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संतों की हत्या की NIA या CBI से हो जांच, अखिल भारतीय संत समिति ने गृहमंत्री को भेजा पत्र

अखिल भारतीय संत समिति ने महाराष्ट्र के पालघर स्थित चिचौली गांव में जूना अखाड़े के दो संतों व वाहन चालक की हत्या में रोहिंग्या व अवैध बांग्लादेशी घुसपैठियों पर संदेह जताया है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Tue, 21 Apr 2020 04:45 PM (IST)Updated: Tue, 21 Apr 2020 05:16 PM (IST)
संतों की हत्या की NIA या CBI से हो जांच, अखिल भारतीय संत समिति ने गृहमंत्री को भेजा पत्र
संतों की हत्या की NIA या CBI से हो जांच, अखिल भारतीय संत समिति ने गृहमंत्री को भेजा पत्र

वाराणसी, जेएनएन। अखिल भारतीय संत समिति ने महाराष्ट्र के पालघर स्थित चिचौली गांव में जूना अखाड़े के दो संतों व वाहन चालक की हत्या में रोहिंग्या व अवैध बांग्लादेशी घुसपैठियों पर संदेह जताया है। गृहमंत्री को पत्र लिखकर पूरे प्रकरण की एनआइए या सीबीआइ से जांच की मांग की है।

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समिति के राष्ट्रीय महामंत्री स्वामी जीतेन्द्रानंद सरस्वती ने पूरी घटना की निंदा की। कहा कि 22 बांग्लादेशियों की गिरफ्तारी और उपलब्ध वीडियो में 27वें सेकेंड पर बोहीथाक (बैठो) बालोर, थेकोर, मोरी थाकिल (मर गया) बस-बस, सेइलाहेती जैसे अहोमिया, बांग्लादेशी शब्दों का प्रयोग यह साबित करता है कि कहीं न कहीं कडिय़ां रोहिंग्या व अवैध बांग्लादेशी घुसपैठियों से जुड़ रही हैैं। उन्होंने महाराष्ट्र पुलिस पर भी सवाल उठाया। भोले भाले आदिवासियों पर महाराष्ट्र सरकार घटना को इसलिए थोपना चाहती है कि उनकी आड़ में नक्सली, क्रिप्टो क्रिश्चियन, अवैध घुसपैठिए, रोहिंग्या मुसलमानों को बचाया जा सके। ऐसे में निष्पक्ष जांच जरूरी है।

गृहमंत्री को भेजे पत्र में स्वामी जीतेन्द्रानंद सरस्वती ने यह सवाल भी उठाया कि आखिर लॉकडाउन में 300 लोगों की भीड़ कैसे जुट गई। संतों ने पुलिस को फोन कर बुलाया या पुलिस ने उन्हें रोका था। पुलिस ने संतों को गाड़ी से निकाल कर भीड़ को क्यों सौंपा। संत पीटे जा रहे थे और पुलिस हाथ छुड़ा कर क्यों भाग रही थी। हवाई फायर या बल प्रयोग क्यों नहीं किया गया। संतों को मारने वाले लोग कौन हैैं और उनकी पृष्ठभूमि क्या है। ऐसे कई सवालों के साथ संत समिति ने जूना अखाड़े के महाराष्ट्र कूच के निर्णय समेत हर कदम में साथ होने का भरोसा दिया है। कहा महाराष्ट्र सरकार न्यायोचित कदम नहीं उठाती है तो देश भर में आंदोलन होगा।

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श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़ा का मुख्यालय हनुमानघाट पर है। अखाड़े से संबंधित दोनों साधु (कल्पवृक्ष गिरी 75 वर्ष व सुशील गिरी 35 वर्ष) नासिक कुंभ मेला ब्रांच में थे। महाराष्ट्र उनका कार्यक्षेत्र था। अखाड़ा संरक्षक हरि गिरी के अनुसार संबंधित सभी साधु-संतों को छह साल में एक बार मुख्यालय आकर भगवान विश्वेश्वर, बाबा कालभैरव व बड़ा हनुमान के चरणों में हाजिरी लगानी होती है। आमतौर पर यह प्रयागराज कुंभ के बाद का मौका होता है। अन्य दिनों में साधु-संत निर्धारित शाखाओं में पूजा-अनुष्ठान, साधना व अखाड़ा प्रबंधन की ओर से प्रदत्त जिम्मेदारी का निर्वहन करते हैं।

संत कल्पवृक्ष भदोही के निवासी

पालघर में दो संतों की पीटकर हत्या हुई है। इसमें कल्पवृक्ष गिरि भदोही के वेदपुर के निवासी हैं। ये 10 साल की आयु में घर छोड़ दिया था। संन्यासी बन गये। छह भाई और एक बहन हैं इनके। परिवार में कोहराम मचा हुआ है। हत्या की खबर सुनते ही उनके एक भाई मौके पर गये हैं।


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