विश्व भोजपुरी सम्मेलन वाराणसी में दी जानकारी - 'भोजपुरी का जन्म बनारस में, कबीर को भोजपुरी का श्रेय'
वाराणसी में आयोजित विश्व भोजपुरी सम्मेलन के दूसरे दिन समापन सत्र में 22 राज्यों से आए विशिष्ट लोगों ने भोजपुरी भाषा पर अपने विचार रखे। मंच से लोगों ने भोजपुरी भाषा के अस्तित्व को बचाने के लिए आह्वान किया।
वाराणसी, जेएनएन। विश्व भोजपुरी सम्मेलन के दूसरे दिन समापन सत्र में 22 राज्यों से आए विशिष्ट लोगों ने भोजपुरी भाषा पर अपने विचार रखे। मंच से लोगों ने भोजपुरी भाषा के अस्तित्व को बचाने के लिए आह्वान किया। विचार व्यक्त करते हुए गाजीपुर से आए श्रीनारायण राजभर ने कहा कि भोजपुरी भाषा मजदूरों की भाषा है।
कहा कि भारत और नेपाल में सबसे बड़ी आबादी मजदूरों की है। खड़ी भाषा के लोग इन मजदूरों के भाषाओं पर कब्जा कर रहे हैं। भोजपुरी सम्मेलन के राष्ट्रीय महासचिव डॉ. अशोक सिंह ने कहा कि इस बार जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब काशी आएंगे तब उनसे भोजपुरी भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल करने का प्रस्ताव दिया जाएगा। सीबी राय पूर्व अध्यक्ष भोजपुरी आकदमी बिहार ने कहा कि भोजपुरी का उदगम बनारस से हुआ है। जिसका पूरा श्रेय कबीर को जाता है। डॉ. सैयद अली नादिर ने मांग किया कि बनारस में प्रथम स्वतन्त्रता संग्राम सेनानी बाबू कुंवर सिंह की प्रतिमा स्थापित करने की मांग की।
भोजपुरी सम्मेलन में शिरकत करने पहुंचे एडिशनल कमिश्नर अजय सिंह ने कहा कि भोजपुरी भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग को समर्थन किया। कहा कि आज लोग भोजपुरी बोलने में लोग शर्माते हैं। लेकिन, खड़ी बोली की मातृ भाषा भी भोजपुरी ही है। लेकिन इसमें मूल बात यह है कि भोजपुरी से अश्लीलता को दूर करने के लिए सरकार को कड़ा कानून बनाना होगा। वहीं तुषार कांत ने कहा कि अगला भोजपुरी सम्मेलन बिहार के पटना और झारखंड के रांची में आयोजित किए जाने की मांग की।