वाराणसी के मंडुआडीह कोचिंग डिपो में संस्थापित हुआ ऑटोमेटिक कोच वॉशिंग प्लांट, रेल मंत्री ने की सराहना
मंडुआडीह कोचिंग डिपो में ऑटोमेटिक कोच वॉशिंग प्लांट की स्थापना कोरोना काल के कठिन समय में कर इस प्रणाली से गाड़ियों की सफाई की आरम्भ किया गया। मंडुआडीह कोचिंग डिपो में ऑटोमेटिक कोच वॉशिंग प्लांट के साथ 30 हजार लीटर क्षमता वाले ईटीपी भी लगाया गया है।
वाराणसी, जागरण संवाददाता। मंडुआडीह कोचिंग डिपो में ऑटोमेटिक कोच वॉशिंग प्लांट की स्थापना कोरोना काल के कठिन समय में कर इस प्रणाली से गाड़ियों की सफाई की आरम्भ किया गया। मंडुआडीह कोचिंग डिपो में ऑटोमेटिक कोच वॉशिंग प्लांट के साथ 30 हजार लीटर क्षमता वाले ईटीपी भी लगाया गया है।
भारतीय रेलवे ने ट्रेनों के डिब्बों की सफाई के लिए अत्याधुनिक तरीका विकसित कर लिया है। पूर्वोत्तर रेलवे ने ऑटोमेटिक कोच वॉशिंग प्लांट से ट्रेनों के कोचों को साफ करने की शुरुआत कर दी गई है।इससे घंटों लगने वाले समय की बचत होगी और बड़ी मात्रा में पानी की बर्बादी पर भी रोक लग सकेगी,साथ ही इस नई व्यवस्था से रेलवे कोच चमकते नजर आएंगे।इस मशीन से पूरी की पूरी ट्रेन यानी 24 बोगियां 7 से 8 मिनट में साफ हो जाएंगी।
मंडल रेल प्रबंधक विजय कुमार पंजियार के मुताबिक वाराणसी मंडल के मंडुआडीह कोचिंग डिपो पर इस ऑटोमेटिक कीच वॉशिंग प्लांट की शुरुआत की गई है।मंडुआडीह कोचिंग डिपो में ऑटोमेटिक कोच वॉशिंग प्लांट के साथ 30 हजार लीटर क्षमता वाले इफलयुइंड ट्रीटमेंट प्लांट (ईटीपी) भी लगाया गया है। यह ट्रीटमेंट प्लांट सफाई के बाद बर्बाद होने वाले पानी को रिसाइकिल करेगा, जिससे पानी को दोबारा उपयोग में लाया जा सकेगा।
उन्होंने बताया की पारंपरिक तरीके की वॉशिंग से ट्रेनों की साफ-सफाई में अधिक वक्त लगता है और पानी की खपत भी बहुत अधिक होती है।इसके बावजूद ट्रेन के डिब्बों की सफाई हाईजेनिक ढंग से नहीं हो पाती है।लेकिन अब समय और पानी दोनों की बचत होगी।ऐसे में ऑटोमेटिक कोच वॉशिंग प्लांट से ट्रेन के सभी कोच बेहतर तरीके से साफ हो सकेंगे,साथ ही पूरे ट्रेन की एक जैसी सफाई होगी, नए तरीके से बर्बाद होने वाले पानी को भी संरक्षित किया जा सकेगा। यानी सफाई में लगने वाले पानी के 80 फीसदी मात्रा को रिसाइकिल करके दोबारा इस्तेमाल में लाया जा सकेगा ।
वरिष्ठ मंडल इंजीनियर यांत्रिक (सी एंड डब्ल्यू)एस.पी.श्रीवास्तव के मुताबिक इस स्वचालित वॉशिंग मशीन की मदद से सफाई में लगने वाला टाइम बचेगा और एक दिन में इससे ट्रेन के करीब 250 डिब्बे साफ हो सकेंगे। साथ ही सफाई के दौरान कम पानी, साबुन का प्रयोग किया जाएगा जो कि पर्यावरण के अनुकूल होगा और साथ ही बाहर की सफाई करने वाले सफाई कर्मियों को अब केवल गाड़ी के अंदर की सफाई के काम में लगाया जा सकेगा।
ऑटोमेटिक कोच वॉशिंग प्लांट की कार्यप्रणाली से परिचय करते हुए मंडुआडीह कोचिंग डिपो अधिकारी एस.के.सिंह ने बताया की रेको को वाशिंग पिट पर अनुरक्षण हेतु लाते समय बाहरी धुलाई के लिए आटोमेटिक कोच वाशिंग प्लांट में लगा सेंसर सर्व प्रथम सेन्स करता है, सेंसर में कंट्रोल पैनल से जुड़ा रहता है तथा सभी ब्रश यूनिट पानी के कालम, डिटर्जेंट कालम्स, ब्वायलर, एयर कम्प्रेशर इत्यादि को सक्रिय करता है, जिससे पूरा प्लांट रन करने लगता है, तथा वाटर कालम से नोजल के माद्यम से पानी की बौछार यानो पर करने लगता है। ब्रश यूनिट बहुत तेजी से रोटेड करते हुए यान को रगड़ता है। शाफ्ट वाटर, री- क्लैम्ड वाटर,डिटर्जेंट सलूशन ब्लोअर इत्यादि ऑटो रन करने लगता है।इस प्रकार पूरी गाड़ी की बाहरी धुलाई 7-8 मिनट में हो जाती है तथा उपयोग में पानी डिटर्जेंट सलूशन,गर्म पानी इत्यादि ड्रेनेज सिस्टम में माध्यम से वेस्ट वाटर टैंक में जाता है जहा से एफ्फलुएंट ट्रीटमेंट प्लांट द्वारा उसे प्युरिफाई कर पुनः उपयोग में लाया जाता है।इसमें 20 प्रतिशत के फ्रेश वाटर का ही उपयोग होता है।
रेल मंत्री पीयूष गोयल ने भी ट्रेन के बोगियों की सफाई का वीडियो शेयर करते हुए लिखा, स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण के लिये भारतीय रेल द्वारा निरंतर कदम उठाये जा रहे हैं।जिसका यह एक उदाहरण है।उत्तर प्रदेश के मंडुआडीह स्टेशन पर शुरु हुआ ऑटोमेटिक कोच वॉशिंग प्लांट, यहां 24 कोच की ट्रेन की धुलाई 7 - 8 मिनट में पूर्ण होती है, जिसमें पानी भी कम लगता है।