Akshaya Tritiya 2020 Lockdown के दौरान जल तीर्थों में मन: स्नान करेंगे काशी प्रदक्षिणा यात्रा के श्रद्धालु
वाराणसी में घर बैठे ही 26 अप्रैल को पड़ रहे अक्षय तृतीया पर्व पर आयोजित काशी प्रदक्षिणा सप्ततीर्थी यात्रा का मन संकल्प धारण किया जा रहा है।
वाराणसी [कुमार अजय]। समय, काल व परिस्थितियों के अनुरुप जो युगकर्म में ढल जाए वही धर्म-दर्शन शाश्वत व सनातन होता है। शास्त्रों के इस वचन को आत्मसात करते हुए काशी प्रदक्षिणा दर्शन यात्रा से जुड़े शताधिक नेमी श्रद्धालुओं ने लॉकडाउन को राष्ट्रधर्म का मान दिया। समिति के प्रभारी उमाशंकर गुप्त की अगुवाई में घर बैठे ही 26 अप्रैल को पड़ रहे अक्षय तृतीया पर्व पर आयोजित सप्ततीर्थी यात्रा का मन: संकल्प धारण किया।
काशी की धर्म परंपरा में शामिल अंतरगृही यात्राओं का वर्षों से नेम निभा रहे ये श्रद्धालु तृतीया पर्व पर प्रतिबंधों के चलते यद्यपि नौकाओं का आसरा नहीं पाएंगे। अलबत्ता मन के साथ घोड़ो से सजे रथ पर सवार होकर इस पावन पर्व का पुण्य कमाएंगे। यात्रा के प्रभारी उमाशंकर बाबू ने बताया इससे पूर्व भी वे सभी लॉकडाउन काल में ही पड़े वासंतिक नवरात्र पर भी नौ गौरी दर्शन की मानस प्रदक्षिणा का अपना नेम निभा चुके हैं। इस आपद काल के कर्तव्य को पूरा मान देते हुए ध्यान गंगा में डुबकी लगाकर जगद्धात्री की कृपा का प्रसाद पा चुके हैं।
शास्त्रीय प्रमाणों के अनुसार आपदकाल की मानस यात्रा का भी महात्म्य सचल यात्रा के समान ही
उमाशंकर बाबू बतातें है कि धर्म नगरी काशी की इन धार्मिक व लोकमान्य यात्राओं के पुनरोद्धारक दंडी स्वामी शिवानंद महाराज (अब गोलोकवासी) ने भी अनेक अवसरों पर राष्ट्रीय परिस्थितियों, अस्वस्थता अथवा वार्धक्य आदि की अपरिहार्य परिस्थितियों में सचल यात्रा की जगह अचल यात्रा का विधान शास्त्रीय प्रमाणों के साथ स्पष्ट किया था। उनके पथ-प्रदर्शन अनुसार ही हम सभी आज के संकल्प के आधार पर तृतीया पर्व के सप्ततीर्थी स्नान-दर्शन के नियमों का पालन करते हुए मणिकर्णिका से शुरु होकर अस्सी संगमेश्वर (अस्सी घाट), केदारेश्वर (केदार घाट), प्रयागेश्वर (प्रयागघाट), त्रिलोचनेश्वर (त्रिलोचनघाट), पंचगंगेश्वर (पंचगंगा घाट) तथा वरुणा संगमेश्वर (आदिकेशव घाट) के गंगा प्रवाह में ध्यान डुबकी लगाकर मन की आंखों से ही इन सभी तीर्थों के अधिपति महादेव के विविध स्वरूपों का दर्शन प्राप्त करेंगे। इसी क्रम में आज हम सभी ने मणिकर्णिका घाट के चक्रपुष्करणी तीर्थ व मां मणिकर्णिका के विग्रह का अंतस दर्शन करके संकल्प की रीति पूरी की। प्रदक्षिणा यात्रा के नेमी यात्री डीरेका निवासी दिनेश जी ने बताया कि शास्त्रीय प्रमाणों के अनुसार आपदकाल की मानस यात्रा का भी महात्म्य सचल यात्रा के समान ही बताया गया है।