करपात्र प्राकट्योत्सव पर भावों से सजी भजन संध्या, अनूप जलोटा के सुरों में बही भजन गंगा
धर्म सम्राट स्वामी करपात्री महाराज के 112वें प्राकट्योत्सव में शुक्रवार को धर्मसंघ में अनूप जलोटा ने भजनों की गंगा बहाई।
वाराणसी, जेएनएन। धर्म सम्राट स्वामी करपात्री महाराज के 112वें प्राकट्योत्सव में शुक्रवार को धर्मसंघ में अनूप जलोटा ने भजनों की गंगा बहाई। शाम के साथ पद्मश्री अनूप जलोटा ने हर हर महादेव उद्घोष के बीच मंच संभाला और निहाल कर डाला। उन्होंने 'ऐसी लागी लगन मीरा हो गई मगन... से स्वर गंगा प्रवाहित की और 'कौन कहता है भगवान सुनते नहीं...', 'राम नाम की लूट है, लूट सके तो लूट...' आदि से सिलसिले को आगे बढ़ाया। इन पर हर एक विभोर मन से झूमता नजर आया।
भजन सम्राट ने 'क्रोध न छोड़ा, झूठ न छोड़ा, सत्य वचन क्यों छोड़ दिया...', 'गोविंद जय जय गोपाल जय जय...', 'प्रभु जी तुम चंदन हम पानी...', 'जैसे जलते हुए तन को मिल जाये तरुवर की छाया...' आदि भजनों से करपात्री महाराज को स्वरांजलि अर्पित की। धर्म संघ पीठाधीश्वर स्वामी शंकर देव चैतन्य ब्रह्मïचारी महाराज के सानिध्य में 'शिव की महिमा अपरंपार...', 'जग में सुंदर हैं दो नाम...', 'रंग दे चुनरिया...', 'ओ पालन हारे...' व 'ठुमक चलत रामचंद्र...' को भी स्वर दिया।
अनूप जलोटा के साथ रुचि आर्य ने सुर मिलाया। गिटार पर राकेश आर्य, तबला पर सुभाष शर्मा, साइड रिद्म पर श्याम अवस्थी व सीमा मिश्र ने संगत की। स्वागत पं. जगजीतन पांडेय और संचालन ख्यात गीतकार पं. कन्हैया दुबे केडी ने किया। जिला जज उमेशचंद्र शर्मा, मनोज पांडेय, यशोवर्धन त्रिपाठी, नवीन दुबे, राजमंगल पांडेय आदि थे।
वेद हमारी रीति और धर्म हमारे रिवाज
देश के पूर्व मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा ने कहा कि वेद एक प्रमाणिक शास्त्र है। जब-जब धर्म पर प्रश्नचिह्न लगता है, मनीषी और विद्वान वेद द्वारा प्रमाण देकर ही धार्मिक विवादों का निराकरण करते हैं। वेद हमारी रीति हैं और धर्म हमारे रिवाज। इन दोनों के पालन से ही सनातन संस्कृति अक्षुण्ण रखी जा सकती है।
न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा धर्म सम्राट स्वामी करपात्री महाराज के 112वें प्राकट्योत्सव के अवसर पर दुर्गाकुंड स्थित धर्मसंघ शिक्षा मंडल में शुक्रवार को आयोजित करपात्र रत्न समारोह को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि करपात्री महाराज ने जिन वेदों की रक्षा के लिए आजीवन संघर्ष किया, वे वेद अपने आप में सर्वस्व हैं। उनकी जानकारी सबके पास होना कठिन है फिर भी वेद की कुछ जानकारी सबको होनी ही चाहिए। युवाओं का आह्वान करते हुए उन्होंने कहा कि जीवन में कभी निराश होने की जरूरत नहीं है। कर्म और भाग्य दोनों के बीच का अंतर समझना होगा। यदि हम कर्म ना करे और सिर्फ भाग्य पर निर्भर रहें तो निराशा हाथ लगेगी और यदि अपने पुरुषार्थ को जारी रखें तो सफलता निश्चित ही कदम चूमेगी।
विशिष्ट अतिथि दीनदयालु महाराज ने कहा कि धर्मसम्राट ने कभी भी धर्म विरुद्ध बात नहीं की और अनुयायियों को भी हमेशा इसके लिए प्रेरित करते रहे। सारस्वत अतिथि महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के कुलपति प्रो. टीएन सिंह, संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राजाराम शुक्ल ने भी विचार व्यक्त किए। धर्मसंघ पीठाधीश्वर स्वामी शंकरदेव चैतन्य ब्रह्मïचारी महाराज की अध्यक्षता में आयोजित समारोह में प्रो. रामचंद्र पांडेय को अतिविशिष्ट करपात्र रत्न और भागवत मर्मज्ञ व्यास नंदन शास्त्री को करपात्र गौरव सम्मान प्रदान किया गया। विद्वत सत्कार धर्मसंघ महामंत्री पं. जगजीतन पांडेय, संचालन डा. श्रीप्रकाश मिश्र व आभार ज्ञापन डा. दयानिधि मिश्र ने किया।
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