सात समंदर पार से खींच लाई मताधिकार की ललक, स्वीडन से मऊ आईं वोट देने के लिए
मताधिकार के प्रति चैतन्यता कहें या नए भारत के प्रति युवाओं का जलवा कि लाखों किलोमीटर दूर से चलकर एक युवती यहां मतदान के लिए पहुंच गई।
मऊ [शैलेश अस्थाना]। मताधिकार के प्रति चैतन्यता कहें या नए भारत के प्रति युवाओं का जलवा, कि लाखों किलोमीटर दूर से चलकर एक युवती यहां मतदान के लिए पहुंच गई। बात कर रहे हैं नगर के निजामुद्दीनपुरा निवासी राणा प्रताप सिंह की बिटिया प्रिया सिंह का। वे सिर्फ अपना मतदान करने के लिए वहां से अवकाश लेकर यहां आई हैं। शनिवार को एयरपोर्ट पर उतरने के बाद वे अपने भाई उज्ज्वल सिंह के साथ कार से यहां पहुंची। दैनिक जागरण से बातचीत में उन्होंने बताया कि पिछले साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वीडन गए थे, वहां उनका भाषण, भारत देश के चहुंमुखी विकास के प्रति उनका विजन सुना तभी मन बना लिया था कि अगले चुनाव में वोट देने अवश्य जाऊंगी। फिर क्या था, चुनाव के बारे में पता चला तो अपनी नौकरी से अवकाश लेकर चली आईं।
तीन वर्ष पूर्व प्रिया सिंह का मतदाता पहचान पत्र बना था, अभी वे अपने मताधिकार का प्रयोग कर पातीं कि इसी बीच उनका विवाह हो गया और वे पति विजय विक्रम सिंह के साथ स्वीडन चली गईं। वे वहां नौकरी करते हैं। वहीं इन्होंने भी नौकरी ज्वाइन कर ली। पिछले वर्ष जब प्रधानमंत्री स्वीडन गए तो अन्य प्रवासी भारतीयों की तरह प्रिया और विजय विक्रम भी उन्हें सुनने पहुंचे। उनकी नीतियों से इतने प्रभावित हुए कि तभी तय कर लिया देश का विकास करने वाले हाथों को मजबूत करना है। फिर क्या था, चुनाव का पता लगते ही प्रिया ने अवकाश की अर्जी डाली और स्वीकृत होते ही वहां से चल दीं। वे शनिवार को यहां अपने घर पहुंचीं। हालांकि उनके पति अवकाश न मिल पाने से साथ नहीं आ सके। प्रिया दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ के अध्यक्ष शक्ति सिंह की चचेरी बहन हैं।
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