वाराणसी में अनंतनाथ एवं पार्श्वनाथ भगवान का हुआ 108 रजत कलशों से अभिषेक, अनंत चतुर्दशी पर हुआ आयोजन
दिगंबर जैन समाज काशी की ओर से अनंत चतुर्दशी पर मंगलवार को अनंत नाथ एवं देवाधिदेव पार्श्वनाथ का 108 रजत कलशों से मस्तकाभिषेक धार्मिक रीति-रिवाजों के साथ किया गया।
वाराणसी, जेएनएन। दिगंबर जैन समाज काशी के तत्वावधान में अनंत चतुर्दशी के पावन पर्व पर मंगलवार को अनंत नाथ एवं देवाधिदेव पार्श्वनाथ का 108 रजत कलशों से मस्तकाभिषेक ग्वाल दास साहू लेन स्थित श्री दिगंबर जैन पंचायती शीशे वाली मंदिर में धार्मिक रीति-रिवाजों के साथ किया गया। इस अवसर पर विविध धर्मिक आयोजन किये गए। इस दौरान चौबीसी पूजन, देव शास्त्र पूजा , गुरु पूजा, विनय पाठ, अनंतनाथ पूजा, जिनेंद्र भगवान पूजा , शांति पाठ एवं महाअर्घ्य चढ़ाए गए। कोरोना संक्रमण के बीच नियमों को ध्यान में रखते हुए धार्मिक अनुष्ठान किए गए।
शाम को व्रत धारी शुद्ध केसरिया वस्त्रों में इंद्र के रूप में पांच भक्तों ने मंत्रोच्चारण के साथ रजत पांडुक शिला कमल सिंहासन पर विराजमान कर तीर्थंकर द्वय का बारी-बारी से महामस्तकाभिषेक किया। इच्छुक रसधारा , दुग्ध धारा, घृत धारा, केशर एवं गंगाजल के 108 रजत कलशों से तीर्थंकरों का प्रक्षालन किया गया।
पंडित सिद्धांत शास्त्री सांगानेर ने पर्व के अंतिम दिन उत्तम ब्रह्मचर्य धर्म पर फेसबुक पर लाइव व्याख्यान देते हुए कहा कि नश्वर के पीछे छिपे हुए अविनश्वर को जो जान लेता है वह परम ब्रह्म में रम जाता है। वह ब्रह्मचर्य से युक्त होकर ब्रह्म बन जाता है । ब्रह्मचर्य से पुरुष में प्रमाणिकता, परिपूर्णता व परमार्थता प्रकट होती है । इस अवसर पर प्रमुख रूप से अध्यक्ष दीपक जैन, उपाध्यक्ष राजेश जैन, विनोद जैन , प्रधानमंत्री अरुण जैन , समाज मंत्री तरुण जैन उपस्थित थे। गौरतलब है कि भाद्र शुक्ल पंचमी से अनंत चतुर्दशी तक चलने वाले पर्यूषण 10 लक्षण पर्व पर जैन धर्म के प्राचीन परंपरा के अनुसार अनंत चतुर्दशी पर्व पर विभिन्न जैन मंदिरों भगवान पार्श्वनाथ की जन्मस्थली भेलूपुर , भगवान श्रेयांसनाथ की जन्म स्थली सारनाथ, भगवान सुपार्श्वनाथ जी की जन्म स्थली भदैनी, चंदा प्रभु भगवान की जन्म स्थली चंद्रपुरी, चौबेपुर के अलावा नरिया ,खोजवा, मैदागिन , हाथी बाजार , मझवा , भाट की गली में पूजन - अभिषेक किया गया।