Move to Jagran APP

यूपी पुलिस के अर्जुन सिंह आज कबड्डी कोचिंग के सरताज, कभी बस की टिकट खरीदने को थे मोहताज

जोश जज्बा जुनून हो तो व्यक्ति को फर्श से अर्श पर पहुंचने में समय नहीं लगता है। आज कबड्डी प्रशिक्षण के सरताज अर्जुन सिंह इसकी नजीर है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Sun, 23 Feb 2020 01:51 PM (IST)Updated: Sun, 23 Feb 2020 01:51 PM (IST)
यूपी पुलिस के अर्जुन सिंह आज कबड्डी कोचिंग के सरताज, कभी बस की टिकट खरीदने को थे मोहताज
यूपी पुलिस के अर्जुन सिंह आज कबड्डी कोचिंग के सरताज, कभी बस की टिकट खरीदने को थे मोहताज

वाराणसी [कृष्ण बहादुर रावत]। जोश, जज्बा, जुनून हो तो व्यक्ति को फर्श से अर्श पर पहुंचने में समय नहीं लगता है। आज कबड्डी प्रशिक्षण के सरताज अर्जुन सिंह इसकी नजीर है। कभी बस टिकट तक को मोहताज अर्जुन ने मुश्किलों को हराया और राष्ट्रीय खिलाड़ी बने। खेल के बल पर यूपी पुलिस में नियुक्ति पाई। जब खेल को वापस देने का विचार आया तो नवांकुरों को कबड्डी कोचिंग देने लगे। वे कई सीजन से प्रो कबड्डी लीग में यूपी योद्धा के कोच हैं।

loksabha election banner

अभाव में भी कबड्डी नहीं छोड़ी

गाजियाबाद के अर्जुन ने शनिवार को बताया कि वह दौर भी था जब इतना पैसा नहीं होता था कि बस टिकट खरीद सकूं। चढऩे से पहले देखता था कि बस कंडक्टर आगे है या पीछे। आगे होता तो पीछे चढ़ जाता व पीछे होता तो आगे। ऐसे में भी कबड्डी खेलना नहीं छोड़ा। परिणाम रहा कि राष्ट्रीय स्तर का खिलाड़ी बन गया।

खिलाडिय़ों को रिटर्न गिफ्ट है कोचिंग

बताया कि कुछ वर्ष बाद विचार आया कि जो सीखा है उसे खिलाडिय़ों को रिटर्न दें। इसके बाद कोचिंग शुरू की। खेल के कारण यूपी पुलिस में नौकरी लगी थी। कुछ समय बाद यूपी पुलिस फिर प्रदेश सीनियर टीम का कोच बना। प्रो. कबड्डी लीग में 2017 से यूपी योद्धा को कोचिंग दे रहा।

ताकत व त्वरित निर्णय जरूरी

अर्जुन कहते हैं कबड्डी में उन युवाओं को आगे आना चाहिए जो शारीरिक रूप से मजबूत व तत्काल निर्णय लेने में सक्षम हों। कबड्डी खेलना है तो 14 वर्ष की आयु में अभ्यास शुरू कर देना चाहिए। कबड््डी फेडरेशन प्रतियोगिताएं करा रहा है, जिससे खिलाडिय़ों का प्रदर्शन सुधर भी रहा है।

जूनियर वर्ग में पूर्वांचल आगे

अर्जुन के अनुसार जूनियर में पूर्वांचल व सीनियर में पश्चिमी यूपी के युवा आगे हैं। मैट पर होने से कबड्डी में गति आई है। प्रो. लीग से खिलाडिय़ों को अच्छा-खासा पैसा मिल रहा। कभी वह जमाना था कि ट्रेन में शौचालय के पास बैठ यात्रा करते थे आज हवाई सफर कर रहे हैं। वे कहते हैं- हार, हारना नहीं हैं, हार मान लेना है, जीत तो खुद को एक और मौका देना है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.