बीएचयू कुलाधिपति की नियुक्ति में चुनाव के बन रहे आसार, चार नामों पर चर्चा
अभी तक बीएचयू में कुलाधिपतियों का चयन मनोनयन से ही हुआ है, चुनाव के कयास इसलिए भी लगाए जा रहे हैं कि अबकी बार के नाम अपने क्षेत्र के नामी व्यक्तित्व हैं।
वाराणसी [मुकेश चंद्र श्रीवास्तव] । काफी इंतजार के बाद इसी माह एशिया के सबसे बड़े आवासीय विश्वविद्यालय बीएचयू को नए कुलाधिपति (चांसलर) मिलने वाले हैं। हालांकि कुलाधिपति की नियुक्ति में इस बार चुनाव के भी आसार नजर आ रहे हैं। अगर ऐसा होता है तो बीएचयू के 100 साल के इतिहास में यह पहला मौका होगा जब चुनाव की नौबत आएगी। बताया जा रहा है कि अभी तक यहां पर कुलाधिपतियों का चयन मनोनयन से ही हुआ है। चुनाव के कयास इसलिए भी लगाए जा रहे हैं कि अबकी बार जो नाम सामने आ रहे हैं वह अपने-अपने क्षेत्र के नामी व्यक्तित्व हैं।
विवि सूत्रों के मुताबिक बीएचयू के कुलाधिपति के लिए काशी राज परिवार के अनंत नारायण सिंह, बीएचयू के संस्थापक पं. महामना मदन माेहन मालवीय के प्रपौत्र जस्टिस गिरधर मालवीय, बीएचयू के पूर्व कुलपति एवं झांसी कृषि विवि के कुलाधिपति प्रो. पंजाब सिंह के साथ प्रो. वाई सी सिम्हाद्री के नाम की भी चर्चा जोरों पर चल रही है। इस बार 26 नवंबर को होने वाली कोर्ट की बैठक बहुत ही खास होने वाली है। कारण कि उसी दिन ईसी (कार्यकारिणी परिषद) की भी बैठक प्रस्तावित है। अगर चुनाव की स्थिति बनती है तो ईसी के सदस्यों की उपस्थिति भी खास होगी। दोनों ही बैठक के चेयरमैन कुलपति प्रो. राकेश भटनागर होंगे।
यह हैं कोर्ट के शामिल : बीएचयू कोर्ट में प्रो. अरविंद कुमार, प्रो. एमके सिंह, प्रो. संजय श्रीवास्तव, प्रो. आदित्य त्रिपाठी, प्रो. भारतेंदु कुमार, डा. वंदना झा, डा. ओम प्रकाश, लोकसभा सदस्य डा. कृष्ण प्रताप सिंह, आनंद राव व राज्यसभा सांसद नीरज शेखर सहित कुल चालीस सदस्य शामिल हैं। विश्वविद्यालय के प्रवक्ता डा. राजेश सिंह ने बताया कि 26 नवंबर को सुबह कोर्ट की बैठक होगी और उसी दिन शाम को ईसी की भी बैठक प्रस्तावित है। विवि में इसकी तैयारियां भी जोरों पर हैं।
ऐसे होता है चांसलर का चयन : कुलाधिपति का चयन कोर्ट की बैठक में होता है। इस दौरान दो प्रक्रिया अपनायी जाती है। आमतौर पर आम सहमति से चांसलर का चयन हो जाता है। हालांकि, वोटिंग की नौबत भी एक प्रक्रिया में शामिल है। ऐसे में सभी सदस्य वोट करते हैं। यहां से चयन के बाद कोर्ट उक्त नाम को राष्ट्रपति के पास अनुमोदन के लिए भेजता है। वहां से अंतिम तौर पर स्वीकृति मिलने के बाद नए कुलाधिपति की घोषणा होती है। फिलहाल डा. कर्ण सिंह बीएचयू के कुलाधिपति अगले चयन तक बने रहेंगे।
तीन साल बाद होने जा रही कोर्ट की बैठक : काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के कोर्ट की पहली बैठक 12 अगस्त 1916 को हुई थी। अब 62वीं बैठक करीब 3 साल बाद होने जा रही है। इससे पहले बीएचयू कोर्ट की 61वीं बैठक 19 दिसंबर 2015 में हुई थी। वहीं डा. कर्ण सिंह का कार्यकाल पहले ही पूरा हो चुका है। कोर्ट ही तीन वर्षों के लिए कुलाधिपति का चयन करता है। हालांकि जब तक अगला चांसलर नियुक्त नहीं हो जाता तब तक वर्तमान का कार्यकाल जारी रहता है। इस बार के कोर्ट की बैठक में कुलाधिपति का भी चुनाव प्रमुख एजेंडे में शामिल है। इसके अलावा इस बार की कोर्ट की बैठक में वर्ष 2016-17 व 2017-18 की वार्षिक रिपोर्ट पर विचार-विमर्श किया जाएगा। साथ ही पिछली बैठक के एजेंडे को भी कंफर्म किया जाएगा।
अनंत नारायण सिंह : काशी राज परिवार के अनंत नारायण सिंह का जन्म 1960 में हुआ। वे अपने पिता एवं पूर्व काशी नरेश स्व. डा. विभूति नारायण सिंह के 25 दिसंबर 2000 को स्वर्गवास के बाद ताज होटल के चेयर मैन बने है। साथ ही सन 2015-16 में बीएचयू के काउंसलर रहे। वे काशी विश्व नाथ मंदिर ट्रस्ट के सदस्य भी रहे। वर्तमान में भी वे मानद सदस्य हैं। कांग्रेस के शासन काल मे महाराजा कर्ण सिह के अध्यक्षीय समीति के तहत वे भारतीय सांस्कृतिक परिषद के सदस्य भी रहे। इसके अलावा आल इंडिया ध्रुपद मेला समीति के अध्यक्ष हैं। बुढ़वा मंगल समीति के भी अध्यक्ष रहे। अनंत नारायण सिंह ने काशी हिंदू विश्वविद्यालय से बी. काम तथा आचार्य की डिग्री गुरुकुल शिक्षा प्रणाली से प्राप्त की है। उनको महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ ने डाक्टरेट की उपाधि से विभूषित किया है।
गिरधर मालवीय : जस्टिस गिरधर मालवीय बीएचयू के संस्थापक महामना पंडित मदन मोहन मालवीय के प्रपौत्र हैं। वर्ष 1988 से 1998 तक हाईकोर्ट में बतौर जज कार्यरत रहे जस्टिस गिरधर मालवीय ने गंगा के निर्मलीकरण के भी चर्चित आदेश दिया और मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित कराई थी। इसके अतिरिक्त भी वह सामाजिक सरोकारों से लंबे समय से जुडे़ रहे हैं।
प्रो. पंजाब सिंह : प्रो. पंजाब सिंह बीएचयू के कुलपति भी रह चुके हैं। वे मई 2005 से 2008 तक कुलपति पद पर रहे। बीएचयू को अंतरराष्ट्रीय पटल पर पहचान दिलाने में काफी सहयोग रहा है। साथ ही वे रानी लक्ष्मी बाई केंद्रीय विश्वविद्यालय झांसी के कुलाधिपति व कृषि विज्ञान राष्ट्रीय अकादमी दिल्ली के अध्यक्ष भी हैं।
प्रो. वाईसी सिम्हाद्री : प्रो. वाईसी सिम्हाद्री 31 अगस्त 1998 को काशी हिंदू विश्वविद्यालय के कुलपति बने थे। उनका कार्यकाल 20 फरवरी 2002 तक रहा। इसके अलावा वे अन्य विश्वविद्यालयों के भी कुलपति रहे हैं।