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मंगल के राज में नवसंवत्सर 2078 ‘आनंद’ का आगमन, नए वर्ष में विश्व पटल पर बढ़ेगा भारत का प्रभुत्व

इस बार नववर्ष विक्रम संवत 2078 चैत्र शुक्ल प्रतिपदा मंगलवार तदनुसार 13 अप्रैल से आरंभ हो रहा है। संयोग की बात है कि इस बार आनंद नामक इस विक्रम संवत्सर का राजा और मंत्री भी पृथ्वी पुत्र मंगल ही होगा। नए साल को लेकर लोगों को काफी उम्‍मीदें भी हैं।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Mon, 12 Apr 2021 06:10 AM (IST)Updated: Mon, 12 Apr 2021 04:50 PM (IST)
मंगल के राज में नवसंवत्सर 2078 ‘आनंद’ का आगमन, नए वर्ष में विश्व पटल पर बढ़ेगा भारत का प्रभुत्व
नववर्ष विक्रम संवत 2078 चैत्र शुक्ल प्रतिपदा मंगलवार 13 अप्रैल से आरंभ हो रहा है।

वाराणसी, जेएनएन। विश्व की प्राचीनतम कालगणना पर आधारित सर्वथा वैज्ञानिक कालगणना पद्धति भारतीय सनातन परंपरा में व्यवहृत है। इसके आधार पर आरंभ होने वाले भारतीय या हिंदू नववर्ष  को भारतीय सनातनी चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को मनाते हैं। इस बार यह नववर्ष विक्रम संवत 2078 चैत्र शुक्ल प्रतिपदा मंगलवार तदनुसार 13 अप्रैल से आरंभ हो रहा है। संयोग की बात है कि इस बार आनंद नामक इस विक्रम संवत्सर का राजा और मंत्री भी पृथ्वी पुत्र मंगल ही होगा। इसके प्रभाव से संपूर्ण विश्व पटल पर भारत का प्रभुत्व बढ़ेगा और सैन्य शक्ति व सामर्थ्य भी। नए साल को लेकर लोगों को काफी उम्‍मीदें भी हैं।

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वैसे तो संपूर्ण विश्व में पहली जनवरी से आरंभ होने वाला आंग्ल नववर्ष ही आम कामकाज में व्यवहृत है परंंतु भारतीय सनातन परंपरा के सभी संस्कार भारतीय कालगणना पद्धति विक्रम संवत्सर पर आधारित हैं। भारतीय कालगणना पद्धति चंद्र गणना पर आधारित है। इसी आधार पर विक्रम संवत की गणना की जाती है। ऐतिहासिक आधार पर बात करें तो इसी दिन सम्राट विक्रमादित्य ने शक क्षत्रपों को परास्त कर सनातन धर्म की ध्वजा लहराई और विक्रम संवत का प्रारंभ किया। यह विक्रम संवत ईस्वी सन से 57 वर्ष आगे चलता है।

चंद्रगणना पद्धति में चंद्रमा की 16 कलाओं के आधार पर दो पक्षों का एक मास माना जाता है। इस वर्ष आनंद नामक संवत्सर होने से वर्षपर्यंत संकल्पादि में आनंद संवत्सर का ही विनियोग होगा। इस वर्ष के राजा व मंत्री के पद पर पृथ्वी पुत्र मंगल के ही आसीन होने से देश व प्रदेश की राजनीति में सत्तासीनों में समरसता रहेगी। देश में भूमि-भवन, सड़क, परिवहन, इमारतों के अत्यधिक कार्य होते दीख पड़ेंगे। खाद्यान्नों व अन्य खाद्य पदार्थ सस्ते होंगे। मंगल के चलते देश की सैन्य शक्ति भी मजबूत होगी। जो देश में अस्त्र-शस्त्र के आयात-निर्यात को भी बढ़ावा देगी, इससे देश को अत्यधिक लाभ होना तय है। वहीं विश्व पटल पर भारत का प्रभुत्व बढ़ेगा। पड़ोसी देश भारत के सामने घुटने टेकते दिखाई देंगे। लेकिन मंगल दुर्घटना का भी कारक ग्रह है। अत: देश में तमाम अप्रत्याशित घटनाएं भी देखने को मिलेंगी। जय-लग्न से विचार करने पर लग्न में नीच राशिगत बुध व जय भाव में वृहस्पति व लग्न के तृतीय भाव में मंगल राहु का अंगारक योग बना है। 

वृहस्पति से मंगल राहु का चतुर्थ दशम योग भारत सहित विश्व पटल पर भारी भूकंप, प्राकृतिक आपदा, दैवीय आपदा, सुनामी, महामारी देने वाला होगा तो वहीं, विश्व के कई देशों में आपसी विवाद की स्थिति या युद्ध की संभावना बनी रहेगी। कट्टरपंथी ताकतें उत्तर पश्चिम या दक्षिण पश्चिम देशों में अनेकानेक उपद्रवकारी घटनाओं को जन्म देंगी। लग्न पर मीन राशि का नीच का बुध व केतु की पंचम दृष्टि अर्थात बुध केतु का नवपंचक योग के चलते व्यापारी वर्गों में राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उत्साह कम दीख पड़ेगा। व्यापारी वर्ग पीड़ित रहेगा। उद्योग धंधों में कमी दिखेगी। बेरोजगारी की मात्रा बढ़ेगी। शेयर बाजार में भारी उतार-चढ़ाव देखने को मिलेगा।

इस व वर्ष विश्व पटल पर चार ग्रहण होंगे। इनमें दो सूर्य ग्रहण व दो चंदग्रहण होंगे। इन चारों ग्रहणों में सिर्फ दो चंदग्रहण ही भारत में अल्प समय के लिए दृश्यमान होंगे। इनमें पहला 26 मई को तथा दूसरा 19 नवंबर को होगा। आर्द्रा प्रवेशांक के विचार से मंगल नीचस्थ होकर शुक्र के साथ विराजमान होकर सूर्य से आगे है। इससे देश के सीमावर्ती समुद्री क्षेत्रों में प्रलयकारी वर्षा, तूफान आदि देखने को मिलेगा। इस वर्ष वर्षा सामान्य होगी। कहीं अल्प तो कहीं अत्यधिक वर्षा अर्थात खंड वृष्टि के योग दिखेंगे। रबी खरीफ की फसल संतोषजनक रहेंगी।


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