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आयुर्वेद अपनाएं, बीमारी दूर भगाएं, डा. अजय कुमार ने शांत की पाठकों की जिज्ञासा

डा. अजय कुमार से पाठकों ने मौसमी बीमारियों के साथ ही पेट संबंधी समस्याओं पर सवाल पूछे जिनका उन्हें संतोषजनक जवाब भी मिला।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Sun, 17 Mar 2019 09:50 PM (IST)Updated: Mon, 18 Mar 2019 11:05 AM (IST)
आयुर्वेद अपनाएं, बीमारी दूर भगाएं, डा. अजय कुमार ने शांत की पाठकों की जिज्ञासा
आयुर्वेद अपनाएं, बीमारी दूर भगाएं, डा. अजय कुमार ने शांत की पाठकों की जिज्ञासा

वाराणसी, जेएनएन। वर्तमान परिवेश और भागदौड़ की जिदंगी ने लोगों की दिनचर्या बदल कर रख दी है। खाने, सोने से लेकर सुबह उठने तक का कोई समय निर्धारित नहीं। अनियमित दिनचर्या जहां कई रोगों का कारण बन रही है, वहीं असंतुलित खान-पान भी हमें बीमार बना रहा है। मौसम में बदलाव के साथ ही खांसी, सर्दी-जुकाम और बुखार का प्रकोप भी आम हो जाता है। दैनिक जागरण ने प्रश्न पहर के तहत रविवार को अपने पाठकों को इन समस्याओं को जानने-समझने का मौका दिया। 

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राजकीय स्नातकोत्तर आयुर्वेद महाविद्यालय एवं चिकित्सालय के काय चिकित्सा एवं पंचकर्म विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डा. अजय कुमार से पाठकों ने मौसमी बीमारियों के साथ ही पेट संबंधी समस्याओं पर सवाल पूछे, जिनका उन्हें संतोषजनक जवाब भी मिला। डा.अजय ने बताया कि खांसी के लिए सबसे आसान उपाय यह है कि अदरक, तुलसी व मरीच (काली मिर्च) का काढ़ा बनाकर सुबह-शाम लें। इसके बाद भी आराम न मिलने पर शीरीषादि का काढ़ा बनाकर 15 दिनों तक सेवन करें। बढ़ती उम्र में घुटनों के दर्द की बड़ी वजह अतिरिक्त वजन है। इसलिए संतुलित भोजन के माध्यम से इस पर नियंत्रण करें। भोजन में दूध को शामिल करें, ताकि शरीर में कैल्शियम की मात्रा बढ़े। कहा बुजुर्गों की सलाह व आयुर्वेद के अनुसार दिनचर्या अपनाने से ऋतु जनित व्याधियों से बचा जा सकता है। 

सांस फूलना (अस्थमा) : 3 से 5 ग्राम सीतोप्लादि चूर्ण या तालीशादि चूर्ण में आधा चम्मच शहद व आधा चम्मच घी मिलाकर सुबह-शाम सेवन करें। इसके साथ शीरीषादि क्वाथ या गोजिह्वादि क्वाथ सीरप भी चार-चार चम्मच सुबह-शाम लें। 

कब्ज : षट्सकार चूर्ण 4-4 चम्मच सुबह शाम गर्म पानी के साथ लें या अविपत्तिकर चूर्ण 4-4 चम्मच सादे पानी के साथ सुबह-शाम लें। इनके साथ अभ्यारिस्ट सीरप भी सुबह-शाम 4-4 चम्मच लें। 

डायरिया : सबसे पहले तो तेल-मसाले युक्त भोजन से बचें। 5-5 ग्राम बिल्विादि चूर्ण व कुटजारिस्ट सुबह-शाम सादे पानी के साथ लें। इसके साथ चित्रकादि बटी की एक गोली हर चार घंटे पर चूसते रहें। इससे हाजमा ठीक रहेगा। 

अर्टिकेरिया (शीतपित्त) या एलर्जी : कैसोर गुग्गल व गुडुची घनवटि 2-2 गोली सुबह-शाम लें। इसके साथ सारिवारिष्ट या खदिरारिष्ट चार-चार चम्मच सुबह-शाम लें। 

फंगल इंफेक्शन : दद्रुघ्नी वटी सिलबट्टे पर पीस कर थोड़ा पानी मिलाते हुए लेप बना लें। दाद वाली जगह पर लगाए। एक-डेढ़ घंटे बाद इस पर तुवरक तैल लगा लें। नहाने के बाद साफ तौलिए से ही शरीर पोछें। 

सर्दी-जुकाम : लक्ष्मी विलास रस की एक-एक गोली व चार-चार चम्मच शीरीषादि काढ़ा सुबह-शाम लें। 

खांसी : लौंगादि बटी या व्यावसादि बटी एक-एक गोली चार-चार घंटे के अंतराल पर चूसें। बलगम के साथ खांसी आने पर कफ कुठार रस की एक-एक गोली सुबह-शाम लें। 

इन्होंने पूछे सवाल : रवि पटेल-चितईपुर, सुभाष चंद्र श्रीवास्तव-गाजीपुर, सोनाली मेहरा-महमूरगंज, विजय शंकर यादव-लंका, मोनी वर्मा-मीरापुर बसहीं, आशा-लहुराबीर, राजन यादव-काटन मिल, शिवकुमार यादव-जैतपुरा, राजकुमार गर्ग-छावनी क्षेत्र, सत्या-सारनाथ, मनोज मिश्रा-रामनगर, कपूरचंद्र जैन-हाथी बाजार आदि। 


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