गंगा की लहरों पर लंबे समय बाद पर्यटकों संग अठखेलियां करती नजर आई अलकनंदा क्रूज
विश्व पर्यटन दिवस पर 27 सितंबर से गंगा की लहरों पर अलकनंदा क्रूज भी लॉकडाउन घोषित होने के बाद पहली बार चली। हालांकि लॉकडाउन के दौरान मणिकर्णिका घाट और हरिश्चंद्र घाट पर चिताओं की आंच कभी ठंडी नहीं पड़ी थी।
वाराणसी, जेएनएन। विश्व पर्यटन दिवस पर 27 सितंबर से गंगा की लहरों पर अलकनंदा क्रूज भी लॉकडाउन घोषित होने के बाद पहली बार चली। हालांकि लॉकडाउन के दौरान मणिकर्णिका घाट और हरिश्चंद्र घाट पर चिताओं की आंच कभी ठंडी नहीं पड़ी थी। अलबत्ता गंगा आरती भी बिना श्रद्धालुओं के अनवरत चलती रही। बस गंगा की लहरों पर पर्यटन की सवारी थम गई थी जो 17 सितंबर को बाढ़ की समाप्ति के बाद दोबारा से गंगा में पर्यटन परवाज भरने लगा है। विश्व पर्यटन दिवस के दिन से ही काशी का पहला अलकनंदा क्रूज भी गंगा में शाम को पर्यटकों को सवारी कराने को तैयार खड़ा था तो पर्यटकों ने भी लंबे समय बाद गंगा की लहरों पर क्रूज की सवारी की।
काशी में पटरी पर लौटते पर्यटन को देखते हुए अलकनंदा के संचालकों ने कोरोना संक्रमण के बीच अनलाॅक घोषित होने के बाद से ही क्रूज को दाेबारा गंगा नदी में उतारे जाने की तैयारी कर ली थी। शुरुआत के लिए दिन तय हुआ विश्व पर्यटन दिवस का। पर्यटकों के लिए क्रूज संचालन के पूर्व नौका को पूरी तरह सैनिटाइज किया गया। जबकि पर्यटकों को प्रवेश जांच और मास्क के साथ पर्याप्त शारीरिक दूरी के साथ ही मिल सका। लंबे समय बाद जब गंगा में अलकनंदा ने प्रवेश किया तो गोधूलि बेला में रोशनी में जगमग करती अलकनंदा से गंगा की लहरें भी मानों खुश होकर पर्यटकों का स्वागत कर अभिभूत नजर आईं।
हालांकि क्रूज से गंगा में पर्यटन का सीजन में यह पहला मौका था लिहाजा पर्यटकों ने भी खूब उत्साह से समय से पूर्व अपनी हाजिरी लगाई और गंगा की लहरों पर सवार होकर घाटों का विहंगम नजारा लिया। वहीं गंगा आरती के समय क्रूज से चमक रहे कैमरों की रोशनी से लगा कि मानों घाटों की वही पुरानी रंगत और नजारे कोरोना काल को चुनौती देने उठ खड़े हुए हों।