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बनारस का फेफड़ा ही नहीं दिल भी कर रहा कमजोर, शहर की सड़कों पर सुबह-शाम दिखने लगा स्मॉग का असर

प्रतिवर्ष प्रदूषण के कारण होने वाली मौतों की सबसे बड़ी वजह फेफड़े व हृदय का कमजोर होना रहा है। पीएम-10 व 2.5 से भी छोटे कण सांस के माध्यम से फेफड़े में पहुंच रहे हैं।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Sat, 02 Nov 2019 11:36 AM (IST)Updated: Sat, 02 Nov 2019 12:39 PM (IST)
बनारस का फेफड़ा ही नहीं दिल भी कर रहा कमजोर, शहर की सड़कों पर सुबह-शाम दिखने लगा स्मॉग का असर
बनारस का फेफड़ा ही नहीं दिल भी कर रहा कमजोर, शहर की सड़कों पर सुबह-शाम दिखने लगा स्मॉग का असर

वाराणसी [मुहम्मद रईस]। प्रतिवर्ष प्रदूषण के कारण होने वाली मौतों की सबसे बड़ी वजह फेफड़े व हृदय का कमजोर होना रहा है। पीएम-10 व 2.5 से भी छोटे कण सांस के माध्यम से फेफड़े में पहुंच रहे हैं। वहां से अवशोषित होकर ये सूक्ष्म कण रक्त के माध्यम से हृदय तक पहुंचकर रक्त वाहिकाओं में बाधा बन रहे हैं। साथ ही हृदय को लगातार कमजोर कर रहे हैं। शहर में इन दिनों वायु प्रदूषण चरम पर है। हवा में लगातार प्रदूषक तत्वों की मात्रा बढ़ती जा रही है। गुरुवार को पीएम-2.5 का स्तर 321 तो शुक्रवार को 291 रहा।

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वहीं नवंबर के पहले दिन एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) 219 दर्ज किया गया। डेंगू-मलेरिया के प्रकोप ने भी लोगों को डरा रखा है। ऐसे में घरों के भीतर क्वाइल जलाने के साथ ही लोग मच्छर भगाने के लिए अन्य उपकरण का प्रयोग कर रहे हैं, जिससे घर के भीतर का वातावरण भी विषैला होता जा रहा है। उधर, अस्पतालों में दमा व सीओपीडी (क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज) के मरीजों की संख्या कई गुना बढ़ गई है। 

फेफड़े की बीमारी है सीओपीडी 

- क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) फेफड़े की बीमारी है, जिसमें सांस फूलने के साथ बलगम बनता है। यह बीमारी सिगरेट पीने वालों या लकड़ी के चूल्हे पर खाना बनाने वाली महिलाओं को अधिक होती है। इसमें श्वसन तंत्र फेल हो जाता है और ऑक्सीजन सेचुरेशन तय मानक 92 से घटने लगता है वहीं सीओपीडी टाइप-2 में ऑक्सीजन कम व कार्बन डाई ऑक्साइड अधिक बनने लगता है, जिसके कारण जिह्वा नीली पडऩे लगती है। हालांकि सही समय पर इलाज मिलने से यह ठीक हो जाता है। 

यह करें -

- पानी का सेवन अधिक करें। 

- सुबह-शाम दौडऩा या तेज चलना नजरअंदाज करें। 

- घर से बाहर निकलने पर मास्क का प्रयोग जरूर करें। 

- ऊनी वस्त्रों, रजाई-गद्दों का प्रयोग करने से पहले धूप में अच्छे से सुखा लें। 

- धुंआ व धूल वाले स्थानों से दूर रहें। 


बोले चिकित्‍सक : फेफड़े संबंधी मरीजों की संख्या अचानक बढ़ गई है। इसकी वजह प्रदूषण, फाग व मौसम में तेजी से बदलाव है। हवा में प्रदूषक तत्वों की बढ़ती मात्रा चिंतनीय है। दीपावली के बाद हालत और भी खतरनाक स्तर तक पहुंचने की संभावना है। - प्रो. जीएन श्रीवास्तव, विभागाध्यक्ष (टीबी एवं चेस्ट विभाग-बीएचयू हास्पिटल)

बोले चिकित्‍सक : फेफड़े में अवशोषित होकर सूक्ष्म प्रदूषक तत्व रक्त वाहिकाओं के माध्यम से हृदय तक पहुंच रहे हैं और धमनियों में अवरोध उत्पन्न कर रहे हैं। इससे जहां हार्ट अटैक की संभावना बढ़ जाती है, वहीं प्रदूषण से फेफड़े भी लगातार कमजोर हो रहे हैं। - डा. एसके अग्रवाल, पूर्व विभागाध्यक्ष (टीबी एवं चेस्ट विभाग-बीएचयू हास्पिटल)

चौराहों पर लगे डिस्प्ले बोर्ड नहीं दिखा रहे आंकड़े : नगर निगम ने चौराहों पर वायु प्रदूषण का स्तर बताने वाले डिस्प्ले बोर्ड लगाए थे लेकिन आजकल वह भी खामोश हैं। एक अधिकारी ने बताया कि कुछ तकनीकी खराबी है,  जल्द ही ठीक कर लिया जाएगा। 

मास्क की बिक्री बढ़ी : हाल के दिनों में मास्क की बिक्री में उछाल आई है। कबीरचौरा अस्पताल के सामने वर्षों से मेडिकल स्टोर चलाने वाले संजीव जायसवाल ने बताया कि पहले सप्ताह में दो से तीन मास्क बिकते थे। आजकल दिन में दो से तीन बिक रहे हैं। 

रखें यह सावधानियां : सांस और दमा के रोगियों को सजग रहने की जरूरत है। राजकीय आयुर्वेद चिकित्सालय वाराणसी के डा. अजय कुमार के मुताबिक स्मोग के समय घर से बाहर निकलते समय मास्क का प्रयोग करना चाहिए। दो पहिया वाहन चालक फेसकवर वाले हेलमेट का करें। 

 

प्रदूषण के लिए सरकारी-गैर सरकारी संस्थाएं जिम्मेदार

बनारस शहर में अब सांस लेना मुश्किल हो गया है। मंडलायुक्त दीपक अग्रवाल ने बनारस में प्रदूषण को खतरनाक स्तर तक पहुंचने पर चिंता जताते हुए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड समेत सभी निर्माण कार्यदायी संस्थाओं की कार्यशैली पर सवाल उठाया। नाराजगी जाहिर करते हुए कार्यदायी संस्थाओं को अपने कार्यशैली में सुधार लाने का निर्देश दिया है। एनजीटी के प्रदूषण मानकों के बारे में किसी कार्यदायी संस्था को जानकारी नहीं होने पर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी को जानकारी देने के साथ मानक के तहत निर्माण नहीं होने पर कार्रवाई करने को कहा। वह शुक्रवार को कमिश्नरी सभागार में खतरनाक स्तर पर पहुंच चुके प्रदूषण को लेकर बैठक कर रहे थे। 

उन्होंने क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी को हिदायत देते हुए कहा कि बढ़ते प्रदूषण के लिए सरकारी और गैर सरकारी संस्थाएं दोनों जिम्मेदार है। दोनों के खिलाफ सख्ती के साथ कार्रवाई की जाए। मानक पूरा नहीं करने पर जुर्माना करने की भी कार्रवाई करें।

कंस्ट्रक्शन साइटो पर मैटेरियल को ढककर रखें, मिक्सिंग प्लांट और आसपास पानी का छिड़काव कराते रहे तथा निर्माणाधीन भवनों को हरे परदे से कवर कराने की व्यवस्था सुनिश्चित कराई जाए। एयर पोलूशन बढ़ाने में रोड डस्ट का 92 फीसद योगदान की जानकारी होने पर नगर निगम, लोकनिर्माण और विकास प्राधिकरण को कहा कि स्थानीय स्तर पर जो भी सड़कें बनीं है उसमेंएंड टू एंड बनाई जाए। सड़क के दोनों तरफ फुटपाथ की टाइलिंग का भी प्रावधान जरूर रखें तथा निर्माण में एक इंच भी खाली जगह न छोड़े। सीसी रोड और पाथवे का पक्का निर्माण कराएं। बैठक में वीडीए वीसी राहुल पांडेय, ट्रांसपोर्ट विभाग, गेल इंडिया लिमिटेड, लोकनिर्माण, नगर निगम समेत अन्य विभागों के अधिकारी मौजूद थे। 

 

सावधान, कहीं आपकी सेहत न उड़ा ले हवा

शहर की हवा लगातार जहरीली होती जा रही है। विकास के नाम पर मानक के विपरीत बने कंक्रीट के जंगल, जगह-जगह हो रही खोदाई, खुले में कूड़े को जलाना इसका प्रमुख कारण माना जा रहा है। यदि हम अभी नहीं चेते तो आने वाली स्थिति और भयावह होगी। धुंध और धूल के कारण स्मोग की वजह से गुरुवार को एयर क्वालिटी इंडेक्स 361 पहुंच गया जो बेहद खराब है। दिन भर धुंध, ऊपर से धूल और धुआं, इन सबके कारण दूश्यता बहुत कम हो गई। एक किमी से अधिक दूरी तक देखना मुश्किल हो गया था। 

बिजली के लिए अंडर ग्राउंड तार बिछाने वाली कंपनी धड़ल्ले से खोदाई का कार्य कर रही है। मलदहिया से लहुराबीर तक तीन फीट गहरा और एक फीट चौड़ा गड््डा खोदा जा रहा है और उससे निकली मिट्टी सड़क पर ही रखी जा रही है जो हवा के साथ गुबार बन कर उड़ रही है। इस दौरान वहां से गुजरने वालों लागों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। यहीं नहीं, शहर में कई जगह खुले स्थान पर निर्माण सामग्री की बिक्री हो रही है। इन निर्माण सामग्री से उडऩे वाली धूल फेफड़ों के लिए बहुत नुकसान है। चौराहों पर लगे रेड लाइट पर टाइमर न लगे होने के कारण वाहन चालू हालत में होते हैं जिससे बहुत ही कम समय में वायु प्रदूषण का स्तर बहुत बढ़ जाता है। 


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