अनलॉक होते ही गंवई राजनीति का चढ़ने लगा पारा, पंचायत चुनाव को लेकर सक्रिय हुए भावी दावेदार
पंचायत चुनाव को लेकर अभी कोई संकेत भी नहीं मिले हैं बावजूद गंवई राजनीति जोर पकडऩे लगी है।
बलिया, जेएनएन। प्रदेश में स्थिति सामान्य होने के साथ ही गांवों में पंचायत चुनाव की सरगर्मी तेज होने लगी है। हालांकि सरकार की ओर से पंचायत चुनाव को लेकर अभी कोई संकेत भी नहीं मिले हैं, बावजूद गंवई राजनीति जोर पकडऩे लगी है। पंचायत चुनाव हेतु मतदाता सूची पुनरिक्षण हेतु बीएलओ की सक्रियता देख लोग नवंबर में पंचायत चुनाव कराए जाने की उम्मीद कर रहे हैं।
भावी राजनीति को रंग देने के उद्देश्य से प्रधान पद के संभावित प्रत्याशी एक बार फिर मैदान में उतर गये हैं। यहां तक कि डोर-टू-डोर संपर्क भी किया जाने लगा है। यह सिलसिला सुबह से लेकर देर शाम तक चल रहा है। लॉकडाउन में पूरी तरह बंद हो चुका जनसंपर्क अभियान एक बार फिर गति पकडऩे लगा है। चट्टी चौराहे से लेकर चौपालों तक में पंचायत चुनाव की चर्चा जोर पकडऩे लगी है। कस्बे में एक दर्जन से अधिक प्रधान पद के दावेदार अभी से अपना गुणा-गणित फिट करने में लगे हैं। अपनी डफली अपना राग की तर्ज पर सभी दावेदारी को मजबूत करने में लगे हैं।
भोजपुरी में कहावत है कि फेड़े कटहर ओठे तेल कुछ यही हाल प्रधान पद के दावेदारों की है। अभी इसका कोई ठिकाना नहीं कि सुखपुरा ग्राम पंचायत का प्रधान पद सामान्य होगा या आरक्षित। फिर भी सामान्य वर्ग से लेकर आरक्षित वर्ग के लोग अपनी दावेदारी को धार देने में लगे हैं। प्रधान पद के कुछ-एक संभावित प्रत्याशियों को छोड़ दें तो अधिसंख्य प्रधान पद के दावेदार गांव के विकास के दावे करते नहीं अघा रहे हैं। वहीं कई दावेदार लोगों को सुनहरा ख्वाब दिखाने में ही मशगूल है। कुछ यही हाल आसपास के अन्य गांवों की भी है। जहां प्रधान पद की लड़ाई चुनाव के महीनों पहले ही शुरु हो गई है और मिलने-मिलाने का दौर प्रारंभ हो चुका है। आने वाले दिनों में चुनाव को लेकर और ज्यादा तैयारी दावेदारों में देखने को मिलेगी।