वाराणसी के चांदपुर औद्योगिक क्षेत्र में दशकों से आवंटित प्लाट पड़े हैं खाली, हर साल सरकार को राजस्व की हानि
बनारस के चांदपुर औद्योगिक क्षेत्र में दशकों पहले प्लॉटों के आवंटन और नियमानुसार उद्योग स्थापित न कर सरकार को जमकर राजस्व की हानि पहुंचाई जाई रही है। सत्ता में हनक रखने वाले ऐसे लोग भी शामिल हैं जिनके खिलाफ अधिकारी भी चुप्पी साधे रखने में भलाई समझने लगे हैं।
जागरण संवाददाता, वाराणसी। बनारस के चांदपुर औद्योगिक क्षेत्र में दशकों पहले प्लॉटों के आवंटन और नियमानुसार उद्योग स्थापित न कर सरकार को जमकर राजस्व की हानि पहुंचाई जाई रही है। इस काम में नहीं बल्कि सत्ता में हनक रखने वाले ऐसे लोग भी शामिल हैं जिनके खिलाफ अधिकारी भी चुप्पी साधे रखने में भलाई समझने लगे हैं।
अपर मुख्य सचिव नवनीत सहगल ने अक्टूबर माह में मंडलायुक्त और जिलाधिकारी को इस संबंध में पत्र भेजकर निर्देश दिया है कि ऐसे उद्यमी जिनके द्वारा पूर्व में औद्योगिक आस्थानों व मिनी औद्योगिक आस्थानों में आवंटित भूखण्ड पर उद्यम स्थापित न कर पाने की स्थिति में विभाग द्वारा या उद्योग बन्धु की ओर से आवंटन निरस्त किये जाने की कार्यवाही की गयी है और किसी कारण आवंटी द्वारा उच्च न्यायालय में याचिका दायर करके निरस्तीकरण के विरुद्ध स्थगनादेश प्राप्त हुये हैं । ऐसी स्थिति में उन औद्योगिक भूखण्डों का न तो नये सिरे से आवंटन हो पा रहा और न ही संबंधित भूखण्डों में उद्योगों की स्थापना हो पा रही है। इस दृष्टि से निम्न कार्यवाही करके उद्योग स्थापना में सक्रियता लाये जाएं।
(1) ऐसे सभी प्रकरणों में आवश्यक है कि यदि उद्यमी अपनी औद्योगिक इकाई स्थापित करने के लिये तत्पर हों , तो उनसे शपथ पत्र के साथ प्रार्थना पत्र प्राप्त कर लिया जाय तथा निर्धारित समय अवधि में उद्योग स्थापना हेतु कार्य योजना भी प्राप्त कर ली जाय । ऐसे उद्यमी यदि अपने द्वारा दाखिल किये गये वाद को वापस लेने पर सहमत हों तो उन्हें अंतिम रूप से छह माह का सशर्त समय प्रदान करते हुये उद्योगों की स्थापना हेतु प्रयास किये जायें । पुनर्बहाली उपरान्त आवंटी को दी गयी निर्धारित अवधि के अन्तर्गत आवंटी द्वारा उद्योग स्थापनार्थ यदि कोई सार्थक प्रयास नहीं किये जाते हैं तो पुनर्बहाली आदेश स्वतः निरस्त हो जायेगा ।
(2) ऐसे प्रकरण , जिनमें आवंटी द्वारा किसी सक्षम न्यायालय में वाद दाखिल नहीं किया गया है और जिनके भूखण्ड आवंटन नियमानुसार निरस्त किये जा चुके हैं , उन्हें भी छह माह का सशर्त समय प्रदान करते हुये उद्योग स्थापनार्थ प्रयास किये जायें।
(3) ऐसे आवंटी , जिन्होंने भूखण्ड आवंटित कराने के साथ ही निर्धारित शर्तों का उल्लंघन किया है और आवंटन के अतिरिक्त किसी अन्य भूखण्ड पर भी अनधिकृत कब्जा कर रखा है , उसे तत्काल निरस्त किया जाय और ऐसे अनधिकृत कब्जाधारकों के विरुद्ध कठोर वैधानिक कार्यवाही भी की जाये । ( 4 ) औद्योगिक आस्थानों व मिनी औद्योगिक आस्थानों के रिक्त भूखण्डों का आवंटन खुली नीलामी के माध्यम से ही किया जाय तथा उसमें पूर्ण पारदर्शिता बरती जाय । इस संबंध में मुझे यह कहने का निदेश हुआ है कि कृपया उक्तमुसार अवगत होते हुये अग्रतर कार्यवाही करने का कष्ट करें ।
दरअसल, वर्तमान में औद्योगिक आस्थानों व मिनी औद्योगिक आस्थानों के भूखण्डों के निरस्तीकरण के उपरान्त विभिन्न न्यायालयों में काफी संख्या में वाद व आर्बीट्रेशन वाद लम्बित हैं । जिससे अनावश्यक रूप विभागीय अधिकारियों का समय व्यतीत होता है ।
नियम विरुद्ध काम जोरों पर
उद्योग विभाग के नियमों के अनुसार प्लॉटधारक को तीन साल में उत्पादन शुरू करना होता है , ऐसा न होने पर आवंटन निरस्त किया जा सकता है । लेकिन तीन दशक बीतने के बाद भी प्लाट पर उद्योग नहीं लगाया। यदि खाली प्लॉटों पर समय से उद्योग लगते तो सरकार को राजस्व और दर्जनों परिवारों को रोजगार मिलता । बता दें कि साल 1991 में एक प्लाट की कीमत 342 रुपये प्रति वर्ग मीटर थी । जिसकी वर्तमान कीमत अभी 12 हजार रुपये प्रति वर्ग मीटर से अधिक है । इन प्लॉट का क्षेत्रफल कई हजार वर्ग मीटर है जिसकी वर्तमान कीमत तीन करोड़ रुपये के लगभग है । कुछ प्लाट तो वर्ष 1991 में आवंटित हुए थे। 30 वर्ष बाद भी उद्योग नहीं लगाए गए। उद्योग बंधु की रिपोर्ट पर चांदपुर व पंचराव में कई प्लॉट निरस्त किये गये हैं । इन प्लॉटों पर वर्षो से इकाई स्थापित ही नहीं हुई है ।