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मंदिर प्रशासन बैक फुट पर, किरकिरी के बाद कालिका गली में फिर शुरू किया अन्न क्षेत्र

श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर की ओर से साढ़े तीन माह पहले शुरू किए गए अन्न क्षेत्र को बंद करने के फैसले से प्रशासन को दो दिन में ही बैक फुट पर आना पड़ा।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Mon, 08 Apr 2019 10:18 PM (IST)Updated: Tue, 09 Apr 2019 08:45 AM (IST)
मंदिर प्रशासन बैक फुट पर, किरकिरी के बाद कालिका गली में फिर शुरू किया अन्न क्षेत्र
मंदिर प्रशासन बैक फुट पर, किरकिरी के बाद कालिका गली में फिर शुरू किया अन्न क्षेत्र

वाराणसी, जेएएनएन। श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर की ओर से साढ़े तीन माह पहले शुरू किए गए अन्न क्षेत्र को बंद करने के फैसले से प्रशासन को दो दिन में ही बैक फुट पर आना पड़ा। सोमवार को कालिका गली में फिर से पंगत सजी और भक्तों में खिचड़ी प्रसाद बांटा गया। मंदिर की ओर से कार्तिक पूर्णिमा पर 23 नवंबर को अस्थायी रूप से कालिका गली में अन्न क्षेत्र शुरू किया गया था। इसका मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उद्घाटन किया था। इसमें नित्य भोग आरती के बाद प्रसाद स्वरूप भक्तों को खिचड़ी व मीठी चटनी परोसी जाती रही।

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इस बीच अचानक शनिवार को इस व्यवस्था को बंद करने के साथ ही तैनात सभी 28 कर्मचारियों को सेवा मुक्त करने का फरमान जारी कर दिया गया। हालांकि मंदिर न्यास परिषद की ओर से अन्नक्षेत्र का प्रस्ताव दशकों पहले पारित किया जा चुका है। इसके लिए जम्मू कोठी ध्वस्त कर अन्न क्षेत्र के लिए भवन बनाया जा रहा है। कार्यदायी एजेंसी की बेपरवाही से निर्माण में लगातार देर होने के कारण फौरी तौर पर कार्तिक पूर्णिमा को अस्थायी अन्न क्षेत्र शुरू कर दिया गया था। तय किया गया था कि इसका खर्च दान में मिले धन से पूरा किया जाएगा। इस बीच अन्न क्षेत्र में तैनात रसोईया व सेवादार समेत 28 कर्मचारियों को दो माह से वेतन नहीं दिया गया।

इसके अलावा संगीत संध्या को भी दो दिन पहले बंद कर दिया गया था। इसके चार कर्मचारी भी सेवा मुक्त किए गए। इसमें तंगी का हवाला दिया गया लेकिन माना जा रहा है कि बाबा के अन्नक्षेत्र में भी गोलमाल की शिकायतों से मंदिर प्रशासन आजिज था। ऐसे में इसे बिना सोचे समझे बंद करना ही अंतिम उपाय समझा गया लेकिन इससे किरकिरी हुई और इसकी चर्चा शासन तक पहुंच गई। अपर जिलाधिकारी विनोद सिंह ने बताया कि अन्न क्षेत्र मे कुछ गड़बड़ी की बात आ रही थी, इस कारण इसे बंद कर दिया गया था। 


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