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नगर आयुक्त स्वच्छता सर्वेक्षण 2020 की परीक्षा में बेहतर नंबर के लिए सौंपी जिम्मेदारी, टॉप-10 में रहे बनारस

स्वच्छता सर्वेक्षण 2020 को लेकर नगर आयुक्त आशुतोष कुमार द्विवेदी ने मातहतों को बड़ा टास्क दिया है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Thu, 10 Oct 2019 06:56 PM (IST)Updated: Fri, 11 Oct 2019 10:10 AM (IST)
नगर आयुक्त स्वच्छता सर्वेक्षण 2020 की परीक्षा में बेहतर नंबर के लिए सौंपी जिम्मेदारी, टॉप-10 में रहे बनारस
नगर आयुक्त स्वच्छता सर्वेक्षण 2020 की परीक्षा में बेहतर नंबर के लिए सौंपी जिम्मेदारी, टॉप-10 में रहे बनारस

वाराणसी, जेएनएन। स्वच्छता सर्वेक्षण 2020 को लेकर नगर आयुक्त आशुतोष कुमार द्विवेदी ने मातहतों को बड़ा टास्क दिया है। नगर निगम मुख्यालय में हुई बैठक में उन्होंने बनारस को टॉप-10 में शामिल करने का साफ निर्देश दिया है। इसके लिए अफसरों को स्वच्छता सर्वेक्षण के 41 पैरामीटर की जिम्मेदारी सौंपी है।

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उन्होंने हर मोर्चे पर बेहतर अंक लाने के लिए चेताया भी है। कह कि सर्वेक्षण में बेहतर अंक लाने की दिशा में जो भी काम नहीं करेगा उसका भुगतान नहीं किया जाएगा। नगर आयुक्त ने खुद निगरानी की जिम्मेदारी ली है। वाहनों की निगरानी जीपीएस सिस्टम से की जाएगी। बता दें कि हर साल की तरह स्वच्छता सर्वेक्षण 2019 की रिपोर्ट जब जारी की गई तो उसमें इंदौर देश का सबसे स्वच्छ शहर रहा। वहीं, भोपाल सबसे स्वच्छ राजधानी वर्ग में पहले स्थान पर रहा जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संसदीय क्षेत्र वाराणसी 70वें स्थान पर था।

स्वच्छता सर्वेक्षण 2019 की रिपोर्ट को उत्तर प्रदेश के सापेक्ष देखा जाए तो प्रदेश में गाजियाबाद अव्वल रहा तो कानपुर दूसरे पायदान पर रहा। बात करें देश के प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी की तो यह तीन पायदान नीचे खिसक कर चौथे स्थान पहुंच गया जबकि दो साल तक यही बनारस प्रदेश में लगातार पहले नंबर पर काबिज रहा। फिलहाल, अधिकारियों की लापरवाही, लचर व्यवस्था और आम लोगों में जागरूकता की कमी ने बनारस के सिर से नंबर एक का खिताब छिन लिया। स्वच्छता सर्वेक्षण 2018 की बात करें तो इसमें बनारस को देश में 67वां स्थान मिला था। 2019 के स्वच्छता सर्वेक्षण में बनारस की सबसे खराब स्थिति कटेगरी सर्टिफिकेशन और सर्विस लेवल प्रोग्रेस में रही। सिटीजन फीडबैक भी ठीक नहीं रहा। सर्विस लेवल प्रोग्रेस में बनारस को 694 नंबर मिला है। कुल 1250 पूर्णांक वाली इस परीक्षा में नगर निगम की प्रगति बेहद ही खराब रही। कैटेगरी सर्टिफिकेशन में मात्र 450 अंक मिले हैं। वहीं डायरेक्ट ऑब्जर्वेशन (स्थलीय निरीक्षण) में 982 अंक मिले हैं। सिटीजन फीडबैक में 967 नंबर मिले हैं। चार प्रकार की कैटेगरी में हुए इस सर्वेक्षण में 5000 अंकों में से बनारस को 3063 अंक मिले हैं। इन अंकों के साथ ही बीते साल से बनारस घटते क्रम में तीन अंक पीछे खिसक कर 70वें स्थान पर पहुंच गया।


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