चंदौली जिले में कृषि विभाग पराली सड़ाने को मंगाएगा 10 हजार लीटर डी-कंपोजर
कोरोना संक्रमण काल में पर्यावरण प्रदूषण का सबसे बड़ा कारक मानी जा रही खेतों की पराली मुसीबत नहीं बल्कि किसानों के लिए संजीवनी बनेगी। कृषि विभाग किसानों में वेस्टेज डी कंपोजर बांटेगा। इससे पराली कम समय में सड़ जाएगी।
चंदौली, जेएनएन। कोरोना काल में पर्यावरण प्रदूषण का सबसे बड़ा कारक मानी जा रही खेतों की पराली मुसीबत नहीं, बल्कि किसानों के लिए संजीवनी बनेगी। कृषि विभाग किसानों में वेस्टेज डी कंपोजर बांटेगा। इससे पराली कम समय में सड़ जाएगी। इसके बाद किसान खेत की जोताई कर आसानी से फसल की बोआई कर सकेंगे। लगातार पराली जलाने से मिट्टी में जीवांश कार्बन की मात्रा घटकर 2.5 फीसद तक पहुंच गई है। पौधों की जड़ों के लिए जरूरी सूक्ष्म तत्वों के जलकर मरने से भी मिट्टी की उर्वरता घट रही है।
वैश्विक महामारी के दौर में पराली जलाने से होने वाला प्रदूषण घातक साबित हो सकता है। ऐसे में शासन-प्रशासन अलर्ट हो गया है। कृषि विभाग ने इसकी काट ढूंढ़ ली है। विभाग ने इस बार पराली को खेतों में जल्दी सड़ाने के लिए जिले में 10 हजार लीटर वेस्टेज डी कंपोजर मंगाने की योजना बनाई है। प्रत्येक किसान को एक बोतल डी कंपोजर दिया जाएगा। एक बोतल को 200 लीटर पानी में मिलाकर किसान पराली पर इसका छिड़काव करेंगे। किसानों को 20 लीटर डी कंपोजर बचाने की सलाह दी गई है। इस 20 लीटर को दोबारा 200 लीटर पानी में मिलाकर खेत में छिड़काव करेंगे तो, समान असर दिखाएगा। इस तरह किसानों को दोबारा डी कंपोजर लेने की जरूरत नहीं पड़ेगी। कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, पराली जलाने से खेत में जीवांश कार्बन की मात्रा बढ़ेगी। यदि लगातार कई साल धान की पराली को खेतों में सड़ाया जाए, तो जीवांश कार्बन बढ़कर मानक के अनुरूप चार फीसद तक पहुंच जाएगा। इससे भरपूर उत्पादन होगा।
विभाग फसल अवशेष प्रबंधन को दे रहा सब्सिडी
कृषि विभाग फसल अवशेष प्रबंधन के लिए कृषि यंत्र खरीदने पर किसानों को अच्छी-खासी सब्सिडी प्रदान कर रहा है। हैपी सीडर समेत अन्य यंत्रों की खरीद पर अच्छा-खासा अनुदान मिल रहा है। पंजीकृत किसानों को योजना का लाभ मिल रहा है।
- फसल अवशेष प्रबंधन को लेकर विभाग ने व्यवस्था की है। इस बार 10 हजार लीटर डी कंपोजर मंगाकर किसानों में बांटा जाएगा। इससे आधे समय में ही पराली सड़कर नष्ट हो जाएगी। हालांकि किसानों को खेत में पानी भरना होगा। वहीं मौसम भी बड़ा कारक साबित होगा। - अमित जायसवाल, कृषि रक्षा अधिकारी