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प्रतापगढ़ में मेडिकल कालेज के नामकरण पर पूर्व भाजपा विधायक को अनुप्रिया पटेल ने दिया जवाब

भाजपा नेता ने कहा कि पार्टी के सभी वरिष्ठ नेताओं को ट्वीट कर अपना विरोध जता दिया है। वह तब तक अपनी बात दमदारी से रखते रहेंगे जब तक कि प्रतापगढ़ की जनता की भावना को समझते हुए मेडिकल कालेज का नामकरण नहीं किया जाता।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Sat, 24 Jul 2021 06:04 PM (IST)Updated: Sat, 24 Jul 2021 06:04 PM (IST)
प्रतापगढ़ में मेडिकल कालेज के नामकरण पर पूर्व भाजपा विधायक को अनुप्रिया पटेल ने दिया जवाब
केंद्रीय राज्यमंत्री अनुप्रिया पटेल ने कहा कि प्रतापगढ़ डा. सोनेलाल पटेल की कर्मस्थली रही

मीरजापुर/प्रतापगढ़, जागरण संवाददाता। राजकीय स्वशासी मेडिकल कालेज प्रतापगढ़ का नाम अपना दल संस्थापक डाॅ. सोनेलाल पटेल के नाम किए जाने की भाजपा नेता व पूर्व विधायक बृजेश मिश्र सौरभ ने आलोचना की है। शनिवार को यहां एक प्रेस कांफ्रेंस में उन्होंने कहा कि अगर पिछड़े वर्ग के किसी व्यक्ति के नाम पर नामकरण करना ही था तो सरदार वल्लभ भाई पटेल के नाम से कर देते। इसमें किसी को कोई आपत्ति नहीं होती।

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उन्होंने पार्टी नेतृत्व को इस निर्णय के लिए आड़े हाथों लेते हुए कहा कि वह प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य हैं, उन्हें भी इस निर्णय से पहले अवगत नहीं कराया गया। आखिर कब तक अपना दल नेता के आगे इस जिले के स्वाभिमान को गिरवी रखा जाता रहेगा। जिस जिले में बाबा राम झुंगुरी सिंह, बाबा रामचंदर, राजा रामपाल सिंह जैसे सच्चे क्रांतिकारी रहे हों, राजा दिनेश सिंह, अजीत प्रताप सिंह, पंडित मुनीश्वर दत्त उपाध्याय व राम किंकर जैसे दिग्गज राजनीतिक और स्वामी करपात्री महाराज, जगदगुरु कृपालु महाराज जैसे धर्म के सच्चे ध्वजवाहक रहे हों, उस जिले के मेडिकल कालेज का नाम स्व. सोनेलाल पटेल के नाम पर रखना दुखद है।

उन्होंने पार्टी के सभी वरिष्ठ नेताओं को ट्वीट कर अपना विरोध जता दिया है। वह तब तक अपनी बात दमदारी से रखते रहेंगे, जब तक कि प्रतापगढ़ की जनता की भावना को समझते हुए मेडिकल कालेज का नामकरण नहीं किया जाता। 

वहीं अपना दल (एस) की राष्ट्रीय अध्यक्ष व केंद्रीय राज्यमंत्री अनुप्रिया पटेल ने कहा कि प्रतापगढ़ डा. सोनेलाल पटेल की कर्मस्थली रही है। वहां का ऐसा कोई विरला ही गांव हो, जहां के वंचित समाज के बीच वह न गए हों। अपने जीवन के अंतिम समय तक उन्होंने प्रतापगढ़ के गरीब, वंचित वर्ग को उनका हक-हुक़ूक़ दिलाने के लिए संघर्ष किए हैं। डॉक्टर साहब के संघर्ष का ही प्रतिफल है कि आज वहां का वंचित वर्ग, दलित-पिछड़ा भी गर्व से सिर उठाकर चलने लगा है।


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