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सावधान! अगर आपको कुत्ते ने काटा तो जान बचाना भी हो जाएगा दूभर, अस्पतालों में नहीं है एंटी रैबीज इंजेक्‍शन

कुत्तों के हमले में जख्मी लोगों के सरकारी अस्पताल पहुंचने की तादाद में इन दिनों बढ़ोत्तरी हुई है।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Mon, 21 Oct 2019 12:52 PM (IST)Updated: Mon, 21 Oct 2019 05:37 PM (IST)
सावधान! अगर आपको कुत्ते ने काटा तो जान बचाना भी हो जाएगा दूभर, अस्पतालों में नहीं है एंटी रैबीज इंजेक्‍शन
सावधान! अगर आपको कुत्ते ने काटा तो जान बचाना भी हो जाएगा दूभर, अस्पतालों में नहीं है एंटी रैबीज इंजेक्‍शन

वाराणसी, जेएनएन। पूर्वांचल के बाजारों में एंटी रैबीज की आवक घटी है। सरकारी अस्पतालों में भी इसका असर दिखने लगा है। जौनपुर, सोनभद्र के सरकारी अस्पतालों में आपूर्ति ठप तो बलिया, भदोही में आपूर्ति धीरे-धीरे बैठने लगी है। वाराणसी में दवा मंडियों की मांग पूरी न होने से दुश्वारियां कई जिलो में गहराने लगी हैं। हालात बेकाबू नहीं, लेकिन एंटी रैबीज की आपूर्ति नहीं बढ़ी कुत्तों का कहर जनता के सिर चढ़कर जरूर बोलेगा।कुत्तों के हमले में जख्मी लोगों के सरकारी अस्पताल पहुंचने की तादाद में इन दिनों बढ़ोत्तरी हुई है।

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वैक्सीन की डिमांड बढ़ी है, लेकिन कंपनियां आपूर्ति सुनिश्चित नहीं कर पा रहीं। इसका असर बाजार से लेकर सरकारी अस्पतालों तक में पडऩे लगा है। बनारस में दवा मंडियों की जरूरतें 25 फीसद ही पूरी हो पा रही हैं। पूर्वांचल का बाजार वाराणसी की उपलब्धता निर्भर होने से कई जिलों में मुश्किल गहराने लगी है। हालात को भाप लोग वैक्सीन को दबाकर चलने लगे हैं। दुकानदार भी इसे फुटकर में बेचना पसंद कर रहे हैं।

जौनपुर के स्वास्थ्य प्रशासन को एक माह से तो सोनभद्र को दो माह से आपूर्ति नहीं मिल पा रही है। सोनभद्र के ग्रामीण अस्पतालों की की जरूरतें उधार के वैक्सीन से पूरी की जा रही हैं। बलिया एवं भदोही के स्वास्थ्य प्रशासन ने भी आपूर्ति घटने की बात स्वीकारी है। यहां के बाजारों में वैक्सीन का टोटा बना हुआ है। कई जिलों के व्यापारियों ने स्वीकार किया कि मांग के अनुरूप वैक्सीन मिल नहीं पा रही है।

वाराणसी की सप्तसागर मंडी के थोक कारोबारी एवं वाराणसी केमिस्ट ड्रगिस्ट वेलफेयर एसोसिएशन के पूर्व उपाध्यक्ष गणेश गुप्ता ने कहा कि आपूर्ति शार्ट है। उन्होंने कहा कि अस्पताल में वैक्सीन मुफ्त में लगाई जाती है। लेकिन उसके बावजूद बाजार में प्रति माह हजारों वायल की जरूरत पड़ती है। बहुतेरे लोग इंफेक्शन के डर से बाजार से वैक्सीन खरीदकर लगवाना पसंद करते हैं। वैक्सीन आपूर्ति की दुश्वारियां कई माह बाद भी नहीं सुधरने से परेशानी हो रही है। एंटी रैबीज वैक्सीन पहले एक-दो कंपनियां ही बनाती थीं, जिनकी तादाद अब एक दर्जन है। लेकिन उसके बावजूद  दुश्वारी से कारोबारी भी हैरान है।


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