमान एआई 462 का विंडो पैनल निकल गया था। इस दौरान तीन यात्रियों को मामूली चोटें भी आई थी। इस घटना की जांच एएआइबी द्वारा की गई जिसकी रिपोर्ट 28 मई-2019 को सामने आई। बताया गया था कि क्यूम्यलोनिम्बस से टकराने के चलते विमान का विंडो पैनल टूट गया था।

पूर्वांचल में पहला विमान हादसा हुआ दर्ज

वाराणसी समेत पूर्वांचल में अभी तक कोई ऐसी घटना नहीं घटित हुई थी। सात अगस्त-2018 को राजस्थान के श्रीगंगानगर में हुए विमान हादसे की तस्वीरें उस समय सोशल मीडिया पर यह लिखते हुए शेयर की जा रही थी कि हादसा बाबतपुर एयरपोर्ट पर हुआ है। वह तस्तीरें खूब वायलर हुई थी और एयरपोर्ट प्रशासन द्वारा सफाई देना पड़ा था। सोमवार को आजमगढ़ में हुए हादसे के बाद भी कुछ लोग ऐसा ही सोच रहे थे। अधिकारियों ने बताया कि यह विमान हादसा पूर्वांचल में पहला विमान हादसा है। जांच रिपोर्ट आने के बाद हादसे का कारण पता चलेगा और उससे बचाव के इंतजाम किए जाएंगे।


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