वाराणसी में कोरोना संक्रमण के समय बंदी में चोरी-छिपे शो रूम संचालक ने बेच दिया 6300 वाहन, परिवहन अधिकारियों के उड़े होश
वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण काल को कई लोग अवसर के रूप में भुनाने से नहीं चुके। प्रदेश में लगे आंशिक कफ्र्यू में भी डीलरों ने चोरी-छिपे 6300 से अधिक छोटे-बड़े गाडिय़ां बेच दीं। परिवहन विभाग ने उन वाहनों का पंजीयन तक कर दिया।
वाराणसी, जेपी पांडेय। वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण काल को कई लोग अवसर के रूप में भुनाने से नहीं चुके। प्रदेश में लगे आंशिक कफ्र्यू में भी डीलरों ने चोरी-छिपे 6300 से अधिक छोटे-बड़े गाडिय़ां बेच दीं। परिवहन विभाग ने उन वाहनों का पंजीयन तक कर दिया। अब परिवहन विभाग और डीलर मामले को दबाने की कोशिश में जुट गए हैं।
तेजी से कोरोना संक्रमण फैलने के साथ शासन ने कोविड-19 नियम का हवाला देते हुए आंशिक कफ्र्यू लगाया था। जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा ने अप्रैल और मई माह में सिर्फ स्वास्थ्य, किराना समेत कुछ जरूरी दुकानों को खोलने का आदेश दिया था। वाहनों के शो रूम को पूरी तरह बंद करने का आदेश जारी करते हुए पुलिस को सख्ती से कार्रवाई करने का निर्देश दिया था। डीलरों ने चोरी-छिपे 25-50 वाहन नहीं, बल्कि 6300 से अधिक गाडिय़ां बेच दीं। यह काम दो-चार डीलरों ने नहीं, बल्कि ज्यादातर ने किया है। मामला संज्ञान में आने पर परिवहन विभाग में खलबली मची है। अधिकारी मुख्यालय उच्च अधिकारियों से संपर्क कर बचने का रास्ता पूछ रहे हैं। इतना ही नहीं, अब विभागीय अधिकारी इस मामले में विधिक राय ले रहे हैं।
लखीमपुर खीरी में जारी हुआ नोटिस
लखीमपुर खीरी जिले में वाहन बेचने पर सहायक संभागीय परिवहन अधिकारी (प्रशासन) आलोक कुमार ने डीलरों को नोटिस जारी कर तीन दिन में जवाब मांगा है। जवाब नहीं देने पर ट्रेड सर्टिफिकेट निलंबित करने को कहा है।
राजस्व हित का कर रहे बहाना
आंशिक कफ्र्यू में बिके वाहनों का पंजीयन होने पर परिवहन अधिकारी अब बहानेबाजी करने लगे हैं। अधिकारियों का कहना है कि बंदी के दौरान बिके वाहनों से परिवहन विभाग को राजस्व प्राप्त हुआ है। राजस्व और जनहित में कोई दिक्कत नहीं है।
यदि डीलरों ने वाहन बेचा है तो गलत है
आंशिक कफ्र्यू में शो रूम पूरी तरह से बंद करने का आदेश था। यदि डीलरों ने वाहन बेचा है तो गलत है। कुछ जरूरी लोगों के जरूरत को देखते हुए डीलरों ने वाहन बेचा है, फिर भी डीलरों से वाहन बेचने के बारे में पूछा जाएगा।
-सर्वेश चतुर्वेदी, एआरटीओ (प्रशासन)