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चंदौली के माटीगांव में शिव मंदिर परिसर में खोदाई के दौरान मिली प्राचीन विष्णु प्रतिमा

काशी हिंदू विश्वविद्यालय पुरातत्व विभाग की टीम ने गुरुवार को चंदौली के सकलडीहा तहसील क्षेत्र के माटीगांव स्थित प्राचीन शिव मंदिर प्रांगण में खोदाई कराई।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Thu, 11 Jun 2020 09:11 PM (IST)Updated: Fri, 12 Jun 2020 12:20 AM (IST)
चंदौली के माटीगांव में शिव मंदिर परिसर में खोदाई के दौरान मिली प्राचीन विष्णु प्रतिमा
चंदौली के माटीगांव में शिव मंदिर परिसर में खोदाई के दौरान मिली प्राचीन विष्णु प्रतिमा

चंदौली, जेएनएन। काशी हिंदू विश्वविद्यालय पुरातत्व विभाग की टीम ने गुरुवार को सकलडीहा तहसील क्षेत्र के माटीगांव स्थित प्राचीन शिव मंदिर प्रांगण में खोदाई कराई। जमीन के नीचे दबे पुरातात्विक व ऐतिहासिक रहस्य परत दर परत सामने आने लगे हैं। खोदाई में गुप्तकालीन फर्श, धार्मिक संरचना, अरघा के साथ शिवलिंग, साथ ही भगवान विष्णु की अति प्राचीन प्रतिमा मिली है। विभाग की मानें तो उक्त प्रतिमा पर बनी नक्काशी गुप्तकालीन प्रतीत हो रही है।

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कोरोना महामारी के चलते खोदाई का कार्य  तीन महीने तक पूरी तरह से बंद रहा। लॉकडाउन में ढील मिलते ही पुरातत्व विभाग की टीम ने खोदाई का कार्य शुरू कर दिया। तीन दिन से चल रही खोदाई में गुरुवार को प्राचीन शिव मंदिर परिसर में जैसे-जैसे खोदाई का कार्य आगे बढ़ता जाएगा परत दर परत नई-नई चीजें मिलने की संभावना हैं। खोदाई के दौरान मिल रही प्रतिमा व अन्य चीजों की गहनता से परीक्षण किया जा रहा है। अभी तक जो भी चीजें सामने आई हैं उससे मंदिर के नीचे एक भव्य मंदिर होना प्रतित हो रहा है। हालांकि जब तक खोदाई का कार्य पूरा नहीं होता तब तक कुछ कहना सही नहीं होगा। खोदाई का कार्य डा. अशोक कुमार सिंह, डा. विनय कुमार, प्रोफेसर एके दुबे, अभिषेक कुमार की देखरेख में चल रहा है।

शिवलिंग व प्राचीन विष्णु की प्रतिमा संभवत गुप्तकालीन की

मंदिर के उत्तर दिशा में चल रही खोदाई में गुरुवार को अरघा के साथ ही शिवलिंग व प्राचीन विष्णु की प्रतिमा मिली है। यह संभवत गुप्तकालीन में बनी है। यह कुछ दिनों में पूरी तरह से स्पष्ट हो जाएगा।

- प्रोफेसर ओमकारनाथ सिंह, विभागाध्यक्ष पुरातत्व विभाग, काशी हिंदू विश्वविद्यालय।

गांव की मिट्टी के नीचे प्राचीन ऐतिहासिक साक्ष्यों के छिपे होने की संभावना

लॉकडाउन से पूर्व मध्‍य मार्च में बीएचयू पुरातत्व विभाग की टीम ने कई बार गांव का भ्रमण किया था। माटी गांव में दो हजार वर्ष पुरानी कुषाण कालीन ईंट और 600 से 1200 ईस्वी के काल के मध्य निर्मित प्रमुख हिंदू देवी-देवताओं की समूची और खंडित मूर्तियां मिली हैं। इसके आधार पर गांव की मिट्टी के नीचे प्राचीन ऐतिहासिक साक्ष्यों के छिपे होने की संभावना जताई गई है। सामान्य धरातल से करीब 10 फीट की ऊंचाई पर स्थित प्राचीन शिव मंदिर के आसपास काफी संख्या में बलुआ पत्थर की समूची और खंडित मूर्तियां भी मिली हैं। इसमें शिव-पार्वती, गणेश, सूर्य और दुर्गा के साथ ही प्रमुख हिन्दू-देवी देवताओं की प्रतिमाएं शामिल हैं। इन मूर्तियों पर किसलिना के अंकन हैं। पुरातत्वविदों के अनुसार यह तकनीक गुप्तोत्तर काल में प्रतिमाओं को सुरक्षित रखने के लिए प्रयोग में लाई जाती थी। गांव में मिले पुरातन प्रतिमाओं व अवशेषों के बाबत भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग को अवगत कराया गया। जाने-माने पुरातत्वविद और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के पूर्व सहायक महानिदेशक वीआर मणि ने माटी गांव में मिले ऐतिहासिक अवशेषों का अवलोकन कर प्रतिमाओं की तिथि करीब 600 से 1200 ईस्वी के मध्य माना। वहीं ईंटों के कुषाण कालीन होने की पुष्टि की थी। इसकी तिथि करीब 80 ईस्वी के आसपास मानी गई है। पुरात्व सर्वेक्षण विभाग ने करीब चार माह पूर्व ही बीएचयू की टीम को गांव में खोदाई कराने की अनुमति प्रदान कर दी थी। 15 मार्च से खोदाई शुरू कराने की योजना बनाई गई थी। लेकिन मौसम खराब होने से भूमि पूजन कराकर छोड़ दिया गया। कारण, खोदे गए टेंच में पानी भरने की आशंका थी। इसके बाद काम शुरू ही हुआ था तभी कोरोनावायरस संकट और लॉकडाउन के कारण कार्य रोकना पड़ा। इस दौरान मिलने वाले साक्ष्यों से प्राचीन काल में यहां विकसित सभ्यता के बारे में पता चलेगा। वहीं इतिहास को जानने और समझने में भी सहूलियत होगी।


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