अगस्त क्रांति : पांच वर्ष पूर्व 9 अगस्त 1942 में ही बागी बलिया ने देख ली स्वतंत्रता की झलक
महर्षि भृगु की तपोभूमि बागी बलिया ने देश की आजादी से पांच वर्ष पूर्व 1942 में ही स्वतंत्रता की झलक देख ली थी।
बलिया [रंजना सिंह]। महर्षि भृगु की तपोभूमि बागी बलिया ने देश की आजादी से पांच वर्ष पूर्व 1942 में ही स्वतंत्रता की झलक देख ली थी। हमारे पूर्वजों ने स्वाधीनता जैसी विरासत को ब्रिटिश हुकूमत की कितनी यातनाएं सहकर अपने श्रम व रक्त के बल पर खड़ा किया। जब-जब स्वाधीनता का इतिहास कोई व्यक्ति पढ़ेगा उसे बलिया की वीरता की सराहना करनी पड़ेगी। अपने आंतरिक ओज के कारण समूचे विश्व के इतिहास में सदैव अपना अद्वितीय स्थान सुरक्षित रखते आया बागी बलिया के सपूत स्वतंत्रता संग्राम के महानायक मंगल पांडेय ने सन् 1857 में ही मंगल प्रभात का दर्शन कर मंगल दीप जलाया, जो टिमटिमाता हुआ 1942 में अखंड ज्योति के समान विश्व में अमर हो गया।
सन् 1942 की क्रांति में 9 अगस्त से 19 अगस्त तक बलिया में प्रतिदिन एक नए इतिहास का सृजन हुआ। गांधी जी ने अंग्रेजों के खिलाफ एक निर्णायक संघर्ष छेडऩे का फैसला किया जिसके मद्देनजर कांग्रेस ने मुम्बई में 7 व 8 अगस्त को अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की बैठक कर अंग्रेजों भारत छोड़ो का नारा दिया तथा देशवासियों से करो या मरो का आह्वान किया। बैठक शुरू होने से पूर्व ही 7 अगस्त की सुबह गांधी जी ने भारत छोड़ो आंदोलन का प्रारूप तैयार कर लिया था। यद्यपि यह प्रारूप लोगों तक पहुंचने से पूर्व ही 9 अगस्त को सूर्योदय से पहले ही ब्रिटिश सरकार ने गांधी जी समेत कांग्रेस के सभी वरिष्ठ नेताओं को गिरफ्तार कर लिया तथा कांग्रेस को गैर कानूनी संगठन घोषित कर दिया। इससे क्रांतिकारियों को जबर्दस्त धक्का पहुंचा। प्रारंभ में तो आंदोलन ठंडा रहा किंतु एक सप्ताह के अंदर ही अंग्रेजों के विरुद्ध देश व्यापी आंदोलन फूट पड़ा।
बलिया आंदोलन का पहला चरण 9 अगस्त 1942 को शुरू हुआ जो उसी दिन भोजपुर क्षेत्र से मिदनापुर तक फैल गया। उसी दिन 15 वर्षीय साहसी कार्यकर्ता सूरज प्रसाद ने सेंसर के बाद भी एक हिंदी समाचार पत्र लेकर उमाशंकर सिंह से सम्पर्क किया तथा भोंपा बजाकर गांधी जी समेत अन्य नेताओं के गिरफ्तारी की जानकारी दी। दूसरे चरण में आंदोलन ने काफी जो पकड़ा और महर्षि भृगु व दर्दर मुनि की तपो भूमि बलिया ने अंग्रजों को यह अहसास दिला दिया कि अब उनको भारत छोड़ कर जाना ही होगा। यद्यपि इसके पूर्व बागी भूमि के ही सपूत अमर शहीद मंगल पांडेय ने 1857 की क्रांति में ब्रिटिश हुकूमत के सीने में पहली गोली दाग कर बलिया के बागी होने का एहसास दिलाया था। वहीं अगस्त 1942 की क्रांति ने अंग्रेज सरकार के होश ठिकाने लगा दिया।
अगस्त क्रांति उत्सव आज
बलिया : नगर के चौक शहीद पार्क में 9 अगस्त शुक्रवार को सुबह आठ बजे से अगस्त क्रांति उत्सव का आयोजन किया गया है। यह जानकारी देते हुए वरिष्ठ साहित्यकार शिवकुमार ङ्क्षसह कौशिकेय ने क्रांति उत्सव कार्यक्रम में भाग लेने का आह्वान किया है।
अब खबरों के साथ पायें जॉब अलर्ट, जोक्स, शायरी, रेडियो और अन्य सर्विस, डाउनलोड करें जागरण एप