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वाराणसी के बांसफाटक की जमीन थी अनवारुल हक की, दो साल से चल रही थी मंदिर प्रशासन व अंजुमन इंतजामिया मसाजिद के बीच वार्ता

जिस बांसफाटक की जमीन को श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर प्रशासन ने अंजुमन इंतजामिया मसाजिद को एक हजार वर्ग फीट की जो जमीन दी है उसके मालिक अनवारुल हक थे। करीब दो साल से जमीन की खरीद को लेकर वार्ता हो रही थी।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Sat, 24 Jul 2021 12:39 AM (IST)Updated: Sat, 24 Jul 2021 12:39 AM (IST)
वाराणसी के बांसफाटक की जमीन थी अनवारुल हक की, दो साल से चल रही थी मंदिर प्रशासन व अंजुमन इंतजामिया मसाजिद के बीच वार्ता
वाराणसी में श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर प्रशासन और ज्ञानवापी मस्जिद

वाराणसी, जागरण संवाददाता। जिस बांसफाटक की जमीन को श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर प्रशासन ने अंजुमन इंतजामिया मसाजिद को एक हजार वर्ग फीट की जो जमीन दी है उसके मालिक अनवारुल हक थे। करीब दो साल से जमीन की खरीद को लेकर वार्ता हो रही थी। इस दरम्यान मंदिर प्रशासन व अंजुमन इंतजामिया मसाजिद के बीच भी वार्ता चल रही थी।

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अनवारुल हक की जमीन व्यवसायिक है। ज्ञानवापी मस्जिद से करीब दो सौ मीटर दूर स्थित है। इस जमीन के बगल में श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर का टिकट काउंटर है। जिस जमीन को मंदिर प्रशासन ने अंजुमन इंतजामिया मसाजिद को सौंपा है उस पर करीब आधा दर्जन दुकानें हैं। जमीन की अदला-बदली मूल्यांकन के आधार पर हुई है। अनवारुल हल की जिस जमीन को मंदिर प्रशासन ने खरीदा था उसका रकबा करीब सवा बिस्वा से ज्यादा है लेकिन मूल्यांकन के आधार पर अंजुमन इंतजामिया मसाजिद को एक हजार वर्ग फीट जमीन ही दी गई।

दुकानदारों ने कहा, हुआ नेक काम

बांसफाटक की जिस जमीन को अंजुमन इंतजामिया मसाजिद के सुपुर्द की गई है उसके दुकानदारों ने भी इस पहल को नेक काम बताते हुए सहमति जताई। दुकानदार अशोक अग्रवाल ने बताया कि जमीन मालिक से 40 साल का एग्रीमेंट हुआ था जिसकी मियाद अभी शेष थी। मेरी जनरले सेल्स की दुकान थी। कारोबार भी अच्छा हो रहा था लेकिन जब श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर की बात आई तो सभी दुकानदारों ने सहमति जता दी। अशोक अग्रवाल ने इसे अपना सौभाग्य मानते हैं।

विनिमय प्रणाली के तहत इन संपत्तियों के हस्तांतरण

आर्टिकल-31 में निहित एक्सचेंज आफ प्रापर्टी के तहत संपत्तियों का हस्तांतरण हुआ। विनिमय प्रणाली के तहत इन संपत्तियों के हस्तांतरण में नौ लाख 29 हजार रुपये की ई-स्टांप ड्यूटी अदा की गई। इस प्रक्रिया को दो चरणों में पूरा किया गया। मंदिर प्रशासन ने आठ जुलाई तो सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की ओर से अंजुमन इंतजामिया मसाजिद ने 10 जुलाई को रजिस्ट्री की। यह विनिमय पत्र राज्यपाल की स्वीकृति पर बना। स्थानीय स्तर पर राज्य सरकार का प्रतिनिधित्व नोडल अधिकारी व मुख्य कार्यपालक अधिकारी, श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर सुनील कुमार वर्मा ने प्रथम पक्ष के तौर किया। वहीं, द्वितीय पक्ष के तौर अंजुमन इंतजामिया मसाजिद, वाराणसी के सचिव अब्दुल बातिन नोमानी ने हस्ताक्षर किए। सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की यह जमीन ज्ञानवापी मस्जिद से करीब सवा सौ फीट दूर है। कारिडोर के निर्माण में लगी कंपनी ने जमीन पर बने पुलिस कंट्रोल रूम को गिराने का कार्य शुरू कर दिया है।


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