महामना के प्रति अगाध आस्था थी अटल की
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और महामना पंडित मदन मोहन मालवीय का जन्म 25 दिसंबर को हुआ था।
वाराणसी : पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की महामना पंडित मदन मोहन मालवीय के प्रति अगाध आस्था थी। मालवीय जी के प्रति बहुत आदर था। संयोगवश इन दोनों महान हस्तियों का जन्म भी एक ही तारीख यानी 25 दिसंबर को हुआ था। इसको ध्यान में रखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 24 दिसंबर 2014 को इन दोनों महान विभूतियों क्रमश: अटल बिहारी वाजपेयी और को पंडित मदन मोहन मालवीय (मरणोपरात) को भारत रत्न देने की घोषणा की। तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने 30 मार्च 2015 को महामना के परिजनों को यह सम्मान प्रदान किया था। इससे पहले करीब एक सप्ताह पहले अटल जी के घर पर यह सम्मान प्रदान किया गया था। अटल जी महामना की बगिया में भी आ चुके हैं। 1996 में उनकी काशी ¨हदू विश्वविद्यालय के एम्फीथियेटर ग्राउंड में चुनावी सभा थी। खास बात थी कि वाजपेयी ने इस दौरान राजनीतिक भाषण नहीं दिया। उन्होंने शैक्षणिक व गैरराजनीतिक भाषण दिए थे।
मालवीय का जन्म 25 दिसंबर, 1861 को इलाहाबाद में और वाजपेयी का जन्म 1924 को ग्वालियर में हुआ था। उनके भाषण को सुनने के लिए ग्राउंड खचाखच भर गया था। काशी ¨हदू विश्वविद्यालय के पूर्व पीआरओ डा. विश्वनाथ पांडेय ने बताया कि अटल जी का भाषण सुनने के लिए काफी भीड़ जुटी थी। हर शिक्षक, कर्मचारी व विद्यार्थी पहुंचा था। बताया कि अटल जी से दिल्ली में भी मिलने का मौका मिला था। उस दौरान तत्कालीन कुलपति प्रो. वाईसी सिम्हाद्री के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल पहुंचा था। डा. पांडेय ने बताया कि अटल जी ने खुद बताया था कि वे मालवीय जी के निजी सचिव के रूप में भी काम किए थे। वे बीएचयू के राजीव गांधी दक्षिणी परिसर की भी सराहना की थी।
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प्रो. रेवा प्रसाद को दिया था श्रीवाणी अलंकरण
भारत अध्ययन केंद्र के प्रो. सदाशिव द्विवेदी ने बताया कि उनके पिता प्रो. रेवा प्रसाद को अटल जी के हाथों श्रीवाणी अलंकरण सम्मान मिला था। इसके लिए नई दिल्ली में ही अटल जी के आवास पर बड़ा आयोजन किया गया था। वे बाबूजी को बोले थे कि इतने दुबले-पतले होते हुए थी इतना काम कैसे करते हैं।
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